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नेपाल भूकंप : राहत कार्य में भारत ने चीन पर बनायी बढत, अमेरिका ने कहा इंडिया है ग्लोबल लीडर

नयी दिल्ली/बीजिंग : नेपाल में आये भयावह भूकंप के बाद भारत के त्वरित पहल व वहां राहत पहुंचाने को लेकर एक बार फिर भारत ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है. भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा ने मंगलवार को भारत की जम कर तारीफ की और कहा कि नेपाल संकट के दौरान […]

नयी दिल्ली/बीजिंग : नेपाल में आये भयावह भूकंप के बाद भारत के त्वरित पहल व वहां राहत पहुंचाने को लेकर एक बार फिर भारत ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है. भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा ने मंगलवार को भारत की जम कर तारीफ की और कहा कि नेपाल संकट के दौरान भारत ने दो तत्परता दिखायी, उससे यह साफ है कि भारत ग्लोबल लीडरशिप की भूमिका में आ रहा है. उन्होंने बीते दिनों संकटग्रस्त यमन से भी भारतीय ही नहीं अन्य देशों के नागरिकों को भाारत सरकार द्वारा सफलतापूर्वक निकाले जाने की तारीफ की और अपने विचारों को ट्विटर पर साझा किया था.

दरअसल, नेपाल भौगोलिक रूप से दुनिया की दो महाशक्तियों भारत व चीन के बीच स्थित है. चीन हमेशा से नेपाल को अपने प्रभाव क्षेत्र में लेने की कोशिश करता रहा है. उसकी इन कोशिशों का सामरिक उद्देश्य है. वह इसके माध्यम से भारत को नियंत्रित करना चाहता है. वहीं, भारत के साथ नेपाल के गहरे सांस्कृतिक व वैचारिक रिश्ते रहे हैं. भारत ने हमेशा नेपाल की संप्रभुता का सम्मान किया है व उसके साथ भाई जैसा व्यवहार किया है.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी दो दिन पहले संसद में यह कहा चुके हैं कि नेपाल भूकंप और उससे निबटने के जरूरी उपाय करने के संबंध में उन्हें सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचित किया और तुरंत इस संकट से निबटने के लिए आपाद बैठक बुलायी. भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस भूमिका की देश-विदेश में तारीफ हो रही है. हालांकि भाारत की सहज सहायता के पीछे संकटग्रस्त नेपाल को अपने प्रभाव में लेने का कोई उद्देश्य नहीं था व है, बल्कि इसका मानवीय पक्ष है.
उधर, चीन के एक पूर्व राजनयिक ने कहा है कि भूकंप प्रभावित नेपाल को मानवीय सहायता पहुंचाने में भारत के साथ चीन की कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, क्योंकि संकट की घडी में पडोसी की मदद करना किसी भी देश का परम कर्तव्य होता है.
पाकिस्तान में चीन के राजदूत रह चुके झांग चुनझियांग ने बीजिंग में कल मीडिया से कहा कि नेपाल के इस गहरे संकट के दौर में हमारा भारत या किसी अन्य देश से कोई प्रतियोगिता नहीं है. दरअसल, वे दक्षिण एशिया के साथ चीन के संबंध विषय पर मीडिया को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने इस धारणा से इनकार किया कि इस हिमालयी राष्ट्र में अपना प्रभाव बढाने के लिए नेपाल को सहायता पहुंचाने में भारत और चीन की प्रतिस्पर्धा चल रही है.
ध्यान रहे कि भारत ने यमन से अपने व विदेशी नागरिकों सहित 5700 लोगों को निकाला था. जबकि नेपाल से अबतक 5000 भारतीय नागरिकों व 15 देशों के 170 विदेशी नागरिकों को निकालने में भारत सफल रहा है. ये 170 विदेश नागरिक 15 देशों के हैं. भारत इन्हें टेंपरोरी विजा भी जारी कर रहा है.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल संकट पर सीधे तौर पर नजर रखे हुए हैं और राहत कार्य के लिए उन्होंने एक अंतर मंत्रालयी समूह गठित कर उसे हालात का जायजा लेने के लिए नेपाल भी भेजा. प्रधानमंत्री ने सीमाई क्षेत्रों में भी विशेष व्यवस्था करायी है. साथ ही हर जरूरी चीजें भारत द्वारा नेपाल को निर्बाध रूप से आपूर्ति की जा रही है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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