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भूमि विवादों को सुलझाने के लिए एक्शन में बिहार सरकार

भूमि विवादों के निराकरण के लिए राज्य सरकार गंभीर है. सरकार ने अधिकारियों को भूमि विवाद के निबटारे की नियमित समीक्षा करने का निर्देश दिया है. साथ ही सरकार ने मात्र 100 रुपये में पारिवारिक बंटवारे की रजिस्ट्री करने का निर्णय लिया है. शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी. इससे ज्यादा-से-ज्यादा लोग निबंधित […]

भूमि विवादों के निराकरण के लिए राज्य सरकार गंभीर है. सरकार ने अधिकारियों को भूमि विवाद के निबटारे की नियमित समीक्षा करने का निर्देश दिया है. साथ ही सरकार ने मात्र 100 रुपये में पारिवारिक बंटवारे की रजिस्ट्री करने का निर्णय लिया है. शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी. इससे ज्यादा-से-ज्यादा लोग निबंधित बंटवारानामा करवायेंगेे. सीओ को भी इससे म्यूटेशन करने में आसानी हो जायेगी. सभी सीओ अंचलवार बंटवारानामे का डाटा कंपाइल कर लेते हैं तो सर्वे में यह बड़े काम का साबित हो सकता है …

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भूमि विवादों को लेकर ‘एक्शन’ में हैं. इसका इशारा उन्होंने कई कार्यक्रमों के दौरान किया है. बात भी सही है. अधिकतर वारदातों के कारण के रूप में भूमि विवाद ही सामने आता है. इसको मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है और इसके निबटारे के लिए राज्य से लेकर थाना स्तर तक नयी व्यवस्था की गयी है. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक से लेकर थाना प्रभारी तक को इसके लिए जिम्मेदार बनाया है. पांच स्तरों पर समीक्षा की व्यवस्था की गयी है. प्रदेश भर में विभिन्न पदाधिकारियों के यहां भूमि विवाद से संबंधित करीब 43 हजार 959 वाद लंबित हैं. इनमें से 24,607 वाद छह माह से ज्यादा से लंबित हैं. ये आंकड़े भले ही थोड़े पुराने हैं. लेकिन हकीकत बयां करने के लिए काफी हैं.

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद लगातार समीक्षा की शुरुआत हुई है, तो इनमें कमी भी आयी होगी. लेकिन, हर स्तर पर पदाधिकारियों ने अब भूमि विवाद के लंबित मामलों को खत्म करने के लिए कमर कस ली है. राजस्व परिषद के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने जल्द ही इसकी सकारात्मक तस्वीर भी सामने आने की उम्मीद जतायी है.

मुख्य सचिव ने हाथ में ली बागडोर, पांच स्तरों पर होगी समीक्षा

भूमि विवाद को लेकर बढ़ रही वारदातों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चिंतित हैं. इसलिए उन्होंने भूमि विवाद से संबंधित मामलों के निबटारे पर ज्यादा जोर दिया है. यही वजह है कि अब मुख्य सचिव दीपक कुमार से लेकर डीजीपी और गृह सचिव भी हरकत में आ गये हैं. इसकी लगातार समीक्षा भी हो रही है. अधिकतर घटनाओं में भूमि विवाद ही कारण के रूप में सामने आया तो अफसर हरकत में आ गये हैं. मुख्यमंत्री ने इसको लेकर नौकरशाही को सचेत भी किया है. थानेदार से लेकर मुख्य सचिव तक की जिम्मेदारी तय की गयी है. पांच स्तरों पर समीक्षा की व्यवस्था हुई है. थाने से लेकर शासन स्तर तक भूमि वादों के निबटारे की समीक्षा होगी. हर शनिवार और रविवार को थाना स्तर पर थानेदार और अंचल अधिकारी एक साथ बैठेंगे और भूमि से संबंधित वादों की समीक्षा करेंगे. प्रावधान किया गया है कि जनता इन पदाधिकारियों के पास सीधे संपर्क करेगी. एसडीओ और डीएसपी स्तर के अधिकारी महीने के दूसरे सप्ताह में इस तरह के मामलों की समीक्षा अपने स्तर से करेंगे. हर 15 दिनों पर डीएम और एसपी के स्तर पर जमीन विवाद के मामलों को सुलझाने का प्रयास होगा.

विवादों की सूची बनेगी

राज्य सरकार ने भूमि विवाद की बढ़ती संख्या के बाद इसके त्वरित निबटारे की योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसके लिए अंचलवार पहले टाॅप तीन भूमि विवादों की सूची बनायी जायेगी. इसके बाद उनकी मॉनीटरिंग होगी. इसके तहत अंचलों में अंचल पदाधिकारी और स्थानीय थाना प्रभारी के साथ बैठ कर भूमि विवाद का निबटारा होगा. अब राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने मुख्यालय से लेकर अंचल स्तर तक भूमि विवादों की नियमित समीक्षा का निर्णय लिया है. इसी के मद्देनजर प्रधान सचिव से लेकर अंचल पदाधिकारी और थाना प्रभारियों की नये सिरे से जिम्मेदारी तय की गयी है.

बनना होगा जवाबदेह
भाजपा मुख्यालय में आयोजित सहयोग कार्यक्रम में जमीन के अतिक्रमण से संबंधित शिकायतों पर श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा था कि भूमि विवाद से संबंधित समस्याओं को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर निबटारे के लिए सक्षम पदाधिकारियों को जवाबदेह बनना होगा. श्रम मंत्री ने कहा था कि थाना और प्रखंड स्तर पर अधिकारियों को यह तय करना होगा कि एक ही मामले के निबटारे में आम लोगों को लगातार कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े.

भूदान की जमीन को लेकर भी हरकत में सरकार

भूदान में मिली जमीन के आवंटन को लेकर लगातार सवाल खड़े होते हैं. इसको लेकर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंभीर हो गये हैं. उन्होंने इसकी जांच के लिए भूदान वितरण जांच आयोग का गठन किया है. इसके अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव अशोक चौधरी को बनाया गया है. राजस्व परिषद से मिली जानकारी के अनुसार, 6. 48 लाख एकड़ जमीन भूदान में मिली थी. इसमें से 2.56 लाख एकड़ जमीन बांटी गयी. 1.47 लाख एकड़ जमीन असंपुष्ट है. 1.10 लाख एकड़ जमीन का मामला लंबित है. इसका लाभ तीन लाख 52 हजार 274 लोगों को मिला है.

विधि-व्यवस्था की समीक्षा में बोले थे मुख्यमंत्री, जमीन विवाद से बढ़ रहे अपराध, इसका गंभीरता से निबटारा करेंमुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधि- व्यवस्था को लेकर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये दो माह पहले समीक्षा की थी. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया था कि जमीन विवाद बढ़ रहे हैं. इनका निबटारा अधिकारी गंभीरता से करें. करीब चार घंटे तक चली वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान बताया गया कि भूमि विवाद के कारण ज्यादातर अपराध की घटनाएं हो रही हैं. लोक शिकायत निवारण एक्ट के जरिये भी मामलों का निबटारा हो रहा है. लेकिन, इसके बाद भी कई मामलों के निबटारे में देरी से आपराधिक घटनाएं हो रही हैं. इसके लिए निर्देश दिया कि अंचल के काम में अफसर व कर्मचारी संवेदनशील बनें. इसमें किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. अंचल और थाने स्तर पर हर शनिवार को गंभीरता के साथ शिविर लगाकर मामलों का निबटारा करें.

