मोबाइल फोन का बेऊर कनेक्शन, फेल हो रहा जेल प्रशासन
हत्या, अपहरण, रंगदारी जैसी संगीन वारदातों को बंदी के गुर्गे दे रहे अंजाम
नितिश, पटना
बेऊर जेल के अंदर बंद कई कुख्यात अपराधी जेल के अंदर ही अपराध की योजनाएं बना कर मोबाइल फोन से गिरोह चला रहे हैं. कई बड़ी घटनाओं में इनकी संलिप्तता के पुख्ता सबूत मिले हैं, पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से रोक नहीं लग पा रही है. हर बड़ी घटना का बेऊर कनेक्शन दिखता है.
भाजपा नेता अविनाश के हत्या मामले में भी बेऊर जेल में बंद पंकज कुमार (सालिमपुर अहरा) व अशोक उर्फ पिंटू (बिहटा) द्वारा सुपारी लेकर हत्या का मामला प्रकाश में आया है. इससे पहले पंकज सिंह ने जेल से ही अपने गुर्गों से बिल्डर शैलेश की हत्या करायी थी. इस संबंध में जेल आइजी प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि जेल के अंदर हमेशा छापेमारी होती है. गेट पर भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है. जेल के अंदर अपराध की साजिश रचे जाने व मोबाइल फोन के हो रहे उपयोग की जांच के निर्देश दिये गये हैं.
केस 1
ट्रांसपोर्ट नगर के पास बिल्डर शैलेश कुमार की हत्या जेल में बंद पंकज सिंह के निर्देश पर हुई थी. इसका खुलासा गिरफ्तार कांट्रेक्ट किलर ने किया था. पंकज शराब व्यवसायी साकेत गुप्ता हत्याकांड में बंद है. पंकज ने शैलेश के बिजनेस पार्टनर राजेश यादव से इसकी सुपारी ली थी.
केस 2
पुलिस ने बोरिंग रोड के एक नामचीन बिल्डर की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया था. इसमें कुख्यात बिंदु सिंह के आठ कांट्रेक्ट किलरों को पुलिस ने पकड़ा था. इनसे पुलिस को यह जानकारी मिली कि यह गिरोह जेल में बंद बिंदु सिंह के इशारे पर घटना को अंजाम देता है.
केस 3
पुलिस ने आनंदपुरी के बिल्डर गिरीश कुमार व दानापुर के डॉक्टर नागेश्वर की हत्या की साजिश नाकाम कर दी थी. इन दोनों की हत्या करने के लिए जेल के अंदर से कुख्यात शंकर राय (मंदिरी) ने निर्देश दिया था. इसका खुलासा उस समय हुआ, जब पुलिस ने शंकर गिरोह के छह लोगों को गिरफ्तार किया.
अविनाश की हत्या की सुपारी भी बेऊर जेल में बंद पंकज व अशोक ने ली थी. मोबाइल फोन से हमेशा बातचीत होने की जानकारी िमली है. मोबाइल फोन बरामद करने के िलए जेल में समय-समय पर छापा मारा जाता है. – dUIYfÀf U`·fU, एसएसपी
जांच का विषय . ªजेल में कैसे पहुंच रहा मोबाइल फोन
पुलिस जब भी वहां छापेमारी करती है, तो हमेशा मोबाइल फोन बरामद किये जाते हैं. जनवरी से लेकर जुलाई तक दो दर्जन से अधिक मोबाइल बरामद किये जा चुके हैं. आठ दिसंबर, 2012 को बेऊर जेल प्रशासन ने 700 मोबाइल फोन की नीलामी की थी. ये मोबाइल फोन जेल के अंदर से ही लावारिस हालत में बरामद किये गये थे और इन पर किसी बंदी ने अपना दावा नहीं किया था. जांच का विषय है कि फोन जेल के अंदर में कैसे पहुंच रहे हैं.
सुरक्षा की चुनौती. ³नक्सली से लेकर कुख्यात तक बंद
बेऊर जेल में काफी मजबूत सुरक्षा घेरा बनाया गया है. यहां नक्सली से लेकर कई कुख्यात अपराधी बंद हैं, लेकिन इतनी सुरक्षा के बीच जेल के अंदर मोबाइल फोन पहुंचना कई सवाल खड़े करते हैं. पूर्व एसएसपी जितेंद्र राणा ने भी सिविल कोर्ट के हाजत में चेकिंग की थी. इस दौरान कैदियों के पास से मोबाइल व सिम बरामद किये गये थे. सभी कैदी सिविल कोर्ट में पेशी के लिए आये थे. इस मामले में एसएसपी ने चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था.
आश्चर्य की बात. ªजेल के अंदर से फेसबुक का संचालन
जेल के अंदर बंद अपराधी राहुल राज द्वारा एंड्रॉयड मोबाइल फोन से सोशल साइट का इस्तेमाल किया जा रहा था. वह अपना फेसबुक एकाउंट को भी अपडेट कर रहा था. इसका खुलासा उस समय हुआ, जब आरोपित ने एक नाबालिग छात्र की कुछ अश्लील तसवीरें फेसबुक पर डालीं. छात्र के परिजनों ने तसवीर देख लीं और तत्कालीन एसएसपी जितेंद्र राणा को जानकारी दी. इसके बाद जेल प्रशासन ने छापेमारी कर राहुल राज से मोबाइल फोन बरामद किया.
कठघरे में तीसरी आंख. सीसीटीवी कैमरे भी हैं खराब
सूत्रों की मानें तो जेल के अंदर लगे तमाम सीसीटीवी कैमरे िपछले चार-वर्षों से खराब हैं. बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी के फ्लैट से टाइमर बम विस्फोट के मामले में पकड़े गये कुंदन के संबंध में जानकारी ली गयी, तो मामले का खुलासा हुआ. अनुसंधान के क्रम में कुंदन के बारे में जानने के िलए पटना पुलिस ने जब बेऊर जेल प्रशासन से वहां लगे सीसीटीवी कैमरों का वीडियो फुटेज मांगा था, तब वहां से बताया गया था कि वर्ष 2010 से ही जेल के अंदर लगे तमाम 34 सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं. शिकायत के बाद भी ठीक नहीं हुए.