25.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

साहित्य-उत्सवों ने हिंदी समाज को लोकतांत्रिक बनाया

इम्तियाज आलम पब्लिक रिलेशन एक्सपर्ट मैं साहित्यिक उत्सवों और प्रकाशन की दुनिया से एक दशक से ज्यादा समय से जुड़ा हुआ हूं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि फेस्टिवल्स ने हिंदी भाषा और किताबों को विस्तार दिया है. खासकर, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने पूरे भारत को एक प्रेरणा दी है, जिसकी वजह से आज […]

इम्तियाज आलम
पब्लिक रिलेशन एक्सपर्ट
मैं साहित्यिक उत्सवों और प्रकाशन की दुनिया से एक दशक से ज्यादा समय से जुड़ा हुआ हूं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि फेस्टिवल्स ने हिंदी भाषा और किताबों को विस्तार दिया है. खासकर, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने पूरे भारत को एक प्रेरणा दी है, जिसकी वजह से आज छोटे-बड़े शहरों में, एक कैलेंडर ईयर में 140 से ज्यादा साहित्य उत्सव होते हैं.
अंग्रेजी साहित्यिक उत्सवों में हिंदी को जगह दिलाने में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-निदेशक और संस्थापक नमिता गोखले का बड़ा रोल है. पहले साहित्यिक उत्सवों में अंग्रेजी का बोलबाला होता था, अब धीरे-धीरे हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को भी जगह मिलने लगी है.
साहित्यिक उत्सवों ने साहित्य की दुनिया को ग्लैमराइज किया है और इसके साथ ही लेखकों और प्रकाशकों के लिए लोकतांत्रिक जगह भी बनायी है. अब लेखक परफॉर्मर में बदलने लगे हैं. इसे आप फेस्टिवल्स का साइड-इफेक्ट भी कह सकते हैं. पहले जब कोई किताब आती थी, तो कहीं-कहीं पर समीक्षा छप जाती थी, फिर कुछ दिनों के बाद उसकी चर्चा बंद हो जाती थी. साहित्यिक उत्सवों और पुस्तक मेले जैसे मंचों की वजह से किताब की शेल्फ-लाइफ बढ़ गयी है. अब हिंदी में प्रकाशक और लेखक, दोनों प्रचार के नये तरीकों को लेकर सजग हैं.
राजकमल प्रकाशन से छपी शाजी जमां की किताब ‘अकबर’ का उदाहरण ले लीजिए. छपने से तीन महीने पहले इसकी घोषणा कर दी गयी थी. प्रचार के लिए दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर की इकाई हेरिटेज वाक के साथ मिलकर हमने पुराना किला में ‘अकबर वाक’ किया था. प्रचार के इस तरीके से लोगों में किताब को लेकर जिज्ञासा और बढ़ी.
इसी तरह, अब प्रचार के लिये लेखक और प्रकाशक वीडियो बनाने लगे हैं. इसके अलावा, ऑनलाइन किताबों की बिक्री से बड़े पैमाने पर पाठकों तक पहुंच बढ़ सकी है. पहले तक सीमित बुकस्टोर ही हुआ करते थे, ऐसी जगहें कम थीं, जहां किताबें मिल सकें. अब गांव में बैठा आदमी भी ऑनलाइन ऑर्डर कर सकता है. बाजार ने यह समझा है कि हिंदी किताबों का बाजार भी मौजूद है. इसलिए नये-नये अवाॅर्ड्स शुरू हुए हैं. यहां तक कि बुक कवर के लिये भी कलाकार को सम्मानित किया जा रहा है. दस साल पहले तक यह सब किसी ने सुना भी नहीं था.
बाजार ने इसे संभव बनाया है. हिंदी बुकस्टोर्स का भी विस्तार हुआ है. अंग्रेजी बुकस्टोर में भी हिंदी की किताबें अब बिकने लगी हैं. हवाईअड्डों पर भी हिंदी किताबें उपलब्ध हो गयी हैं, जिससे लेखकों और पाठकों के बीच की दूरी खत्म हुई है. इसका श्रेय साहित्यिक उत्सवों और पुस्तक मेलों को ही जाता है. हालांकि यह बात सर्वोपरि है कि विषयवस्तु ही किसी रचना को लंबी उम्र देती है.
आजकल बेस्टसेलर किताबों की चर्चा होती है और इसमें नये व युवा लेखकों को भी स्थान प्राप्त हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ राग दरबारी जैसी किताब है, जो प्रकाशन के 50 साल से ज्यादा समय होने के बावजूद भी खूब बिक रही है और हर पीढ़ी के लोग इसे आज भी पढ़ रहे हैं.
इसका साफ मतलब है कि विषयवस्तु ही सबसे ऊपर है. पाठक के पास अपना फिल्टर होता है, वह बेवकूफ नहीं है. इसलिए जिसके लेखन में दम होगा, उसकी शेल्फ-लाइफ बड़ी होगी. आज अच्छी बात यह हुई है कि लोकतांत्रिक जगहें तैयार होने की वजह से हिंदी साहित्य अकादमिक कैंपसों और हिंदी-विभागों से बाहर आ गया है. अब लोगों में यह आत्मविश्वास पैदा हुआ है कि अगर उनके अंदर भी लिखने का हुनर है, तो वे भी लिख और प्रकाशित हो सकते हैं.
आज प्रकाशनों के अतिरिक्त, ई-बुक्स का प्रचलन काफी बढ़ा है, सेल्फ-पब्लिसिंग की जा रही है और ऑडियो बुक्स भी तैयार किये जा रहे हैं. लोगों के पास प्रकाशन के लिए मंचों की कमी नहीं रह गयी है. लेखन के नये-नये विषय खोजे जा रहे हैं, नॉन-फिक्शन का चलन बढ़ा है. हालांकि, आनेवाला भविष्य हिंदी की दुनिया के लिए संभावनाशील और चुनौतीपूर्ण दोनों है.
हम स्मार्टफोन और इंटरनेट के दौर में जी रहे हैं और पढ़ने की प्रवृत्ति कम हुई है. इसलिए भविष्य में किताबों का महत्व कितना बचा रहेगा, यह देखने योग्य होगा. खासकर, हमारी जनसंख्या के सबसे बड़े हिस्सेदार मिडिल क्लास के पास कार खरीदने के पैसे होते हैं, मनोरंजन के लिए पैसे होते हैं, लेकिन उसके पास किताबों के लिए कोई बजट नहीं होता. ऐसे में, यह लेखकों और प्रकाशनों के ऊपर निर्भर करेगा कि वह कैसे इन्हें पाठक वर्ग से जोड़ पाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें