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अत्याधुनिक तकनीकें देंगी हम इंसानों को चुनौतियां

साल 2018 एक ऐसा साल रहा है, जिसमें टेक कंपनियों ने समय-समय पर दुनिया को भविष्य के रास्ते दिखाये हैं. एक तरफ तो तकनीक मानव सभ्यता को नये-नये आयाम दे रही है, दूसरी तरफ अलग-अलग कार्यक्षेत्रों में इसके अतिशय हस्तक्षेप ने संकट भी खड़े किये हैं. हालिया रुझानों से संकेत मिलते हैं कि ‘इंटरनेट ऑफ […]

साल 2018 एक ऐसा साल रहा है, जिसमें टेक कंपनियों ने समय-समय पर दुनिया को भविष्य के रास्ते दिखाये हैं. एक तरफ तो तकनीक मानव सभ्यता को नये-नये आयाम दे रही है, दूसरी तरफ अलग-अलग कार्यक्षेत्रों में इसके अतिशय हस्तक्षेप ने संकट भी खड़े किये हैं.
हालिया रुझानों से संकेत मिलते हैं कि ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ जैसी तकनीकें हमारा भविष्य हैं और बहुत जल्दी ही इनके मुख्यधारा में शामिल होने की संभावनाएं भी हैं. ये इंसानों की प्रतिद्वंद्वी भी बनने की क्षमता रखती हैं. इन्हीं विषयों पर केंद्रित कुछ अहम तकनीकों की जानकारी आज के इन्फो-टेक में..
इंटरनेट ऑफ थिंग्स
इं टरनेट ऑफ थिंग्स एक ऐसा स्मार्ट उपकरण है, जो इंटरनेट के माध्यम से आपस में संवाद करता है और डाटा का आदान-प्रदान करता है. बड़े पैमाने पर इस तकनीक के विस्तार से रोजमर्रा की गतिविधियां बहुत आसान हो जायेंगी.
मसलन, आप ऑफिस से घर के लिए निकल रहे हैं, तो आपकी कार घर में मौजूद उपकरणों को डाटा भेज देगी और आपके पहुंचने तक एसी, गीजर जैसे उपकरण खुद-ब-खुद चालू हो जायेंगे. अनेक रिपोर्टों में बताया गया है कि फिलहाल भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर लगभग दो अरब डॉलर इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स पर खर्च कर रहा है, जो 2021 में बढ़कर 3.8 अरब डॉलर हो जायेगा. वैश्विक तौर पर इस तकनीक पर लगभग 120 अरब डॉलर खर्च किये जा रहे हैं.
यह निवेश 2021 तक 253 अरब डॉलर का हो जायेगा. कंसल्टिंग फर्म जिनोव के अनुसार, ऐसी तकनीकों से भारत में 2021 तक करीब 94 हजार नौकरियां खत्म हो सकती हैं. ऑटो, टेलीकॉम, हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों की कंपनियों में इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक का प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है. इस तकनीक से कंपनियों के खर्चे कम हो रहे हैं, इसलिए कंपनियां इसे बढ़ावा दे रही हैं. इसका सबसे बड़ा असर अनस्किल्ड और निचले स्तर के कर्मचारियों की नौकरी पर पड़ेगा.
ऑटोमेशन
आ टोमेशन (स्वचालन) विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और वितरण को नियंत्रित करने और उनकी निगरानी करनेवाली प्रौद्योगिकी व एप्लीकेशन का निर्माण है. यह कार्यों को ठीक उसी तरह पूरा करता है, जैसे मनुष्य करते हैं. ऑटोमेशन का विनिर्माण, परिवहन, रक्षा, सुविधा, संचालन क्षेत्रों और हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कई क्षेत्रों में भी उपयोग किया जा रहा है. ऑटोमेशन को न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ कार्य करनेवाली तकनीक के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.
अपने प्रारंभिक समय में औद्योगिक क्षेत्र तक सीमित रहे ऑटोमेशन को घर, कार्यालयों, कृषि, चिकित्सा इत्यादि क्षेत्रों में भी बढ़ावा दिया जा रहा है. आज ऑटोमेशन तकनीक बहुत परिष्कृत हो चुकी है. ऑटोमेशन एक तरफ काम आसान तो करता ही है, वहीं मनुष्य की तुलना में बहुत जल्दी काम पूरा भी करता है. ऑटोमेशन का नकारात्मक असर यह है कि नौकरियों के अवसर कम होने लगे हैं.
इंजीनियरिंग, विनिर्माण, वाहन, आईटी और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में ऑटोमेशन को खूब बढ़ावा मिला है. भविष्य में ऑटोमेशन अपनाने की गति तेज होगी, जिससे विनिर्माण, आईटी और आईटी संबंधित क्षेत्रों, सुरक्षा सेवाओं और कृषि क्षेत्र की नौकरियों पर असर बढ़ेगा. कम कुशल नौकरियों में लगे कारीगरों की नौकरियां लगातार कम होंगी. मध्यम और उच्च-कौशल रखनेवालों को इससे समस्या नहीं होगी.
क्रिप्टोकरेंसी
ह र देश की अपनी अलग करेंसी होती है. जैसे, भारत में रुपया है, अमेरिका में डॉलर है, तो यूरोपीय देशों में यूरो है. लेकिन अब, डिजिटल करेंसी भी चलन में है. क्रिप्टोकरेंसी भी डिजिटल एसेट है, जिसका इस्तेमाल करेंसी के लिए किया जाता है.
इसका इस्तेमाल सामान खरीदने या ऐसी ही अन्य कोई सेवा लेने के लिए किया जाता है. यह एक पीयर-टू-पीयर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान व्यवस्था होती है, जिसका इस्तेमाल करके हम इंटरनेट के माध्यम से किसी भी करेंसी का इस्तेमाल करके कोई सामान खरीदते हैं. क्रिप्टोकरेंसी की मदद से अपने पैसे को सुरक्षित भी रखा जा सकता है.
