<figure> <img alt="अरविंद केजरीवाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/BC18/production/_110825184_gettyimages-1195798172.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को जैसे ही मतदान संपन्न हुआ, समाचार चैनलों ने अपनी सहयोगी एजेंसियों के साथ मिलकर करवाए एग्ज़िट पोल्स जारी कर दिए.</p><p>लगभग सभी <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51426660?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एग्ज़िट पोल्स में दावा किया गया</a> कि आम आदमी पार्टी एक बार फिर स्पष्ट जीत हासिल कर सकती है. इन एग्ज़िट पोल्स का औसत निकाला जाए तो बीजेपी और कांग्रेस सत्ता के आसपास भी नज़र नहीं आ रहीं.</p><p>70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 36 है और एग्ज़िट पोल्स के नतीजे यदि सटीक रहे तो आम आदमी पार्टी को सत्ता में रहने में कोई दिक्क़त नहीं होगी.</p><p>चुनाव के नतीजे मंगलवार को आएंगे. ऐसे में वास्तविक स्थिति क्या रहेगी, इन एग्ज़िट पोल्स का अनुमान कितना सही है, यह दो दिनों में स्पष्ट हो जाएगा. </p><p><strong>बीबीसी संवाददाता प्रशांत चाहल</strong> ने वरिष्ठ पत्रकार और<strong> राजनीतिक विश्लेषक प्रमोद जोशी</strong> से बात की और जानना चाहा कि समाचार चैनलों के एग्ज़िट पोल्स के अनुमानों से फ़िलहाल क्या संकेत पढ़े जा सकते हैं. आगे पढ़ें उनका नज़रिया, उन्हीं के शब्दों में:</p><h1>’आप से काफ़ी दूर रहेगी बीजेपी'</h1><p>सीटों के बजाय अगर मतदान प्रतिशत की बात करें तो औसतन सभी एग्ज़िट पोल कह रहे हैं कि इस बार भी आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत लगभग वही रहेगा, जो 2015 मे था.</p><figure> <img alt="केजरीवाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/140DE/production/_110824128_457473ff-8be7-4fed-a1d1-08caff259c9a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि पिछले चुनावों की तुलना में इस बार बीजेपी का वास्तविक वोट प्रतिशत कितना रहता है. हो सकता है पिछली बार की तुलना में यह एक-दो प्रतिशत बढ़ जाए.</p><p>मगर ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस का मतदान प्रतिशत और घटा होगा और वह आम आदमी पार्टी की ओर शिफ़्ट हुआ होगा.</p><p>मतदान प्रतिशत किस पार्टी के लिए कितना रहा, इसे सीटों में बदलकर एग्ज़िट पोल में अनुमान लगाया जाता है कि कौन कितनी सीटें जीतेगा.</p><p>मगर यह अनुमान सटीक नहीं होता क्योंकि इनकी सटीकता एग्ज़िट पोल्स के लिए गए सैंपल साइज़ पर निर्भर करती है.</p><p>फिर भी दो बातें स्पष्ट हैं- एक तो यह कि आम आदमी पार्टी रिपीट करती नज़र आ रही है और दूसरी बात ये कि बीजेपी नंबर वन पार्टी यानी आम आदमी पार्टी के नज़दीक नहीं पहुंच पा रही है, वह काफ़ी दूर रहेगी सीटों के मामले में.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51426660?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एग्ज़िट पोल के रुझानः दिल्ली की सत्ता की रेस में आम आदमी पार्टी आगे</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51389274?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली वालों के लिए बिजली-पानी अहम मुद्दा क्यों?</a></li> </ul><figure> <img alt="केजरीवाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/F2BE/production/_110824126_f6c08a93-f5f3-43a1-82c2-0830cd67f03e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>ध्रुवीकरण का </strong><strong>अधिक असर नहीं</strong></p><p>नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर चले आंदोलन के बाद बीजेपी ने जो अभियान छेड़ा था, उससे लगता था कि ध्रुवीकरण हुआ होगा.</p><p>इस तरह का ध्रुवीकरण बीते साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी हुआ था. उस समय बीजेपी का वोट प्रतिशत अधिक था जबकि आम आदमी पार्टी का कम था.</p><p>मगर एग्ज़िट पोल्स इस बार उल्टा दिखा रहे हैं. इसका मतलब है कि वोट इस बार धार्मिक या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से अलग पड़े हैं. </p><p>मेरे विचार से मतदाताओं को दिल्ली के स्थानीय मुद्दों जैसे कि बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य वगैरह अधिक प्रभावित किया.</p><p>संकेत मिल रहा है कि ध्रुवीकरण अधिक प्रभावी नहीं हुआ और मतदाताओं ने अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए आम आदमी पार्टी अपनी सरकार को लेकर बनाई गई अवधारणा से सहमति जताई.