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PRABHAT KHABAR EXCLUSIVE: अमित शाह ने कहा, लौटा है पीएमओ का सम्मान

नरेंद्र मोदी की सरकार एक वर्ष पूरा कर चुकी है. सत्ता पक्ष एक साल के कार्यकाल को सफल मान रहा है, जबकि विपक्ष कमियां गिना रहा है. इस एक साल में सरकार की उपलब्धियों, भूमि अधिग्रहण बिल, भाजपा संगठन व उसकी नयी कार्य-संस्कृति, कोर एजेंडे पर पार्टी के रुख, आरएसएस से रिश्ते, छोटे दलों से […]

नरेंद्र मोदी की सरकार एक वर्ष पूरा कर चुकी है. सत्ता पक्ष एक साल के कार्यकाल को सफल मान रहा है, जबकि विपक्ष कमियां गिना रहा है. इस एक साल में सरकार की उपलब्धियों, भूमि अधिग्रहण बिल, भाजपा संगठन व उसकी नयी कार्य-संस्कृति, कोर एजेंडे पर पार्टी के रुख, आरएसएस से रिश्ते, छोटे दलों से संबंध और बिहार, झारखंड व बंगाल की राजनीति पर प्रभात खबर के वरिष्ठ संपादक अनुज कुमार सिन्हा और दिल्ली ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से उनके दिल्ली स्थित आवास पर लंबी बातचीत की. प्रस्तुत हैं बातचीत के खास अंश…

मोदी सरकार के एक साल को आप कैसे देखते हैं?

कई मायनों में अच्छा काम हुआ है. गरीबी उन्मूलन, रोजगार बढ़ाने, अर्थतंत्र के विकास के मामले में, दुनिया में भारत को सम्मान दिलाने के मामले में, देश की रक्षा और संघीय व्यवस्था को ठीक करने के मामले में,इंफ्रास्ट्रक्चरके विकास को गति देने के मामले में बहुत काम हुए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि देश के समक्ष जो विश्वास का संकट आया था, वह संकट अब खत्म हो गया है. आज जनता को प्रधानमंत्री पर भरोसा है, नौकरशाही को कैबिनेट पर भरोसा है और कैबिनेट को अपने नेता नरेंद्र मोदी पर भरोसा है. एक संवाद का वातावरण, विश्वास का वातावरण देश में बना पाये हैं, यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है.

कोई ऐसा बड़ा काम, जो चाह कर भी साल भर में आप नहीं कर पाये हों?

ऐसे तो बहुत सारी चीजें नहीं हो पाती हैं. तटस्थता से सोचने पर. मगर मैं इतना जरूर मानता हूं कि जब हम चुनाव प्रचार में थे, तब चुनौतियों का जो हमारा आकलन था, वह गलत था. उससे कई बड़ी चुनौतियां हमें विरासत में मिलीं और काम कठिन भी हुआ, लेकिन एक साल के अंदर हमने हर क्षेत्र में अच्छा किया.

पिछली सरकार और अभी की सरकार में बुनियादी फर्क क्या दिखता है?

सबसे पहले यह बताना चाहता हूं कि यह सरकार दिखनेवाली सरकार है. पहले समस्या के समय लोगों को ढूंढ़ना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. चाहे नेपाल में आया भूकंप हो, कश्मीर में आयी बाढ़ हो, यमन में फंसे भारतीय हों, श्रीलंका में तमिल मछुआरों पर हुआ अत्याचार हो, सरकार ने तत्काल कदम उठाया और उन समस्याओं का हल निकालने का प्रयास किया. प्रधानमंत्री कार्यालय का सम्मान हमने पुनर्स्थापित किया है. एक जमाना था जब सारे मंत्री अपने मंत्रालय के प्रधानमंत्री होते थे और प्रधानमंत्री को कोई प्रधानमंत्री नहीं मानता था, लेकिन अब प्रधानमंत्री कार्यालय का सम्मान भी लौटा है. सारे मंत्री भी काम करते दिखायी देते हैं. मंत्री समूह से बाहर निकल कर सभी मंत्री स्वतंत्र होकर काम भी कर रहे हैं. यह सरकार ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ से बाहर आयी हुई सरकार है. तुरंत नीतिगत फैसले लेने में इस सरकार ने देर नहीं लगायी है. घनघोर भ्रष्टाचार में लिप्त 10 साल के शासन के बाद मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि एक साल में हमारे विरोधी भी हमारे ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगा पाये. यह हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है. हमने जो वादा किया था भ्रष्टाचारमुक्त शासन का, वह हमने पूरा किया.

