।।चुनचुन यादव।।
पूर्व विधायक, नाथनगर
आज की राजनीति में जो धनबली और बाहुबली हैं वहीं राजनीति कर सकता है. उसी की पूछ आज की पॉलिटिक्स में है. एक अच्छा आदमी जिसके पास पैसे नहीं हैं वह राजनीति नहीं कर सकता है.
69 में विधानसभा पहुंचने वाले चुनचुन यादव ने बीते दौर और आज के राजनीतिक परिदृश्य को अपने नजरिये से समझाया. 1957 में जगदीशपुर से मुखिया का चुनाव लड़ राजनीति में पहला कदम रखने वाले चुनचुन यादव जनसंघ के टिकट पर 1969 में पहली बार नाथनगर विधानसभा से चुनाव जीत कर विधायक बने. वह बताते हैं कि उस समय विधायक के चुनाव में पैसा कोई मायने नहीं रखता था. सब मिल कर चुनाव लड़ते थे.
पहले के चुनाव में दिन भर पैदल चलते थे. दिन को सत्तू व चूड़ा खाते थे. रात में रोटी सब्जी या दाल-भात सब मिल कर खाते थे. इसके बाद कहते हैं-अब पैदल चलकर कोई प्रचार करता हुआ नहीं दिखता है. चुनाव के समय बड़ी-बड़ी गाड़ियों में ही लोग आते हैं. जनता नेता को कम और गड़ियों को ज्यादा निहारती है. इस समय चुनचुन यादव की उम्र 88 वर्ष है. अपने लोकसभा चुनाव के बारे में बताते हैं कि लोकसभा का पहला चुनाव मात्र छह हजार रुपये से चुनाव लड़ा. अभी के चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं.
किस मद में इतने पैसे खर्च होते हैं, यह मेरी समझ में नहीं आता है. उन्होंने बताया- उस समय मेरे पास किराये की एक जीप थी. उसी से चुनाव प्रचार मैं करता था. अब तो लग्जरी वाहनों का रैला निकलता है. आम जनता से बतिआने का किसी के पास टाइम नहीं है. सिर्फ नमस्ते करके आगे बढ़ जाते हैं लोग.
आज की राजनीति जनता से कट चुकी है. यह समाज और राजनीति के लिए ठीक नहीं है.
शायद यही वजह है कि आज की राजनीति के प्रति लोगों में आस्था नहीं है. यह आस्था पहले थी, अब नहीं है. यह दीगर है कि लोग वोट देने जाते हैं और राजनैतिक विमर्श में शामिल रहते हैं. पर नेताओं या राजनीति को लेकर आकर्षण नहीं है. यह सबके लिए चिंता की बात है. इसका अर्थ यह भी है कि राजनीति को समाज से जुड़ने की दिशा में काम करना होगा.