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अल्पाइन फॉल्ट : भूकंप का रहस्य सुलझाने में जुटे बड़े वैज्ञानिक

न्यूजीलैंड के वाटोरा के गंट क्रीक में है अल्पाइन फॉल्ट. यहां पिछले कुछ वर्षों से दुनिया भर के भू – वैज्ञानिकों का आना – जाना बढ़ गया है. ये वैज्ञानिक यहां भूकंप पर शोध के लिए पहुंचते हैं. दरअसल, अल्पाइन फॉल्ट में ऑस्ट्रेलिया और पैसेफिक प्लेट मिलते हैं. इस तरह की जगह को भूकंप पर […]

न्यूजीलैंड के वाटोरा के गंट क्रीक में है अल्पाइन फॉल्ट. यहां पिछले कुछ वर्षों से दुनिया भर के भू – वैज्ञानिकों का आना – जाना बढ़ गया है. ये वैज्ञानिक यहां भूकंप पर शोध के लिए पहुंचते हैं. दरअसल, अल्पाइन फॉल्ट में ऑस्ट्रेलिया और पैसेफिक प्लेट मिलते हैं. इस तरह की जगह को भूकंप पर अध्ययन के लिए अच्छा माना जाता है. वाटोरा की आबादी कुछ सौ लोगों की है, लेकिन अल्पाइन फॉल्ट की वजह से ही विश्वभर में इसकी पहचान है. वैज्ञानिकों का मानना है कि गंट क्रीक भूकंप का अध्ययन करने के लिए दुनिया में सबसे बेहतरीन जगह है. इस इलाके में हो रहे शोध में कई देश योगदान दे रहे हैं. न्यूजीलैंड के जीएनएस साइंस के जियोलॉजिस्ट हमीश कैंपबेल इस इलाके में 30 से अधिक बार आ चुके हैं. वह बताते हैं कि विश्वभर के जियोलॉजिस्टों का यह सबसे प्रिय स्थान है. 1970 के दशक में कैंपबेल जब छात्र थे, उस समय भी वह गंट क्रीक आये थे. उस समय यह क्षेत्र स्थिर था. कब अपने स्थान से हिलेगा, किसी को पता नहीं था. कैंपबेल बताते हैं कि अध्ययन से हमलोगों ने पता लगाया है कि यह बहुत जल्द अपने स्थान से हिलेगा.

330 साल में भूकंप

अल्पाइन फॉल्ट न्यूजीलैंड के साउथ आइसलैंड इलाके में करीब पांच सौ किमी लंबा है. इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है. यह पूरा इलाका भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है. विशेषज्ञों के अनुसार इस इलाके में हर 330 साल में एक बार बड़ा भूकंप आना चाहिए. भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर आठ से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है. इस इलाके में जमीन के अंदर ड्रिलिंग आसान है. यहां पर जमीन के 6 – 12 किमी अंदर की मिट्टी और पत्थरों को सतह पर लाकर उसका अध्ययन करना वैज्ञानिकों के लिए आसान होता है. मिट्टी और पत्थरों की मदद से वह यह भी पता लगाने की कोशिश करते हैं कि भूकंप कैसे आता है. वे यह भी जानना चाह रहे हैं कि क्या भूकंप आने के इसका कोई पता चल सकता है. इस पर विज्ञान अब तक चुप ही है. वर्ष 2011 में क्राइस्टचर्च में आये भूकंप के बाद इस इलाके की तरफ वैज्ञानिकों का ध्यान ज्यादा गया है. उस भूकंप में न्यूजीलैंड में 185 लोगों की मौत हुई थी. हाल में इस क्षेत्र में आने वालों में ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रोफेसर जान लुड्डेन, जियोसाइस आस्ट्रेलिया के सीइओ क्रिस पिग्राम और जियोलाजिकल सर्वे ऑफ जापान के यूसाको यामो शामिल थे.

बन गया पर्यटन स्थल

अल्पाइन फॉल्ट के पास ही ग्रे और विकि एटविल का एक डेयरी फॉर्म है. इन दोनों ने इसे इस मकसद से इसकी शुरुआत की थी कि वे रिटायरमेंट के बाद अपना बाकी जीवन शांतिपूर्वक बितायेंगे. वर्ष 2011 में जब एटविल यहां आये थे तब उनके मन में एक सूकून भरे जीवन की कल्पना थी. लेकिन, भू – वैज्ञानिक अक्सर उनके दरवाजे पर आते और पूछते – क्या हम अल्पाइन फॉल्ट का अध्ययन करने के लिए आपकी जमीन से होकर जा सकते हैं. उन्होंने वैज्ञानिकों की मदद करनी शुरू कर दी. वर्ष 2011 और 2014 में 14 देशों के भू – वैज्ञानिक वाटोरा आये थे ड्रिलिंग प्रोजेक्ट के लिए. वह वाटोरा के होटल और किराये के घरों में रहते.

जो यहां मिलता उसी को खाकर अपना पेट भरते. विकि एटविल की मानें, तो वैज्ञानिकों की वजह से इस इलाके की पहचान बनी. यह सब देख कर वर्ष 2014 में दोनों ने निश्चय किया कि अल्पाइन फॉल्ट बहुत रोचक स्थान है. इसलिए यहां पर सिर्फ कुछ वैज्ञानिकों की पहुंच ही नहीं होनी चाहिए, आम लोगों को भी इस इलाके को देखने के लिए आना चाहिए. इसके बाद दोनों ने मिल कर अल्पाइन फाल्ट टूर की शुरुआत की.

इसके लिए दोनों ने एक बस खरीदा और एक दुकान खोली. न्यूजीलैंड के भू – वैज्ञानिकों ने भी इस काम में दोनों की मदद की. ग्रे एटविल ने बड़े भू – वैज्ञानिकों के साथ बैठ कर इस इलाके के बारे में जो जाना है वही वह टूर पर आने वाले पर्यटकों को बताते हैं. अब तो अल्पाइन फॉल्ट एक टूरिस्ट स्पॉट की तरह दिखता है.

60 साल में बड़े भूकंप की आशंका

विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले 60 साल में अल्पाइन फॉल्ट में बड़े भूकंप की आशंका है. इस मुद्दे पर जीएनएस साइंस के भू – वैज्ञानिक राबर्ट लैंग्रिज का मानना है कि इसका यह मतलब नहीं है कि अगले वर्ष ही भूकंप आ जायेगा. लेकिन यह तय है कि अल्पाइन फॉल्ट के दो सौ किमी की लंबाई में बड़ा भूकंप आयेगा जो कुछ मिनट तक रहेगा. लैंग्रिज का मानना है कि ऐसा नहीं होगा कि उस भूकंप से सबकुछ खत्म हो जायेगा, लेकिन बड़े पैमाने पर तबाही जरूर होगी. उन्होंने कहा – मै डरा नहीं रहा हूं, लेकिन वैज्ञानिक आधार पर कह सकता हूं कि आने वाले 50 साल में इस तरह के भूकंप की संभावना 30 फीसदी है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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