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गरबा से रुकेगी कन्या भ्रूण हत्या

गुजरात में नवरात्र के दौरान चलेगा बेटी बचाओ अभियान हमारे देश में नवरात्र पर तरह-तरह के आयोजन होते हैं. पूर्वी भारत में पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर उनकी आराधना का चलन है, तो पश्चिमी भारत में डांडिया और गरबा खेला जाता है. ऐसे आयोजनों में सैकड़ों-हजारों लोग एकत्र होकर देवी की आराधना […]

गुजरात में नवरात्र के दौरान चलेगा बेटी बचाओ अभियान

हमारे देश में नवरात्र पर तरह-तरह के आयोजन होते हैं. पूर्वी भारत में पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर उनकी आराधना का चलन है, तो पश्चिमी भारत में डांडिया और गरबा खेला जाता है. ऐसे आयोजनों में सैकड़ों-हजारों लोग एकत्र होकर देवी की आराधना करते हैं. वैसे तो इन प्रचलनों का अपना सांस्कृतिक महत्व है ही, लोगों को एकता और सामाजिकता का भी संदेश देते हैं.

इसी कड़ी में एक नया अध्याय जोड़ा है अहमदाबाद की गरबा आयोजन मंडली ने‍. यूं तो ऐसी मंडलियां हर साल अलग-अलग ‘थीम्स’ पर नृत्य-गीत-संगीत के कार्यक्रम आयोजित करती हैं, लेकिन अहमदाबाद के निकोल इलाके की गरबा मंडली ने इस नवरात्रि आयोजित होनेवाले गरबा को कन्या भ्रूण हत्या रोकने को लेकर जागरूकता फैलाने का जरिया बनाया है़

मां दुर्गा के विभिन्न रूपों को पूजने का अवसर, नवरात्रि का यह त्योहार, नारी शक्ति की परिभाषा से भी समाज को रू-ब-रू कराता है. अहमदाबाद शहर की एक गैर-सरकारी संस्था सदविचार विकास संघ की उपाध्यक्ष पूनम पंचानी द्वारा आयोजित गरबा महोत्सव के दौरान लोगों को परिवार, समाज और देश में महिलाओं के योगदान के बारे में समझाया जा रहा है और उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि गर्भ में पल रहे कन्या भ्रूण की हत्या करना एक तरह से देवी दुर्गा का भी अपमान है. यहां यह जानना जरूरी है कि सदविचार विकास संघ, अहमदाबाद और उसके आस-पास के क्षेत्रों में कन्या शिशु हत्या के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का काम करती है. बहरहाल, पूनम बताती हैं कि एक ओर हमारे देश में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देने की वकालत हो रही है, तो दूसरी तरफ स्थिति यह है कि देश के अधिकांश राज्यों में महिलाएं गिनती के मामले में भी पुरुषों से काफी पीछे हैं.

ऐसे में यह हम सबकी जिम्मेवारी बनती है कि कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा पर अपने स्तर से अंकुश लगाएं. पूनम आगे बताती हैं, इसी क्रम में हमारे मन में ऐसे थीम पर गरबा महोत्सव आयोजित करने का विचार आया, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ खड़े हों.

पूनम कहती हैं, इस बार हमने गरबा महोत्सव में कुछ इस तरह का इंतजाम किया है, ताकि माता-पिता के साथ बच्चियों को गरबा करता देख ज्यादा से ज्यादा लोग प्रेरित हों. यही नहीं, हर परफॉरमेंस की समाप्ति पर विजेता टीम या व्यक्ति कन्या शिशु की रक्षा और उसकी सही परवरिश के लिए लोगों को प्रेरित करेंगे़ गरबा महोत्सव के आखिरी दिन उन जोड़ों को सम्मानित करने की भी योजना है, जो इकलौती कन्या संतान के माता-पिता हैं.

इसके अलावा, कन्या शिशुओं के हक, हित और हिफाजत के लिए पूनम पंचानी की गरबा मंडली ने कई गुजराती कलाकारों को भी नवरात्रि पर न्योता भेजा है, ताकि वे लोगों से सीधा संवाद कर उन्हें कन्या शिशु के संरक्षण और आदर करने के लिए प्रेरित करें.

गौरतलब है कि वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, गुजरात में 1000 पुरुषों पर 919 महिलाएं हैं और छह वर्ष तक की आयु के मामले में यह आंकड़ा प्रति हजार लड़कों पर 886 लड़कियाें का है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि गरबा, नवरात्रि और देवी दुर्गा के बहाने इन आंकड़ों में सुधार हो.

Prabhat Khabar Digital Desk
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