…अब तक सर्किल रेट का 5% लगता था शुल्क
अब पारिवारिक बंटवारे की संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए जमीन के सर्किल रेट का पांच प्रतिशत शुल्क के रूप में वसूला जाता है. इसमें दो प्रतिशत निबंधन और तीन प्रतिशत स्टांप ड्यूटी शुल्क होता है. पांच प्रतिशत शुल्क के हिसाब से पारिवारिक बंटवारे की संपत्ति का रजिस्ट्री कराने की फीस कुछ ज्यादा ही हो जाया करती थी. इसकी वजह से प्रदेश के तमाम लोग रजिस्ट्री कराते ही नहीं थे. इसके कारण भूमि विवाद के मामले बढ़ते जा रहे थे. सरकार के इस पहल से पूरे प्रदेश बंटवारे के बाद होने वाले विवादों से राहत मिलनी तय है.

अब पारिवारिक बंटवारे की संपत्ति की रजिस्ट्री मात्र 100 रुपये शुल्क देकर करायी जा सकेगी. 50 रुपये निबंधन और 50 रुपये स्टांप ड्यूटी के रूप में यह शुल्क देना होगा.

दूसरे राज्यों के लिए नजीर बना बिहार
मात्र 100 रुपये में पारिवारिक बंटवारे की जमीन की रजिस्ट्री कराने की सुविधा देकर बिहार सरकार दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन गयी है. राज्य सरकार के इस कदम की हर ओर प्रशंसा भी हो रही है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अधिकतर आपराधिक घटनाओं के पीछे जमीन या संपत्ति विवाद कारण होता है.

विभिन्न स्तरों से भी सरकार ने जानकारीजुटायी तो कुछ यही तस्वीर सामने आयी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने इसे प्राथमिकता के आधार पर कराया है.

भूमि विवादों का खात्मा
भूमि विवादों के खात्मे को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक कदम और आगे बढ़े हैं. उन्होंने मात्र 100 रुपये का शुल्क अदा कर पारिवारिक बंटवारे की संपत्ति की रजिस्ट्री की सुविधा देकर राज्य की जनता को शानदार तोहफा दिया है. इससे साफ है कि अब बंटवारे के बाद संपत्ति की रजिस्ट्री कराने में तेजी आयेगी. पहले शुल्क ज्यादा होने के कारण लोग रजिस्ट्री कराने से बचते थे. सरकार को उम्मीद है कि इससे रजिस्ट्री में तेजी आयेगी. दूसरी, सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि भूमि विवादों में कमी आयेगी. नीतीश सरकार की मंशा भी यही है. तमाम स्तरों पर जुटाये गये आंकड़ों पर सरकार ने गौर किया तो अधिकतर विवादों का कारण जमीन ही निकला. इसको लेकर आला अफसरों ने मंथन शुरू किया. उधर, पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे में रजिस्ट्री का शुल्क समाप्त करने या टोकन राशि लेने का सुझाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके

कार्यक्रम लोक संवाद में मिला था. 12 जुलाई, 2017 को आयोजित लोक संवाद कार्यक्रम में शेखपुरा के तत्कालीन एसडीएम (वर्तमान में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में विशेष कार्य पदाधिकारी) सुबोध कुमार ने मुख्यमंत्री को इसकी परेशानी समझाते हुए ऐसे मामलों में रजिस्ट्री शुल्क समाप्त करने का सुझाव दिया था. इसके तत्काल बाद मुख्यमंत्री ने मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग को इस आशय का प्रस्ताव देने का निर्देश दिया. इसके बाद विभाग ने पहले 1000 रुपये टोकन शुल्क निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे नामंजूर कर दिया गया. इसके बाद संशोधित प्रस्ताव में टोकन राशि 100 रुपये कर कैबिनेट में भेजा गया, जिस पर चार दिसंबर को कैबिनेट की हुई बैठक में मुहर लगा दी गयी.