आपने महंगाई कम करने का वादा भी किया था. काला धन वापस लाने का भी आपका वादा था. पर एक साल में एक पैसा भी नहीं आया..

महंगाई का जो मामला था, उसे भी हमने काफी काबू में किया है. थोक महंगाई की दर 6-7 प्रतिशत के बीच में रहती थी. उसे हमने -2.66 प्रतिशत पर ले आये हैं. खुदरा महंगाई दर 8.5 फीसदी होती थी, अब वह 5.6 फीसदी तक आ गयी है. जनता को 10 साल के बाद अगर महंगाई से राहत मिली है, तो यह राहत मोदी सरकार ने ही दी है. आप काला धन की बात कर रहे थे. आज तक काले धन की रोकथाम के लिए किसी ने कोई कदम नहीं उठाया था. लेकिन हमारी सरकार बनने के बाद, पहली कैबिनेट बैठक में ही हमने काले धन के लिए एसआइटी बनाने का प्रस्ताव पास किया. सुप्रीम कोर्ट ने डेढ़ साल पहले ही आदेश दिया था, लेकिन यूपीए सरकार ने एसआइटी का गठन नहीं किया था. हमारी राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रधानममंत्री जी की व्यक्तिगत पहल के कारण ही एसआइटी बनी और जांच का काम शुरू हुआ. काले धन के बारे में सरकार के पास जितनी भी सूचना थी, सब एसआइटी को डेढ़ माह के अंदर दे दी गयी. ऐसी 700 से ज्यादा सूचनाएं थीं. किस खाते में कितना पैसा पड़ा है, खाता किसका है, यह सब सूचना एसआइटी को दी. एसआइटी ने महसूस किया कि कठोर कानून लाने की जरूरत है. इसके बाद संसद में पहली बार वित्तीय अनियमितताओं के लिए सजा का प्रावधान करते हुए काले धन की रोकथाम के लिए हम कानून लेकर आये हैं. इसके अच्छे परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे. और अब एक फूटी कौड़ी भी देश के बाहर काले धन के रूप में जाये, यह असंभव है.

क्या मोदी सरकार राज्य सरकारों को मजबूत देखना चाहती है, उन्हें उनका हक देना चाहती है?

संघीय ढांचा मजबूत करने के लिए भी इस सरकार ने बड़ा काम किया है. जब नीति आयोग बन रहा था, उसी समय इस बात का ध्यान रखा गया कि राज्यों को उनकी हिस्सेदारी मिले. 14वें वित्त आयोग ने जो रिपोर्ट दी, उसमें राज्यों का लाभांश बजट के अंदर 32 से बढ़ा कर 42 फीसदी करने का सुझाव था. आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ. केंद्र ने राज्यों की हिस्सेदारी 10 फीसदी बढ़ा दी. खनिज पदार्थो की नीलामी से पहले राज्यों को सिर्फ रॉयल्टी मिलती थी, हमने शत-प्रतिशत पैसा राज्यों को देने का फैसला किया है. इससे राज्यों को फायदा होगा. हम चुनाव के वक्त कहते थे कि पश्चिमी राज्यों के मुकाबले, देश के पूर्वी राज्यों का विकास कम हुआ है, जबकि देश की ज्यादातर खदानें पूर्वी राज्यों में हैं. इसलिए इस फैसले से अब पूर्वी राज्यों को भी विकास करने में मदद मिलेगी. झारखंड, ओड़िशा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे खनिज बहुल राज्यों को फायदा होगा.

तो क्या यह माना जाये कि गाड़ी पटरी पर आ चुकी है, अच्छे दिन आ चुके हैं?

