Chanakya Niti: सफलता प्राप्त करने की चाहत भला किसे नहीं होती है? लेकिन लोगों को सफल होने के लिए दैनिक जीवन में क्या क्या करना चाहिए इसकी जानकारी नहीं होती है. क्या जी तोड़ मेहनत और अनुशासन ही सफल होने के लिए काफी है. नहीं. क्योंकि इन दो चीजों के अलावा और भी कई चीजों की जरूरत पड़ती है, जिसे लोग नहीं समझ पाते हैं या फिर समझ भी लेते हैं तो बहुत कम लोग उन चीजों को फॉलो कर पाते हैं. लेकिन आचार्य चाणक्य ने हजारों साल पहले ही यह बता दिया था कि सफल लोग क्या अलग करते हैं. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि व्यक्ति का उठना-बैठना, बोलचाल, समय का उपयोग और अनुशासन ही उसके भविष्य की दिशा तय करता है. चाणक्य नीति के अनुसार सफल लोग अपनी दिनचर्या में कुछ ऐसी चीज करते हैं जो सामान्य व्यक्ति नहीं कर पाते हैं.
समय का महत्व सबसे ऊपर
चाणक्य नीति में समय को सबसे बड़ा धन बताया गया है. सफल व्यक्ति दिन की शुरुआत एक तय समय पर करता है और अपने हर काम के लिए एक समय निर्धारित रखता है. वे न तो आलस्य में समय गंवाते हैं और न ही बेवजह की गतिविधियों में उलझते हैं.
सुबह की शुरुआत संयम और चिंतन से
चाणक्य के अनुसार सुबह का समय सबसे पवित्र और प्रोडक्टिव होता है. सफल लोग सुबह उठकर जल्दबाजी नहीं करते, बल्कि थोड़ी देर आत्मचिंतन, योजना और मन को स्थिर करने में लगाते हैं. इससे दिनभर के काम स्पष्ट दिशा में आगे बढ़ते हैं.
कम बोलना, सोच-समझकर बोलना
चाणक्य नीति कहती है कि अधिक बोलने वाला व्यक्ति अक्सर अपनी ही हानि करता है. सफल लोग हर जगह अपनी राय नहीं देते, बल्कि परिस्थिति और व्यक्ति को देखकर बोलते हैं. उनकी दिनचर्या में वाणी पर संयम एक अहम हिस्सा होता है.
अनुशासन को आदत बनाना
सफलता और अनुशासन का गहरा संबंध है. चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति नियमों का पालन खुद से नहीं करता, वह दूसरों से भी सम्मान नहीं पा सकता. सफल लोग खाने, सोने, काम करने और आराम करने के समय में अनुशासन बनाए रखते हैं.
गलत संगत से दूरी
चाणक्य नीति में बार-बार इस बात पर जोर दिया गया है कि संगत व्यक्ति के चरित्र और भविष्य को प्रभावित करती है. सफल लोग अपनी दिनचर्या में ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखते हैं जो नकारात्मक सोच फैलाते हैं या समय की बर्बादी करते हैं.
ज्ञान और सीखने को प्राथमिकता देते हैं
चाणक्य ने हमेशा माना है कि ज्ञान ऐसा धन है जिसे कोई छीन नहीं सकता. सफल लोग रोज कुछ न कुछ सीखने की आदत रखते हैं, चाहे वह किताब हो, अनुभव हो या किसी गलती से मिली सीख. उनकी दिनचर्या में सीखने का समय तय होता है.
क्रोध और भावनाओं पर नियंत्रण
चाणक्य नीति कहती है कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है. सफल लोग गुस्से में कोई फैसला नहीं लेते. वे अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखकर सोच-समझकर निर्णय लेते हैं, जिससे वह नुकसान से हमेशा बचे रहते हैं.
लक्ष्य पर नजर और कर्म पर भरोसा
सफल व्यक्ति हर दिन अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम करता है. चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति केवल फल की चिंता करता है, वह कर्म से भटक जाता है. सफल लोग परिणाम की चिंता छोड़कर अपने कर्म पर ध्यान देते हैं.
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