बीजिंग : बडे पैमाने पर सुधारों की दिशा मेंबढ़ रही चीनी सेना ने आज कहा कि युद्धों को जीतना उसकी शीर्ष प्राथमिकता होना चाहिए क्योंकि चीन को मजबूत ताकत बनकर उभरता हुआ नहीं देखने वाली ‘शत्रु ताकतें’ कम्युनिस्ट राष्ट्र का रास्ता रोकने की कोशिश कर रही हैं. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सरकारी दैनिक में प्रकाशित एक लेख में कहा गया हैकि राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अध्यक्षता वाले सेंट्रल मिलिटरी कमीशन के तहत युद्धों को जीतना पुनर्गठित सैन्य एजेंसियों की शीर्ष जिम्मेदारी होना चाहिए.
राष्ट्रपति शी द्वारा सोमवार को सीएमसी के तहत चारों सैन्य मुख्यालयों का 15 नई एजेंसियों के रुप में पुनर्गठन किए जाने के बाद से इस प्रकार का यह दूसरा लेख है जिसमें कहा गया है कि चीन के सुरक्षा हालात को कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है. सरकारी संवाद समिति शिन्ह्वा ने दैनिक के हवाले से बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा हालात को नई और गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें पारंपरिक और गैर पारंपरिक खतरे शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि जो ‘शत्रु ताकतें’ चीन को मजबूत होकर उभरते हुए नहीं देखना चाहतीं वे देश की राह रोकने की कोशिश कर रही हैं.
देश की संप्रभुत्ता, सुरक्षा और विकास की रक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए पीएलए दैनिक के लेख में सीएमसी एजेंसियों से अपील की गयी है कि वे युद्धास्त्रों की क्षमता और गुणवत्ता में सुधार करते हुए युद्धों को जीतने पर ध्यान केंद्रित करें. लेख में कहा गया है कि रक्षा एजेंसियों को बिना समय गंवाए नए आपरेशनल कमांड सिस्टम को अपनाने, शोध पर सक्रियता से ध्यान देने और कर्मचारियों के प्रशिक्षण की योजना तैयार करनी चाहिए ताकि एक एकीकृत, प्रभावी संयुक्त कमान प्रणाली सुनिश्चित की जा सके. उल्लेखनीय है कि अमेरिका के साथ रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता के साथ ही चीन दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, मलेशिया, फिलिपीन , ब्रुनेई और ताइवान के साथ जहाजरानी विवाद में उलझा है.
ईस्ट चाइना सी के द्वीपों को लेकर उसका जापान के साथ भी विवाद चल रहा है. इसके साथ ही भारत चीन सीमा विवाद भी अनसुलझा पड़ा है. हालांकि दोनों देशों ने रिश्तों को सुधारने और सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं. शी ने 11 जनवरी को चीन की 23 लाख संख्या बल वाली सशस्त्र सेनाओं को कड़ाई से सत्तारुढ कम्युनिस्ट पार्टी के आदेशों का पालन करने और साथ ही युद्धों को जीतने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था. उन्होंने विश्व की सबसे बडी सेना पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए सैन्य मुख्यालयों का पुनर्गठन किया था.