बीजिंग : एनएसजी में भारत की सदस्यता के प्रयास का विरोध कर रहे चीन ने आज पहली बार कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए ‘‘दरवाजे खुले हैं.” लेकिन साथ ही भारत का समर्थन करने के लिए अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा कि वह उन देशों में शामिल था जिसने एनएसजी में गैर एनपीटी देशों के प्रवेश के खिलाफ नियम बनाए.
चीन के विदेश मंत्रालय ने 48 सदस्यों वाले एनएसजी से कहा कि क्या इस समूह में गैर एनपीटी देशों को शामिल करने के लिए नियमों में बदलाव होने चाहिए, इस पर ‘‘ध्यान केंद्रित करें.”
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैंने भारत का समर्थन करने वाले अमेरिकी बयान को नहीं देखा है. लेकिन अमेरिका उन देशों में शामिल है जिसने नियम बनाए कि गैर एनपीटी देशों को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा, ‘‘संबंधित नियम इस सिद्धांत पर बना कि एनएसजी के केंद्र में एनपीटी था.” हुआ ने इस सवाल पर यह टिप्पणी की कि क्या अमेरिका परमाणु व्यवसाय क्लब के सदस्यों से कह रहा है कि भारत के आवेदन का समर्थन करें.
बाद में भारतीय मीडिया से बात करते हुए हुआ ने कहा कि एनएसजी सदस्यों के बीच इस बात को लेकर जहां चर्चा चल रही है वहीं सोल में वर्तमान बैठक में नये सदस्यों को शामिल करना सूचीबद्ध नहीं हुआ है. हुआ ने कहा, ‘‘दरवाजे खुले हुए हैं. संभावना है. हमने कभी नहीं कहा कि हम किसी के खिलाफ हैं. हमने किसी देश को लक्षित नहीं किया चाहे भारत हो या पाकिस्तान.”
हुआ ने कहा कि चीन एनएसजी में नये सदस्यों को शामिल करने के लिए अप्रसार संधि (एनपीटी) की चिंता करता है. उन्होंने कहा, ‘‘यह अंतरराष्ट्रीय अप्रसार का मुख्य हिस्सा है. अगर अप्रसार संधि में बदलाव होता है तो हम ईरान की परमाणु संधि की कैसे व्याख्या कर सकते हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘ईरान के साथ हाल में हमारी संधि हुई. उत्तर कोरिया का मुद्दा भी है… इसलिए यह मुख्य मुद्दे से संबंधित है कि क्या एनपीटी और अप्रसार व्यवस्था इससे प्रभावित होगी.”
हुआ ने कल की बात को दोहराते हुए कहा, ‘‘मेरी समझ के मुताबिक यह सोल में एनएसजी के एजेंडा में शामिल नहीं है.” उन्होंने कहा, ‘‘गैर एनपीटी सदस्यों को शामिल करने के लिए दरवाजे खुले हुए हैं. यह कभी बंद नहीं हुआ. यह खुला हुआ है. लेकिन एनएसजी के सदस्यों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या नियम में बदलाव हो सकते हैं और क्या गैर एनपीटी सदस्यों को एनएसजी में शामिल किया जाना चाहिए.”
अमेरिका द्वारा भारत के प्रयास का समर्थन करने के बारे में हुआ ने कहा, ‘‘हम नियमों की चिंता करते हैं. अमेरिका नियम तय करता है. यह चीन और भारत के बीच का मुद्दा नहीं है बल्कि अप्रसार प्रणाली का स्तम्भ है.” चीन के विरोध के बीच भारत की एनएसजी सदस्यता का अमेरिका ने फिर से समर्थन किया है और सदस्य देशों से कहा है कि सोल में होने वाली पूर्ण बैठक के दौरान समूह में भारत के प्रवेश का समर्थन करें.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारा मानना है और यह अमेरिका की नीति रही है कि भारत सदस्यता के लिए तैयार है और संयुक्त राष्ट्र परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के पूर्ण सत्र में भारत के आवेदन पर भागीदार देश समर्थन करें.” अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘साथ ही समूह में किसी सदस्य को प्रवेश देने के लिए भाग लेने वाले देशों के बीच सहमति होना जरुरी है और संयुक्त राष्ट्र निश्चित रुप से भारत की सदस्यता की वकालत करेगा.” दक्षिण कोरिया की राजधानी में 48 देशों का पांच दिवसीय वार्षिक सत्र कल शुरू हुआ.
प्रतिष्ठित समूह के अधिकतर सदस्यों ने जहां भारत की सदस्यता का समर्थन किया वहीं समझा जाता है कि चीन के अलावा तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देश एनएसजी में भारत के प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं.
चीन इस आधार पर भारत के प्रवेश का विरोध कर रहा है कि उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है. बहरहाल उसका कहना है कि अगर एनएसजी भारत को कोई छूट देता है तो वह अपने निकट सहयोगी पाकिस्तान के प्रवेश की वकालत करेगा. भारत द्वारा सदस्यता के लिए आवेदन देने के एक हफ्ते बाद पाकिस्तान ने भी एनएसजी सदस्यता के लिए आवेदन दे दिया.