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अमेरिका के खिलाफ डटे रहने वाले नेता फिदेल कास्त्रो का निधन

हवाना : छोटे से क्यूबा को शक्तिशाली पूंजीवादी अमेरिका के पैर का कांटा बनाने वाले गुरिल्ला क्रांतिकारी एवं कम्युनिस्ट नेता फिडेल कास्‍त्रो का आज निधन हो गया. वह 90 वर्ष के थे. क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का कहना था कि वह राजनीति से कभी संन्यास नहीं लेंगे लेकिन उन्हें जुलाई 2006 में आपात […]

हवाना : छोटे से क्यूबा को शक्तिशाली पूंजीवादी अमेरिका के पैर का कांटा बनाने वाले गुरिल्ला क्रांतिकारी एवं कम्युनिस्ट नेता फिडेल कास्‍त्रो का आज निधन हो गया. वह 90 वर्ष के थे. क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का कहना था कि वह राजनीति से कभी संन्यास नहीं लेंगे लेकिन उन्हें जुलाई 2006 में आपात स्थिति में आंतों का ऑपरेशन कराना पड़ा जिसके कारण उन्होंने सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो के हाथ में सौंप दी.

राउल ने अपने भाई के अमेरिका विरोधी रुख के विपरीत काम करते हुए दिसंबर 2014 में संबंधों में सुधार के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ हाथ मिलाने की घोषणा करके दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया. जैतून के रंग की वर्दी, बेतरतीब दाढी और सिगार पीने के अपने अंदाज के लिए मशहूर फिदेल ने स्वास्थ्य कारणों के चलते अनिच्छा से राजनीति छोड़ी.

फिदेल ने अपने देश में पैदा होने वाले असहमति के सुरों पर कड़ा शिकंजा बनाये रखा और वाशिंगटन की मर्जी के विपरीत चलकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनायी. फिदेल को अंतत: राजनीति के खेल में जीत मिली. हालांकि क्यूबा के लोग गरीबी में ही जीते रहे और जिस क्रांति का एक समय बहुत प्रचार किया था, उसने अपनी चमक खो दी. फिदेल कास्त्रो का अंतिम संस्‍कार शनिवार को किया जाएगा.

ओबामा ने क्यूबा के साथ राजनयिक संबंध नये सिरे से स्थापित किये. उन्होंने भी स्वीकार किया कि क्यूबा पर दशकों तक लगाये गये प्रतिबंधों के बावजूद क्यूबा में लोकतंत्र लागू कराने और पश्चिमी शैली के आर्थिक सुधार करने में सफलता नहीं मिली और अब क्यूबाई लोगों की मदद करने के लिए कोई अन्य तरीका अपनाने का समय आ गया है. तेजतर्रार व्यक्तित्व के धनी और शानदार वक्ता फिदेल कास्त्रो ने अपने शासन में अपनी हत्या की साजिशों, अमेरिका के समर्थन से की गयी आक्रमण की कोशिश और कड़े अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों समेत अपने सभी शत्रुओं की सभी कोशिशों को नाकाम कर दिया.

13 अगस्त 1926 को जन्मे फिदेल के पिता एक समृद्ध स्पेनी प्रवासी जमींदार थे और उनकी मां क्यूबा निवासी थी. बचपन से ही कास्त्रो चीजों को बहुत जल्दी सीख जाते थे और एक बेसबॉल प्रशंसक थे. उनका अमेरिका की बड़ी लीगों में खेलने का सुनहरा सपना था लेकिन खेल में भविष्य बनाने का सपना देखने वाले फिदेल ने बाद में राजनीति को अपना सपना बनाया. उन्होंने फुलगेंसियो बतिस्ता की अमेरिका समर्थित सरकार के विरोध में गुरिल्ला का गठन किया.

बतिस्ता ने 1952 के तख्तापलट के बाद सत्ता पर कब्जा किया था. इस विरोध में संलिप्पता के कारण युवा फिदेल को दो साल जेल में रहना पड़ा और इसके बाद वह अंतत: निर्वासन में चले गये और उन्होंने विद्रोह के बीज बोये. उन्होंने अपने समर्थकों के साथ ग्रानमा पोत से दक्षिण पूर्वी क्यूबा में कदम रखते ही दो दिसंबर 1956 को क्रांति की शुरुआत की. फिदेल ने सभी चुनौतियों से पार पाते हुए 25 महीनों बाद बतिस्ता को सत्ता से बेदखल किया और प्रधानमंत्री बने.

एक समय निर्विवाद रूप से सत्ता में रहे फिदेल का झुकाव सोवियत संघ की ओर था. अमेरिका के 11 राष्ट्रपति सत्ता में आकर चले गये लेकिन फिदेल सत्ता में बने रहे. इस दौरान अमेरिका के हर राष्ट्रपति ने 1959 की क्रांति के बाद से उनके शासन पर दशकों तक दबाव बनाने की कोशिश की. इस क्रांति ने 1989 के स्पेनी-अमेरिकी युद्ध के बाद से क्यूबा पर वाशिंगटन के प्रभुत्व के लंबे दौर का अंत कर दिया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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