यह एक ऐसा डिजिटल सिस्टम होता है, जिसके अंतर्गत इसमें किसी कागज की जरूरत नहीं पड़ती है. यह सिर्फ कंप्यूटर द्वारा इंटरनेट के माध्यम से ही भुगतान करने के लिए अथवा पैसे ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी की शब्दावली को भी समझना जरूरी है.
यह शब्द करेंसी और इंक्रिप्शन से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है- सुरक्षित पैसा. इसके अंतर्गत, एक जगह से दूसरी जगह पर बिना किसी अन्य यूजर, किसी एजेंसी या सरकार को खबर किये पैसे भेजे जा सकते हैं और सुरक्षित रखे जा सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में आज करीब एक हजार से भी ज्यादा कंपनियां सक्रिय हैं.
ब्लॉकचेन
ब हुत लोग ब्लॉकचेन को बिटक्वॉइन समझ लेते हैं. हालांकि, दोनों में फर्क है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है, जहां डिजिटल करेंसी का हिसाब रखने के अलावा किसी आंकड़े, सामग्री को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. इसे डिजिटल लेजर भी कहा जा सकता है. वहीं बिटक्वॉइन एक ऐसा डिजिटल माध्यम है, जिसके जरिये चीजें बेची-खरीदी जा सकती हैं.
हालांकि, इसे करेंसी कहना गलत है, क्योंकि बाहरी दुनिया में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. जैसे, आपको खाने के कूपन दिये जाते हैं, तो बाहर उसकी कोई कीमत नहीं होती. ब्लॉकचेन तकनीक बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव कर सकती है. बैंकिंग सेक्टर में पहचान लीक होना, लागत मूल्य में बढ़ोत्तरी आदि की समस्या बनी रहती है. ब्लॉकचेन से इसका हल निकाला जा सकता है. सरकारी दफ्तरों में धूल फांकती फाइलों में अनगिनत रिकॉर्ड पड़े रहते हैं.
अक्सर आग लगने से इनके नष्ट होने की खबरें आती रहती हैं. सरकार के लिए इनकी सुरक्षा बड़ी चुनौती रही है. ब्लॉकचेन इसका भी हल कर सकती है. ब्लॉकचेन का इस्तेमाल करके लैंड डील को भी सरल बनाया जा सकता है. इसके दौरान होनेवाले डॉक्यूमेंटेशन के काम को सुरक्षित ‌व आसान बनाने के लिए ब्लॉकचेन जरूरी साधन हो सकता है. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश इसके उदाहरण हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
तकनीक के इस दौर में कंप्यूटर या मशीनों के आविष्कार के बाद से ही, उनके एक साथ कई कामों को पूरा करने की क्षमता तेजी से बढ़ रही है. मनुष्य ने इस भागते समय के साथ बने रहने के लिये अपने विभिन्न कार्यक्षेत्रों में कम समय में ज्यादा काम करने हेतु कंप्यूटर तकनीक की खोज की थी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बौद्धिकता) की अवधारणा ही यही है कि तकनीक का इस्तेमाल उन कार्यों को पूरा करने के लिए किया जाये, अमूमन जिन्हें एक मनुष्य पूरा करता है. इनमें आवाजें पहचानना, अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करना शामिल है. जिसके लिए सामान्यत: बिंबों की आवश्यकता पड़ती है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जनक जॉन मैकार्थी कहते हैं कि ‘यह इंटेलिजेंस मशीन बनाने का साइंस और इंजीनियरिंग है, जिसमें तकनीक के साथ बुद्धि का पुट शामिल किया जाता है.’ अत: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐसे कंप्यूटर, कंप्यूटर कंट्रोल रोबोट, या सॉफ्टवेयर बनाने की तकनीक है, जो सोच सकते हैं और मनुष्यों की तरह समझदारी रख सकते हैं.
हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से भी लो स्किल नौकरियां खत्म हो रही हैं. रोबोटों ने पहले से ही निचले स्तर की बहुत सारी नौकरियां छीन ली हैं. यही वजह है कि यह शंका निराधार नहीं है कि भविष्य में तकनीक के बढ़ते चलन के फलस्वरूप इसका भयावह रूप भी सामने आ सकता है.
कृत्रिम बौद्धिकता का असर
ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी कृत्रिम बौद्धिकता के बढ़ते उपयोग से भविष्य में रोजगार के लाखों अवसर समाप्त हो सकते हैं. एक आंकड़े के अनुसार, भारत के सूचना प्रौद्योगिकी और बीपीओ उद्यम में कम कुशलता वाले कर्मियों की संख्या 2016 में घटकर 24 लाख रह गयी थी, जो 2022 में मात्र 17 लाख रह जायेगी.
हालांकि उसी अध्ययन के अनुसार, मध्यम कौशल वाली नौकरियों की संख्या 2022 तक बढ़कर 10 लाख हो जायेगी, जो 2016 में नौ लाख थी. उच्च कौशल वाली नौकरियों की संख्या भी 2022 तक बढ़कर 5.10 लाख हो जायेगी, जो 2016 में 3.20 लाख थी.

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