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जब अटल जी ने पैर टूटने के बाद भी चुनाव प्रचार जारी रखा
बात 1984 की है. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही दो अंगरक्षकों ने कर दी है, जिसके बाद देश में लोकसभा के चुनाव हुए. इस चुनाव में राजीव गांधी के समर्थन में देशभर में सहानुभूति की भारी लहर थी. इधर, भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी भी अपनी पार्टी उम्मीदवारों के […]
बात 1984 की है. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही दो अंगरक्षकों ने कर दी है, जिसके बाद देश में लोकसभा के चुनाव हुए. इस चुनाव में राजीव गांधी के समर्थन में देशभर में सहानुभूति की भारी लहर थी.
इधर, भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी भी अपनी पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुटे हुए थे. इसी क्रम में वह एक दिन प्रचार के लिए मेहसाणा पहुंचे. वहां से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार एके पटेल चुनाव मैदान में थे. अटल जी उनके पक्ष में धारदार भाषण दे रहे थे. उन्हें सुनने बड़ी संख्या में लोग जुटे थे. कहते हैं, इनमें दूसरे दलों के प्रति सहानुभूति और उनकी नीतियों-नारों में विश्वास करने वाले लोग भी थे. अटल जी जब भाषण दे रहे थे, तभी कुछ लोगों ने हंगामा किया और उन पर पथराव कर दिया.
इसमें वाजपेयी के सर में चोट लगी. उनके पांव भी फ्रैक्चर हो गया. प्लास्टर चढ़ाना पड़ा. डॉक्टरों ने वाजपेयी जी को पूर्ण आराम करने की सलाह दी, लेकिन वह प्रचार में लगे रहे. सबसे दिलचस्प बात यह रही कि इस चुनाव में भाजपा को भारी पराजय का सामना करना पड़ा और उसे महज दो सीटें मिलीं, मगर भाजपा को जो दो सीटें मिलीं, उनमें आंध्र की हनामकोंडा के साथ मेहसाणा सीट भी थी.
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