आरके नीरद
क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के निधन पर पूरी दुनिया में शोक और संवेदना का माहौल है, लेकिन अमेरिका में उन्हें श्रद्धांजलि देने को लेकर दो तरह की तसवीरें सामने आ रही हैं. फिदेल का निधन ऐसे वक्त में हुआ है, जब अमेरिका में सत्ता बदल रही है, फिदेल के अड़ियल रवैये के कारण दशकों तक कड़े अमेरिकी प्रतिबंध झेलने वाला क्यूबा आर्थिक सुधार के रास्ते तलाश रहा है और क्यूबा-अमेरिकी संबंध में नये अध्याय की शुरुआत हो रही है. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फिदेल के प्रति दृष्टिकोण अहम है. फिदेल के निधन पर दोनों की प्रतिक्रिया में उनका नजरिया स्पष्ट है. बराक ओबामा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘दुनिया पर इस क्रांतिकारी नेता के ‘जबरदस्त प्रभाव’ को इतिहास आंकेगा.’ वहीं ट्रंप ने ट्रंप ने अपने पहले ट्वीट में बस इतना कहा, ‘फिदेल कास्त्रो इज डेड’. इसके कुछ घंटे बाद जारी अपने विस्तृत बयान में ट्रंप ने कास्त्रो को ‘एक निर्दयी तानाशाह बताया, जो करीब छह दशकों तक अपने लोगों का दमन करता रहा’ और उम्मीद जतायी कि ‘कास्त्रो की मौत से क्यूबाई अमेरिकियों को जल्द ही एक आजाद क्यूबा देखने को मिलेगा और क्यूबा आजाद भविष्य की ओर बढ़ सकेगा.’
ओबामा ने बेहद संयमित शब्दों में कास्त्रो को श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने कहा, ‘फिदेल कास्त्रो ने 1959 में सत्ता संभालने के बाद अनगिनत तरीकों से क्यूबा और यहां के लोगों के जीवन को बदल दिया. फिदेल का निधन क्यूबा के लोगों और कैरीबियाई द्वीप और अमेरिका के लिए एक भावनात्मक क्षण है. अमेरिका और क्यूबा के बीच संबंध दशकों से गहन राजनीतिक समझौतों का रहा है. दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंधों की बहाली 2014 के अंत में शुरू हुई. दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने का उद्देश्य पड़ोसी और मित्र देशों के रूप में साझा की गयी चीजों से भी है. इसमें पारिवारिक संबंध, संस्कृति, वाणिज्य और सामान्य मानवता शामिल है.’
ओबामा 88 वर्षो में पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने क्यूबा की यात्रा की थी आैर वहां के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो से मुलाकात की थी. राउल कास्त्रो फिदेल राउल के छोटे भाई हैं और उन्होंने अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारने की पहल की. इससे दोनों देशाें के संबंधों में नरमी भी आयी, लेकिन अमेरिका के नवनिर्वाचित डॉनल्ड ट्रंप द्वारा फिदेल के निधन के कुछ घंटे बाद उन्हें ‘निर्दयी तानाशाह’ करार देना, इस बात का संकेत है कि क्यूबा-अमेरिकी रिश्ताें में फिर से ठहराव आ सकता है. ट्रंप का रवैया पहले भी क्यूबा को लेकर सख्त रहा है. सितंबर में उन्होंने अपने एक चुनावी भाषण में कहा था, ‘अगर क्यूबा हमारी मांग पूरी नहीं करता, तो बराक ओबामा प्रशासन द्वारा दी गयी सभी रियायतें वापस ले ली जायेंगी.’
उधर फिदेल कास्त्रो की मौत पर अमेरिकी के फ्लॉरिडा के मियामी में लोगों ने सड़क पर उतरकर इसका जश्न मनाया. लोगों ने ‘आजादी-आजादी’ के नारे लगाये.
लोगों ने सड़कों पर गाड़ियों के हॉर्न बजाकर, ड्रम पीटकर, डांस कर और क्यूबा के झंडे दिखाकर अपनी खुशी जाहिर की. कई लोग खुशी से रो पड़े. खुशी के मारे लोगों ने एक-दूसरे को गले से लगा लिया. लोगों ने फेसबुक लाइव, इंस्टाग्राम पर फोटो पोस्ट कर अपनी खुशी जाहिर की. इनमें ज्यादातर वे लोग थे, जिन्हें क्यूबा की कम्युनिस्ट सरकार ने देश से बाहर निकाल दिया था. मियामी में क्यूबाई-अमेरिकी नागरिकों की संख्या ज्यादा है. अमेरिका में क्यूबा के लगभग 20 लाख नागरिक रहते हैं. इनमें से 70 प्रतिशत लोग फ्लॉरिडा में हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक टीचर पैब्लो अरेनसिबिया ने फिदेल की मौत पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा ‘यह दुःखद है कि हम किसी की मौत पर जश्न मना रहे हैं, लेकिन इस तरह के इंसान को कभी जन्म ही नहीं लेना चाहिए था.’ पैब्लो क्यूबा से 20 साल पहले भागकर मियामी आये.
