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फिडेल कास्त्रो का बराक ओबामा पर वह तीखा कटाक्ष नहीं भूले हैं लोग

हवाना : असाधारण नेताअपनेव्यक्तित्व केसाथ ही अपनी टिप्पणियों के लिए भी जाने जाते हैं. क्यूबा के क्रांतिकारी नेता फिडेल कास्त्रो भी ऐसे ही नेता थे. इसी साल जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा क्यूबा के ऐतहासिक दौरे पर गये थे, तब फिडेल कास्त्रो ने साधारण शब्दों में एक असाधारण टिप्पणी की.ओबामा की क्यूबा यात्रा पर लिखे […]

हवाना : असाधारण नेताअपनेव्यक्तित्व केसाथ ही अपनी टिप्पणियों के लिए भी जाने जाते हैं. क्यूबा के क्रांतिकारी नेता फिडेल कास्त्रो भी ऐसे ही नेता थे. इसी साल जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा क्यूबा के ऐतहासिक दौरे पर गये थे, तब फिडेल कास्त्रो ने साधारण शब्दों में एक असाधारण टिप्पणी की.ओबामा की क्यूबा यात्रा पर लिखे लेख में उन्होंने कहा – बराक ओबामा की मीठी बातों से क्यूबा के किसी भी आदमी को दिल का दौरा पड़ सकता है. गैरनमा समाचार पत्र में लिखे लेख में उन्होंने कहा कि अमेरिका के उपहारों की क्यूबा को कोई जरूरत नहीं है.

इतिहास बनाने व उसकी धारा को बदलने की ओबामा की कोशिशों पर यह तीखा कटाक्ष था, जो उन कड़वे अनुभवों से उत्पन्न हुआ था जो उन्होंने अमेरिका के खिलाफ संघर्ष करते हुए एकत्र किये थे. कास्त्रो की यह अमेरिका विरोधी सोच ही उनकी वैश्विक पहचान बन गयी. कास्त्रो के लेख का शीर्षकथा : अल हेरमानो ओबामा…ब्रदर ओबामा. ओबामा इसी साल मार्च में क्यूबा गये थे और बीते 88 साल में यह किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की पहली क्यूबा यात्रा थी.

फिडेल कास्त्रो के निधन की घोषणा क्यूबा के सरकारी टीवी परउनकेभाई व राष्ट्रपति राउल कास्त्रो के हवाले से की गयी. वे पिछले दस सालों से बीमारी से ग्रस्त थे और लगभग 46 साल तक पहले प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति के रूप में शासन करने के बाद 2008 में पद छोड़ दिया और अपने छोटे भाई राउल कास्त्रो को क्यूबा का राष्ट्रपति बनाया. वे 1959 से 1976 तक प्रधानमंत्री और उसके बाद से राष्ट्रपति रहे.

1959 की क्यूबा क्रांति के नायक कास्त्रो का पूरा नाम फिडेल ऐलेजैंड्रो कास्त्रो रूज है और इस 13 अगस्त को राष्ट्रीय उत्सव के रूप में उनका 90वां जन्मदिवस मनाया गया. फिडेल कास्त्रो जीवित नेताओं में क्वीन एलिजाबेथ – 2 केबादसबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता थे. आठ जनवरी, 1959 को विजयी होने के बाद हवाना में प्रवेश के साथ ही उन्होंने शक्ति व प्रतीकों के साथ अपना वर्चस्व कायम किया.

वे अमेरिका समर्थितफुल्गेंकियो बतिस्ता के शासन के विरोधी थे और उसके खिलाफ क्रांति कर एक दलीय कम्नुनिस्ट शासन को कायम किया. एक अमीर चीनी कारोबारी के परिवार में पैदा हुए फिडेल कास्त्रो पर एक डाक्यूमेंट्री बनायी गयी है, जिसका शीर्षक है बेस टू कील कास्त्रो. फिडेल कास्त्रो की सुरक्षा की जिम्मेवारी संभालने वाले फबियन कस्कालान्ते के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए ने 638 बार उनकी हत्या की कोशिश की. इसमें से अधिकतर मामले 1960 के दशक के हैं.

कैथोलिक परिवार में जन्म लेने के बावजूद कास्त्रो नास्तिक थे. साम्यवादी कास्त्रो को धर्म बहिष्कृत भी किया गया, लेकिन वे अपनी मान्यताओं पर कायम रहे. हालांकि अपनी उम्र के ढलान पर 1992 में वे कैथलिकों को क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होने देने को राजी हुए.

2001 में मिशेल तूफान की वजह से बड़े स्तर पर हुए नुकसान के बाद कास्त्रो सिर्फ एक बार अमेरिका से खाद्यान्न की नकद खरीद को राजी हुए. उन्होंने अमेरिका की मानवीय सहायता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.

2001 में मिशेल तूफान की वजह से बड़े पैमाने पर हुए नुकसान के बाद, कास्त्रो ने अमेरिका से सिर्फ एक बार भोजन की नकद खरीद का फैसला किया, जबकि अमेरिका का मानवीय सहायता का प्रस्ताव उन्होंने खारिज कर दिया.[77] प्रतिबंध लगाने के बाद पहली बार 2001 में अमेरिका ने खाद्यान्न के जहाज जाने की अनुमति दी.[78] 2004 के दौरान, कास्त्रो ने ईंधन की कमी के कारण इस्पात संयंत्र, चीनी मिलों और कागज मिलों सहित 118 कारखाने बंद कर दिए[79] और 2005 में वेनेजुएला से तेल के आयात के बदले क्यूबा के हजारों डॉक्टरों को वहां जाने का निर्देश दिया.

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