लोक संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को सुबोध ने दिया था यह सुझाव

नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने कई ऐसे काम किये, जो पूरे देश के लिए नजीर साबित हुए़, मसलन-स्थानीय निकायों व शिक्षक बहाली में महिलाओं को 50% आरक्षण, स्टूडेंट क्रेिडट कार्ड, साइकिल योजना, लोक शिकायत निवारण एक्ट आदि. इस कड़ी में एक और फैसला जुड़ गया है और वह है टोकन शुल्क (मात्र 100 रुपये) में पारिवारिक बंटवारे की रजिस्ट्री. भूमि विवाद के निबटारे के लिए ऐसा निर्णय लेने वाला बिहार पहला राज्य बना है. खास बात है कि इसका सुझाव मुख्यमंत्री को 12 जून, 2017 को लोक संवाद कार्यक्रम में शेखपुरा के तत्कालीन एसडीएम सुबोध कुमार ने दिया था़ वह फिलहाल राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में विशेष कार्य पदाधिकारी हैं. वह कहते हैं, मैं तीन साल महाराजगंज में डीसीएलआर और तीन साल सब रजिस्ट्रार रहा था. भूमि विवाद के कारण लोगों को परेशान देखता था. तब मैंने जड़ में जाकर भूमि विवाद के मामलों को जानने की कोशिश की.

मैंने सिर्फ सुझाव-प्रस्ताव ही नहीं दिया कि ऐसा होना चाहिए, बल्कि यह भी विस्तार से बताया कि ऐसा क्यों होना चाहिए.

80-85% तक कम हो सकते हैं भूमि विवाद के मामले

आईआईटी, बीएचयू से बीटेक सुबोध कुमार ने बताया कि भूमि विवाद के अधिकतर मामलों की जड़ में क्या है, यह जानने की कोशिश की गयी. कई केस स्टडी के बाद पारिवारिक बंटवारानामे के निबंधन एवं स्टांप शुल्क को सांकेतिक (100 रुपये) कर दिये जाने का निर्णय लिया गया. इससे भूमि विवाद के मामले 80-85% तक कम हो सकते हैं. शुक्रवार को इस निर्णय की अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है.

पैतृक या पारिवारिक बंटवारे के बाद संपत्ति की रजिस्ट्री कराने के लिए सरकार ने मात्र 100 रुपये शुल्क तय किया है. इसका लाभ बड़े पैमाने पर मिलेगा.

आये दिन गांव-देहात में भूमिविवाद के मामले सामने आते थे. इनमें निश्चित तौर पर कमी आयेगी. इसके अलावा बंटवारे के बाद अब लोग रजिस्ट्री कराने में दिलचस्पी भी दिखायेंगे. पहले शुल्क ज्यादा लगता था. इसकी वजह से लोग बंटवारे के बाद रजिस्ट्री कराने से कतराते थे. अब ऐसा नहीं होगा. कुल मिलाकर सरकार की भी यही मंशा थी. महत्व को देखते हुए सरकार ने इसे पूरा भी किया.
-आमिर सुबहानी, अपर मुख्य सचिव

रूटीन काम में नहीं होगा व्यवधान
दान में दी गयी जमीन की जांच के लिए राज्य सरकार ने भूदान वितरण जांच आयोग का गठन कर दिया है. आयोग का कार्यकाल दो साल है, इस दौरान रूटीन का काम में व्यवधान नहीं पड़ेगा. संपुष्ट हो चुकी जमीन को बांटने की प्रक्रिया चलती रहेगी. कोशिश होगी कि भूदान एक्ट के तहत जो भी जमीन सामने आयेगी, उसका बंटवारा होता जाये.

…उधर, जिला स्तर पर भूमि वादों के निस्तारण को लेकर भी लगातार समीक्षा की जा रही है. मैंने खुद कई जिलों का दौरा भी किया और वहां के आला पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इसके सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे. भूमि वादों के निबटारे में तेजी आयेगी.

-सुनील कुमार सिंह, अध्यक्ष, राजस्व परिषद

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