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टाटा संस के लिए गेमचेंजर बन सकेंगे नटराजन चंद्रशेखरन!

नयी दिल्ली : टाटा संस के नये चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन से टाटा को काफी सारी उम्मीदें बरकरार हैं. यह इस समूह का इतिहास रहा है कि टाटा परिवार ने समूह के बाहर के लोगों पर कम ही भरोसा रहा है. सायरस मिस्त्री को हटाये जाने के करीब तीन महीने बाद टाटा संस के नये चेयरमैन […]

नयी दिल्ली : टाटा संस के नये चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन से टाटा को काफी सारी उम्मीदें बरकरार हैं. यह इस समूह का इतिहास रहा है कि टाटा परिवार ने समूह के बाहर के लोगों पर कम ही भरोसा रहा है. सायरस मिस्त्री को हटाये जाने के करीब तीन महीने बाद टाटा संस के नये चेयरमैन के रूप में नियुक्त किये जाने वाले चंद्रशेखरन से टाटा को यह भी उम्मीद है कि वे पूरे समूह के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि चंद्रशेखरन ने जब वित्त वर्ष 2009-10 से टीसीएस प्रमुख के तौर पर कार्यभार ग्रहण किया था, तब से लेकर वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान उन्होंने राजस्व मुनाफे के मामले में कंपनी को नयी ऊंचाई तक ले गये.

मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, वर्ष 2009-10 के दौरान नटराजन चंद्रशेखर ने जब टीसीएस के प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाला था, तो उस समय कंपनी का वार्षिक मुनाफा करीब 7,093 करोड़ रुपये के आसपास था. टीसीएस प्रमुख के तौर पर नियुक्ति के छह साल के दौरान यानी वर्ष 2015-16 तक कंपनी का सालाना मुनाफा 24,375 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

टाटा ने समूह के ही आदमी पर किया भरोसा

कंपनी में चंद्रा नाम से लोकप्रिय नटराजन चंद्रशेखरन 2009 में टीसीएस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी बनाये गये थे. अब 21 फरवरी को वह टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के सातवें चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभालेंगे. टाटा संस के एक बयान में कहा गया है कि चयन समिति की आम राय के बाद की गयी सिफारिश पर चंद्रशेखरन को टाटा संस की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया गया है. टाटा संस के बोर्ड ने बयान में कहा कि चंद्रशेखरन ने टीसीएस में बतौर प्रबंध निदेशक और सीईओ बेमिसाल नेतृत्व का प्रदर्शन किया है.

टाटा संस के चेयरमैन पद पाने की दौड़ में सबसे आगे थे चंद्रा

24 अक्टूबर, 2016 को जब टाटा संस के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाया गया था, तो उसके बाद पैदा हुए विवाद के बाद टाटा को 24 फरवरी, 2017 तक नये चेयरमैन की नियुक्ति करने की समयसीमा दी गयी थी. इस पर समूह ने कहा था कि चार माह के अंदर नये चेयरमैन की नियुक्ति हो जायेगी. उस समय टाटा संस के चेयरमैन पद पाने की दौड़ में नटराजन चंद्रशेखरन का नाम सबसे आगे चल रहा था. हालांकि, उस समय जगुआर लैंड रोवर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राल्फ स्पेद का भी नाम लिया जा रहा था. ऐसी अटकलें इसलिए लगायी जा रही थीं, क्योंकि टाटा संस से सायरस मिस्त्री को हटाये जाने के ठीक एक दिन बाद 25 अक्टूबर, 2016 को चंद्रशेखरन और स्पेद को बोर्ड में निदेशक बनाया गया था. टाटा संस के चेयरमैन पद के लिए चंद्रशेखर और स्पेद के बाद तीसरने नाम के रूप में ब्रिटेन के उद्योगपति जॉर्ज बकली के नाम की भी चर्चा की जा रही थी. इसके बाद नोएल टाटा, पेप्सिको प्रमुख इंदिरा नूयी, वोडाफोन के पूर्व प्रमुख अरुण सरीन और हिंदुस्तान यूनिलीवर के गैर-कार्यकारी चेयरमैन हरीश मनवानी आदि के नाम भी इसमें शामिल था.

चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टीसीएस को मिली नयी ऊंचाई

वहीं दूसरी ओर, बाजार और राजस्व के हिसाब से चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टीसीएस की बात करें, तो उनके कार्यकाल के दौरान वर्ष 2009-10 से 2015-16 के बीच टीसीएस का कारोबार तीन गुना बढ़ा है. वर्ष 2009-10 में कंपनी का कारोबार 30,000 करोड़ रुपये था, जो पिछले वित्त वर्ष 2015-16 में बढ़कर 1.09 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. इस दौरान कंपनी का मुनाफा भी 7,093 करोड़ रुपये से बढ़कर 24,375 करोड़ रुपये हो गया. वहीं, टीसीएस का अब टाटा समूह के कुल बाजार पूंजीकरण में 56 फीसदी हिस्सा है. समूह का बाजार पूंजीकरण 116 अरब डॉलर है.

चंद्रशेखरन ने टाटा संस में टीसीएस को बना दिया दुधारू गाय

टीसीएस अपनी होल्डिंग कंपनी टाटा संस के राजस्व में 73.7 फीसदी का योगदान करती है. टाटा संस को राजस्व उसकी सूचीबद्ध कंपनियों से लाभांश के रूप में मिलता है. चंद्रशेखरन ने टीसीएस को टाटा संस के लिए सबसे बड़ी नकद दुधारू गाय बना दिया है. वर्ष 2014-15 टाटा संस की कमाई में टीसीएस का 90 फीसदी हिस्सा था. अब टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में चंद्रशेखरन की जिम्मेदारी करीब 150 साल पुराने इस समूह को आगे बढ़ाने की होगी. समूह की 100 से अधिक कंपनियां परिचालन में हैं और ये कंपिनयां नमक और स्टील से लेकर गाडिय़ां और सॉफ्टवेयर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं.

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