78 साल के ह्यगो रिबस ने चिल्ला कर कहा, ‘कास्त्रो को बहुत पहले ही मर जाना चाहिए था. वह अपराधी था, हत्यारा था.’
वहीं आर्थिक विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि फिदेल की मौत के बाद क्यूबा में आर्थिक सुधार की गति में तेजी आ सकेगी. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में क्यूबा विशेषज्ञ आर्चरो लोपेज लेवी का कहना है ‘फिदेल की मौत के बाद बाजार आधारित सुधारों में तेजी आयेगी. देश में अव्यावहारिक कम्युनिस्ट पॉलिसी को खत्म किया जायेगा.’
वहीं, अमेरिकी मीडिया और सोशल मीडिया में फिदेल को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया आयी है. गार्जियन नेफिदेल कास्त्रो को ‘क्यूबा का क्रांतिकारी आइकॉन कहा है.’वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें तानाशाह कहा. उसने लिखा, ‘क्यूबा कापूर्व तानाशाह फिदेल कास्त्रो मर गया.’
अमेरिकी रेडियाे होस्ट स्टीफन मोलिनेक्स ने पोस्ट किया, ‘कास्त्रो अंतत: एक अच्छा कम्युनिस्ट थे.’
फिदेल-अमेरिकी टकराव
फिदेल कास्त्रो जीते जी अमेरिका के आगे झुके नहीं अौर इसी कारण अमेरिका की आंखों की किरकिरी बने रहे. जुलाई 2006 में स्वेच्छा से सत्ता छोड़ने और अपने भाई राउल कास्त्रो को उत्तराधिकारी बनाने के बाद भी क्यूबा उनकी की वैदेशिक नीति का अनुसरण करता रहा और अमेरिका की मरजी नहीं मानी. इस ने भले ही फिदेल को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलायी, मगर क्यूबा का आर्थिक हालत खराब हुई और अमेरिका से उसके संबंधों में कटुता बनी रही.
अमेरिका जिन कारणों से फिदेल से राजनीतिक नफरत करता रहा, उसमें कास्त्रो का सोवियत रूस के साथ जुड़ाव एक था. फिदेल ने तत्कालीन सोवियत रूस को क्यूबा सीमा में परमाणु मिसाइल तैनात करने की इजाजत दी थी. रूस की योजना अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य से मात्र 144 किलोमीटर दूर परमाणु हथियार ले जाने वाली मिसाइल स्थापित करना था. इससे 1962 में विश्व परमाणु युद्ध की नौबत आयी. यह तनाव क्यूबाई जमीन से मिसाइल दूर रखने पर मॉस्को के सहमति जताने पर दूर हुआ. फिदेल ने तब भी अमेरिका की परवाह नहीं की थी. इस बात को अमेरिकी समाज अब तक नहीं भूल पाया है. फिदेल की मौत के कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी रेडियाे होस्ट स्टीफन मोलिनेक्स ने वाशिंगटन पोस्ट की 1959 की टिप्पणी को ट्वीटर पर पोस्ट किया है, जिसमें लिखा था, ‘कास्त्रो के क्यूबा में सोवियत उपग्रह स्थापित करने की अगर वास्तव में कोई संभावना है, तो यह बहुत बड़ी भूल है.’
फिदेल कास्त्रो पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने क्यूबा में आर्थिक प्रतिबंध लगाये. उसे उम्मीद थी कि आर्थिक संकट पैदा होने पर क्यूबा में कास्त्रों सत्ता के खिलाफ विद्रोह पैदा होगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. फिदेल सत्ता में बने रहे और अमेरिका को निराशा ही हाथ लगी.
हालांकि दिसंबर 2014 में संबंधों में राउल कास्त्रो ने आर्थिक सुधार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से हाथ मिलाने की घोषणा की. भले इस घोषणा ने दुनिया को आश्चर्यचकित किया, मगर अमेरिका ने उनकी पहल का स्वागत किया. ओबामा ने क्यूबा का यात्रा की और उसे मदद की भी पेशकश की. ओबामा ने क्यूबा के साथ नये सिरे से राजनयिक संबंध स्थापित किये और इस बात को स्वीकारा कि दशकों तक प्रतिबंध झेलने वाले क्यूबा में लोकतंत्र लागू कराने और पश्चिमी शैली के आर्थिक सुधार करने में सफलता नहीं मिली. उन्होंने क्यूबाई लोगों की मदद करने के लिए दूसरा तरीका अपनाने की जरूरत महसूस की थी, मगर क्यूबा-अमेरिकी संबंधों को लेकर आगे सबकुछ ट्रंप के रुख पर निर्भर करेगा.