विकास की गाड़ी पटरी पर आ गयी है. हर पैरामीटर को हमने सुधारा है. देश का जीडीपी 4.4 प्रतिशत पर सीमित हो गया था. अब उसे हमने 5.7 प्रतिशत पर पहुंचाया है. यह अब और तेजी से बढ़ेगा. पिछले एक साल में एक भी घोटाला नहीं हुआ है. व्यापार घाटा नियंत्रण में है. एफडीआइ बढ़ा है. आर्थिक विकास के मामले में गाड़ी को पटरी पर लाना बहुत कठिन काम था, लेकिन एक साल के अंदर ही हमने यह काम बहुत अच्छी तरीके से किया है.

विपक्ष आपकी सरकार को गरीब विरोधी बताता है. आप क्या कहेंगे?

आजादी के 68 साल बाद भी देश में 60 करोड़ लोग ऐसे थे जिनके पास परिवार में एक भी बैंक खाता नहीं था. भाजपा की सरकार ने एक साल में 14 करोड़ बैंक खाते देने का काम किया है. उनको अर्थतंत्र के साथ जोड़ने का काम किया है. मैं मानता हूं कि यह बड़ी उपलब्धि है. बैंक खाता खोलने का मकसद है. अब देखिए, सिर्फ 12 रुपये में दो लाख का दुर्घटना बीमा और 330 रुपये में दो लाख का जीवन बीमा देकर सरकार ने गरीबों को एक सुरक्षा चक्र देने का काम किया है.

रोजगार की उम्मीद में युवा भटक रहे हैं. आपने रोजगार देने का वादा किया था. इसमें आप कितना सफल रहे?

रोजगार के क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ द्वारा देश के विनिर्माण क्षेत्र में बहुत बड़ा निवेश लाकर रोजगार सृजन और ‘स्किल इंडिया’ के माध्यम से देश के युवाओं के कौशल विकास का काम करके उनको रोजगार पाने योग्य बनाने का काम भाजपा ने किया है. मुद्रा बैंक की स्थापना कर स्वरोजगार करने वाले युवाओं को सरलता से कर्ज मिले, इसका प्रबंध किया है. भाजपा ने इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में रखा है. इससे करोड़ों युवाओं को फायदा होगा.

झारखंड-बिहार हो या अन्य राज्य, बिजली का संकट बना हुआ है. बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र क्या कर रहा है और इसका लाभ कब तक मिलेगा?

बिजली उत्पादन 8.6 प्रतिशत बढ़ा है. बिजली उत्पादन की 22 हजार मेगावाट से ज्यादा क्षमता स्थापित की है. एक साल में. ट्रांसमिशन लाइन भी बिछायी है और हर गांव को बिजली देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के लिए 47 हजार करोड़ रुपये का हमने बजट में प्रावधान किया है. हर गांव में 24 घंटे बिजली पहुंचाना हमारा लक्ष्य है. राजस्थान से इसकी शुरुआत हुई है.

विपक्ष यह कह कर आंदोलन कर रहा है कि आपकी सरकार किसान विरोधी है. कृषि के लिए कुछ नहीं कर रही?

यह सरकार किसानों के साथ खड़ी रही है. किसानों के संकट को दूर करने के लिए, उनकी सहायता करने के लिए सरकार ने सभी मापदंडों में छूट दी है. प्राकृतिक आपदा के दौरान पहले 50 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर ही मुआवजा दिया जाता था. अब उसे घटा कर 33 फीसदी कर दिया गया है. यानी 33 फीसदी फसल खराब होने पर भी मुआवजा मिलेगा. मुआवजे की दर भी पहले से डेढ़ गुना कर दी गयी है. इसके अलावा, पहले एक हेक्टेयर का ही मुआवजा मिलता था, उसे अब दो हेक्टेयर कर दिया गया है. चमक खो चुके गेहूं और चावल को भी मूल रेट से खरीदने का जो निर्णय किया है, इससे किसान को बहुत फायदा होने वाला है. स्वायल हेल्थ कार्ड की योजना भी सरकार लायी है. किसान मिट्टी की जांच करा सकते हैं ताकि पता चल सके कि किस खेत में कौन सी फसल ठीक रहेगी. हम चाहते हैं कि किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती करें ताकि अधिक से अधिक उपज हो. इसलिए हम ‘लैब टू लैंड’ कार्यक्रम पर जोर दे रहे हैं.

हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई देशों की यात्राएं की हैं. क्या विदेश नीति में परिवर्तन की संभावना है?

विदेश नीति में भी इस सरकार ने भारी परिवर्तन किया है. देश की सुरक्षा, सम्मान, संस्कृति समेत पांच बिंदुओं को आगे रख कर देश की विदेश नीति आगे बढ़ रही है. दुनिया में ऐसे सामरिक महत्व के देश हैं जहां सालों से कोई नहीं गया था. वहां जाकर मोदीजी ने देश के संबंध मधुर बनाये हैं, सुरक्षा को सुनिश्चित करने का काम किया है, व्यापार को बढ़ाया है और एक दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकृति दिला कर हमारी संस्कृति का परचम भी दुनिया में लहराया है. सुरक्षा के मामले में भी हमारी सेनाओं को जो सैन्य साजो-सामान चाहिए, 10 साल तक के लिए उसकी पुख्ता व्यवस्था की है. सेना को सुदृढ़ बनाया है. सुदृढ़ रक्षा नीति का असर यह है कि सीमाओं के साथ खिलवाड़ की घटना कम हुई है. जम्मू-कश्मीर चुनाव के दो-तीन महीने निकाल दें, तो अब घटनाएं कम हुई हैं. पहले हमारे जवानों के सिर काट कर ले जाते थे. आज स्थिति बदल चुकी है. वे वार्ता की भाषा बोल रहे हैं. आक्रमण भी कम हुए हैं. पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते भी सुधरे हैं. यह भारत सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

सरकार की किन योजनाओं को आप सबसे ज्यादा जनता से जुड़ा मानते हैं?

स्वच्छ भारत, नमामि गंगे, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और सिर पर मैला ढोने से मुक्ति की योजना के लिए प्रधानमंत्री ने अपील की है. इन चारों समस्याओं को जनांदोलन बनाकर सरकार जनता के साथ मिल कर समाधान निकालेगी. मैं मानता हूं कि लालबहादुर शास्त्री के बाद पहली बार किसी प्रधानमंत्री की अपील पर इतनी बड़ी संख्या में देश की जनता एक सामाजिक उद्देश्य के लिए एक साथ जुड़ी है. यह भाजपा की बड़ी उपलब्धि है.

अब कुछ भाजपा पर भी बात हो. आपको भाजपा अध्यक्ष बने भी एक साल होनेवाले हैं. जब विद्यार्थी परिषद के एक सामान्य कार्यकर्ता थे, क्या कभी सपना देखा था कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के शीर्ष पद पर पहुंच पायेंगे? कैसे हुआ यह?

मैंने कभी ऐसा स्वप्न नहीं देखा था. हां, एक सुनिश्चित स्वप्न जरूर देखा था, जिसमें निर्णय किया था कि जीवनपर्यंत मैं इसी विचारधारा से बंधा रहूंगा और काम करने का प्रयास करूंगा. इसमें ज्यादा स्वप्न देखने की जरूरत भी नहीं थी. उस समय मुझे पता भी नहीं था कि भाजपा में कभी आऊंगा भी, लेकिन एक निर्णय जरूर किया था कि इसी विचारधारा को मान कर आगे चलूंगा.

संगठन या राजनीति में किन्हें आपने आदर्श माना?

(हंसते हुए) चलिए, वो छोड़िए. इस पर ज्यादा कहना ठीक नहीं. विचारधारा ही आदर्श होती है. और जो भाजपा की विचारधारा है, वह मैं मानता हूं. जिसमें राष्ट्रवाद का गुण है, वही विचारधारा भाजपा की है. सबसे पहले देश, उसके बाद पार्टी और अंत में व्यक्ति का विचार आता है. देश का भविष्य देश के प्रति समर्पण से ही अच्छा हेाता है.

आपके अध्यक्ष बनने के बाद क्या पार्टी में कार्य-संस्कृति बदली है?

