वाशिंगटन : ओबामा प्रशासन के भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की महत्वाकांक्षी योजना के तहत आगे बढने के बीच यूएस पैसिफिक कमांड के शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत अमेरिका के लिए एक शानदार अवसर मुहैया कराता है. यूएस पैसिफिक कमांड (पीएसीओएम) के कमांडर एडमिरल हैरी बी हैरिस ने एशिया प्रशांत में समुद्री सुरक्षा रणनीति पर एक बहस के दौरान सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा, ‘भारत हमारे लिए एक शानदार अवसर मुहैया कराता है. उनके और हमारे मूल्य एवं मानदंड साझा हैं. मेरा एक उद्देश्य भारत के साथ संबंध मजबूत करना है.’
हैरिस ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘रक्षा मंत्री और सहायक रक्षा मंत्री केंडल के डीटीटीआइ संबधी कार्य से हमें भारत के साथ संबंध मजबूत करने के जो अवसर मिले, मैं उन्हें लेकर बहुत उत्साहित हूं. डीटीटीआइ भारत के साथ ऐसा रक्षा कार्यक्रम है जिससे भारत को अपनी सेना को मजबूत करने और अपने लिए विमान वाहक बनाने और विमान वाहक क्षमता पैदा करने में मदद मिलेगी.’
एशिया एवं प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा मंत्री डेविड बी शियर ने कहा कि अमेरिका दक्षिण एशिया विमान वाहक तकनीक साझा करने और डिजाइन तैयार करने में भारतीय नौसेना के साथ मिलकर काम कर रहा है. शियर ने कहा कि अमेरिका-भारत संयुक्त विमान वाहक कार्य समूह (जेएसीडब्ल्यूजी) की पहली औपचारिक बैठक अगस्त में हुई थी जिसका नेतृत्व भारत के वेस्टर्न फ्लीट के कमांडर इन चीफ वाइस एडमिरल चीमा ने किया था.
शियर पिछले सप्ताह भारत में थे और उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा एवं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एशिया प्रशांत क्षेत्र संबंधी दृष्टिकोण के संबंध में लागू की जाने वाली रणनीतियां विकसित करने के लिए पिछले सप्ताह भारतीय अधिकारियों के साथ वार्ता की थी.
उन्होंने कहा, ‘जब राष्ट्रपति ओबामा जनवरी में भारत गये थे तब उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद महासागर और पूर्वी एशिया संबंधी एक संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण जारी किया था. हम उसे लागू करने के तरीके तैयार करने की प्रक्रिया में हैं.’ शियर ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि अमेरिका के पहले ही भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम संबंधों को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करेंगे. हम हर वर्ष मालाबार अभ्यास करते हैं जिसमें हमने और भारत ने हाल में जापान को भी शामिल करने का निर्णय लिया है इसलिए अब यह हर वर्ष होगा. यह क्षेत्र में एक मजबूत त्रिपक्षीय अभ्यास होगा.’