देखिए, जब सरकार का नेतृत्व प्रधानमंत्री कर रहे हैं, उन्होंने कड़े परिश्रम, त्वरित निर्णय और कड़ी मॉनिटरिंग का निर्णय किया है, तो यह काम नीचे तक जायेगा ही. हमने पार्टी के विस्तार की जो योजनाएं बनायी हैं, उनका अच्छा रिस्पांस मिला है. समाज के बहुत सारे लोगों ने इसी कार्य-संस्कृति को देख कर भाजपा की सदस्यता ली है. भाजपा का संगठन बहुत मजबूत संगठन बनेगा. भाजपा का संगठन, जो दक्षिण और पूर्व के राज्यों में नहीं था, वहां भी बना और मजबूत हुआ है. इसी एक साल के अंदर भाजपा ने अपने सदस्यता अभियान के तहत 10 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया है. करीब-करीब 11 करोड़ लोग सदस्य बने हैं और भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी है. यह बहुत बड़ी बात है. देश के हर जिले में भाजपा का कार्यालय होगा, आधुनिक होगा. कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसी साल दिसंबर तक हम 15 लाख सदस्यों को प्रशिक्षित करने वाले हैं. प्रशिक्षण देने के बाद इन्हें हम कार्यकर्ता बनाने का काम करेंगे.

झारखंड, बिहार में भी बड़ी संख्या में लोगों को आपने सदस्य बनाया है. इसका चुनाव पर कोई असर पड़ेगा?

देखिए, जब पार्टी का संगठन बड़ा होता है, तो निश्चित रूप से वोट बढ़ते हैं. लेकिन पार्टी के संगठन के विस्तार का जो कार्यक्रम है, वह किसी चुनाव को ध्यान में रख कर नहीं है. हमें पूरे देश में एक विचारधारा का फैलाव करना है और संगठन को मजबूत करना है.

हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों का चुनाव आपने जीता. हां, दिल्ली में हार मिली. चुनाव जीतने के अलावा भाजपा अध्यक्ष के नाते आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं?

मेरा तो स्पष्ट मत है कि जिन सात राज्यों में चुनाव होना है, उनमें भाजपा को संगठनात्मक और चुनावी सफलता के लिए मजबूत बनाना है. केरल, तमिलनाडु, आंध्र, तेलंगाना, ओड़िशा, असम और बंगाल इन सात राज्यों पर हमने ध्यान केंद्रित किया है. इन राज्यों में भाजपा की सरकार बने, जनता की आवाज को सुने और वहां का विकास करे, यह स्वभाविक रूप से भाजपा का काम है.

आपके काम करने का तरीका अलग है? ऐसे में अपनी पार्टी में क्या आप दूसरे अमित शाह को देख पा रहे हैं?

अरे.. अमित शाह छोड़िए, भाजपा का हर कार्यकर्ता जमीन पर अच्छे से कार्य कर रहा है और उसका परिणाम दिखता है.

कभी एनडीए में अनेक घटक दल थे. अब कम होते गये हैं. क्या छोटे दलों को लगता है कि चुनाव जीतने के बाद भाजपा उनके साथ न्याय नहीं करती?

ऐसा कभी नहीं रहा. हमारे पास बहुमत होने के बाद भी झारखंड में सहयोगी दल को उचित प्रतिनिधित्व दिया है. हमारा बहुमत आने के बाद भी शिवसेना को महाराष्ट्र की सरकार में शामिल किया है. हम कभी भी साथियों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करते हैं, बल्कि साथ में सरकार चलाते हैं. जहां कहीं भी इस तरह की सरकार है, एनडीए की सरकार कहलाती है और हमलोग सहयोगी दलों के साथ मिल कर सरकार चलाते हैं.

क्या सत्ता में आने पर भाजपा राम मंदिर, धारा 370 जैसे अपने कोर मुद्दों से पीछे हट गयी है?

राम मंदिर, धारा 370 जैसे ज्यादातर मुद्दे दो तिहाई बहुमत से जुड़े हैं. अभी भाजपा के पास इतना बहुमत नहीं है. भाजपा अभी ऐसी स्थिति में नहीं है कि ऐसे मुद्दों पर कोई निर्णायक कदम उठा सके.

धर्मांतरण पर आपकी पार्टी का क्या रुख है?

भाजपा जबरन धर्मांतरण का विरोध करती रही है. क्या जबरन धर्मातरण होना चाहिए? नहीं न. इसलिए तो हम कहते हैं कि सभी दल मिल कर ऐसा कानून पास करायें ताकि जबरन धर्मातरण नहीं हो. कानून बनाने वक्त ही पता चलेगा कि कौन जबरन धर्मांतरण के पक्ष में है, कौन विरोध में. भाजपा गो-हत्या पर प्रतिबंध की पक्षधर रही है. यह प्रतिबंध तो संविधानसम्मत भी है. गांव की अर्थव्यवस्था में गाय-बैल बड़ी भूमिका अदा करते हैं. जब फसल खराब हो जाती है तो संकट के दिनों में यही गाय-बैल किसानों की आय के साधन बनते हैं. दूध बेच कर किसान घर चलाते हैं.

विपक्ष का आरोप है कि उद्योगों को फायदा पहुंचाने के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक पास करा कर सरकार किसानों की जमीन हथियाना चाहती है?

इस भूमि अधिग्रहण विधेयक में एक इंच जमीन किसी औद्योगिक घराने को देने का प्रश्न नहीं है. जब किसान को दो गुना-चार गुना दाम मिलेगा, तो उसी पैसे से किसान आसपास में दूसरी जमीन खरीद लेगा और बाकी पैसा अपने और अपने परिवार पर खर्च करेगा. यदि अधिग्रहण नहीं होगा, तो देश का विकास नहीं होगा. गांव में अगर सड़कें, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचानी हैं, तो जमीन तो चाहिए. जमीन मिलेगी, तभी तो ये सब चीजें गांवों में भी पहुंचेंगी. लेकिन हम जमीन किसानों से छीनना नहीं चाहते. भूमि अधिग्रहण पर आज जो सवाल उठा रहे हैं, उन्होंने 60 सालों में क्या किया है? उन्होंने किसानों की जमीन लेकर उद्योगपतियों को सौंपने का ही तो काम किया है. हम यह कतई नहीं करना चाहते हैं.

अगर यह बिल इतना ही अच्छा है, तो किसान विरोध क्यों कर रहे हैं? क्या इस बिल की खूबियां भाजपा सरकार किसानों तक नहीं पहुंचा सकी है?

चीजें पहुंच रही हैं, लेकिन समय लग रहा है. हमारा संगठन बहुत बड़ा है. हम इसी संपर्क अभियान में 10 करोड़ परिवारों से संपर्क करने वाले हैं. घर-घर भाजपा कार्यकर्ता जायेंगे. भाजपा चार हजार से ज्यादा सभाएं करेगी. चीजें किसानों तक पहुंचेंगी.

क्या आपके या सरकार के काम में संघ का दखल है?

संघ के दखल का सवाल ही नहीं उठता है. भाजपा के काम में संघ का कोई दखल नहीं होता. संघ और भाजपा के बीच के रिश्ते बहुत मधुर हैं. और मैं समझता हूं कि प्रेस को इस रिश्ते की गहराई में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि आप सफल नहीं होंगे.

अब तक भाजपा बिहार में छोटे भाई की भूमिका में चुनाव लड़ती रही है. पहली बार अकेले सामना होगा राजद, जदयू, कांग्रेस, सीपीआइ के गंठबंधन से. कैसा देखते हैं इसे?

देखिए, इन दलों के बीच गंठबंधन होने का कारण ही यही है कि वहां भाजपा मजबूत स्थिति में है. भाजपा का भय ही है कि 25 साल तक आमने-सामने काम करने वाले लालू जी और नीतीश जी आज इकट्ठा हो गये हैं. वही बता रहे हैं कि भाजपा मजबूत है. मुझे भरोसा है कि आने वाले दिनों में बिहार में स्पष्ट बहुमत के साथ भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी.

बिहार चुनाव में आप किस मुद्दे को लेकर जनता में जायेंगे?

हम बतायेंगे कि जब तक भाजपा सरकार में थी, तभी तक वहां विकास हुआ. जंगल राज रुका. जंगल राज से मुक्ति और विकास भाजपा के कारण ही हुई थी. यह बात बिहार की जनता जानती भी है. जब से हम सरकार से निकले हैं, जंगल राज भी वापस आ गया है और विकास भी ठप पड़ गया है.

जीतन राम मांझी और रामविलास पासवान आपके साथ रहेंगे या फिर आप अकेले होंगे?

अभी तो हमारा एनडीए गंठबंधन है. उपेंद्र कुशवाहा जी की पार्टी, पासवान जी की पार्टी और भाजपा- एनडीए के तीन घटक हैं. बिहार में भाजपा, लोजपा और रालोसपा- तीन पार्टियां साथ हैं. लेकिन बाकी सारे रास्ते हमारे खुले हैं.

झारखंड में रघुवर दास सरकार कैसा काम कर रही है?

अच्छा काम कर रही है. मुख्यमंत्री निर्णय ले रहे हैं. काम आगे बढ़ा भी है. अभी तक भ्रष्टाचार की कोई भी शिकायत नहीं मिली है. आनेवाले दिनों में और काम आप देखेंगे. सरकार आदिवासियों के विकास के लिए भी तेजी से काम कर रही है.

बंगाल में आपकी रणनीति क्या होगी?

बंगाल चुनाव में अभी देर है. लेकिन वहां पर संतोषजनक रिस्पांस मिला है. भाजपा के प्रति लोगों का रुझान काफी बढ़ा है. वहां की जनता भाजपा को चाह रही है और मुझे भरोसा है कि बंगाल चुनाव में भाजपा अच्छा प्रदर्शन करेगी.

अपने किस गुण को आप अपनी ताकत मानते हैं?

(हंसते हुए) छोड़िए इसे. जनता तय करेगी हमारी ताकत, हमारा प्लस प्वाइंट. कोई निगेटिव प्वाइंट ध्यान में है, तो वह बताइए.

आपको अध्यक्ष बने एक साल भी नहीं हुआ है. आपके मन में कोई ऐसा काम, जो आनेवाले वर्षो में करना चाहते हों?

काफी काम बाकी है. अभी जो नींव डालने का काम किया है, उस पर एक मजबूत इमारत बनानी है ताकि दुनिया में भारत अपनी शान सुनिश्चित कर पाये और एक विकसित देश के नाते 125 करोड़ का देश दुनिया में सम्मान पाये.

अगले पांच साल बाद आप किस तरह का भारत देखते हैं?

चलिए, आज भी हम दुनिया में बहुत बड़ी मंजिल काट कर आगे निकले हैं. और मैं मानता हूं कि पांच साल में दुनिया के नक्शे में भारत एक सम्मानित राष्ट्र के रूप में दिखना चाहेगा.

खत्म हुआ विश्वास का संकट

सबसे बड़ी बात यह है कि देश के समक्ष जो विश्वास का संकट आया था, वह संकट अब खत्म कर दिया गया है. आज जनता को प्रधानमंत्री पर भरोसा है, ब्यूरोक्रेसी को कैबिनेट पर भरोसा है और कैबिनेट को अपने नेता नरेंद्र मोदी पर भरोसा है. एक संवाद का वातावरण, विश्वास का वातावरण देश में बना पाये हैं, यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है.

अब पॉलिसी पैरालिसिस नहीं

प्रधानमंत्री कार्यालय का सम्मान हमने पुनस्र्थापित किया है. एक जमाना था जब सारे मंत्री अपने मंत्रलय के प्रधानमंत्री होते थे और प्रधानमंत्री को कोई प्रधानमंत्री नहीं मानता था, लेकिन अब प्रधानमंत्री कार्यालय का सम्मान भी लौटा है. सारे मंत्री भी काम करते दिखायी देते हैं. मंत्रिसमूह से बाहर निकल कर सभी मंत्री स्वतंत्र होकर काम भी कर रहे हैं. यह सरकार ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ से बाहर आयी हुई सरकार है. हमने सरकार को नीतिगत अपंगता के दौर से बाहर निकाला है.

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