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51280129?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली चुनाव का राष्ट्रीय राजनीति पर कोई असर पड़ेगा?</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51319047?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सिनेमा से लेकर खेल, सितारों को क्यों भाती है राजनीति</a></li> </ul><figure> <img alt="शाहीन बाग़" src="https://c.files.bbci.co.uk/C30C/production/_110823994_57767988-623d-41bc-a8f2-818f74088c31.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p><strong>बीजेपी को सबक- </strong><strong>भावनाओं पर हावी हैं क्षेत्रीय मुद्दे</strong></p><p>अगर वास्तविक नतीजे भी एग्ज़िट पोल्स के अनुमानों के अनुरूप रहे तो बीजेपी को सोचना होगा. यह स्पष्ट है कि आप भावनाओं के आधार पर की जाने वाली राजनीति के आधार पर लंबा नहीं चल पाएंगे.</p><p>ध्यान देने वाली बात है कि जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे तब बीजेपी ने अवधारणा बनाई कि देश के सामने संकट है, पुलवामा में तब घटना हुई थी, फिर एयरस्ट्राइक भी की गई थी.</p><p>उस दौरान मतदाताओं में समझ बनी कि दिल्ली में (केंद्र में) मज़बूत सरकार होनी चाहिए. मगर फिर छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में दिखा था कि क्षेत्रीय चुनावों में वहां के अपने और ज़मीनी मुद्दे प्रमुख रहे.</p><p>राष्ट्रीय स्तर के चुनावों में राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा जैसा आभामंडल बनता है. मगर वह पिछले चुनावों तक तो काम कर गया लेकिन आगे करेगा या नहीं, कहना मुश्किल है.</p><p>मगर बीजेपी को सोचना होगा कि क्षेत्रीय चुनावों में क्षेत्रीय मुद्दों को छोड़कर सिर्फ़ भावनाओं के आधार पर चलना सही नहीं होगा.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51424605?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’केजरीवाल ने हनुमान जी को अशुद्ध किया'</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51271890?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अमित शाह के सवाल पर केजरीवाल का जवाब</a></li> </ul><figure> <img alt="मनोज तिवारी" src="https://c.files.bbci.co.uk/74EC/production/_110823992_5df40bcd-f762-4f54-9cbd-7f52ea0b3220.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p><strong>कांग्रेस का </strong><strong>'</strong><strong>वॉकओवर</strong><strong>'</strong><strong>?</strong></p><p>इन चुनावों में कांग्रेस को एक आध सीट मिल सकती है या फिर हो सकता है कि एक भी न मिले. लेकिन एग्ज़िट पोल बताते हैं कि कांग्रेस मुक़ाबले में बिल्कुल भी नहीं है.</p><p>चुनावों के दौरान कांग्रेस की विज़िबिलिटी कम थी. पता नहीं यह जानबूझकर कम रखी गई थी या अनजाने में ऐसा था. हो सकता है उन्होंने बीजेपी को हराने के लिए ख़ुद ज़्यादा कुछ नहीं किया.</p><p>लेकिन इन चुनावों में एक और बात हैरानी की है कि बीजेपी ने किसी भी स्थानीय नेता को अपने नेतृत्व के तौर पर उभारने की कोशिश नहीं की. ऐसा ही कांग्रेस ने भी किया जबकि उसके पास अच्छे लोग हैं.</p><p>कांग्रेस की सरकार रही है लंबे समय तक दिल्ली में मगर फिर भी वह वॉकओवर देती नज़र आई.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51296376?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सरकारी स्कूलों पर केजरीवाल सरकार का दावा कितना सही?</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51218634?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पिछले पाँच सालों में कैसे-कैसे बदली केजरीवाल की राजनीति? </a></li> </ul><figure> <img alt="अरविंद केजरीवाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/26CC/production/_110823990_cb99e05f-050d-4dcb-8ef6-49c4feffe880.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>आम आदमी पार्टी ने सही</strong><strong>पत्ते खेले </strong></p><p>चुनावों में चेहरे काम तो करते हैं मगर जब मतदाता के मन में कोई बात बैठ गई हो तो फिर वे बेअसर रहते हैं.</p><p>दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने बिजली, पानी वगैरह की सुविधाएं दीं या शिक्षा स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो काम किया, उससे मतदाताओं को लगा होगा कि इस सरकार ने और कुछ किया न हो पर जो किया है, उसे हम समर्थन देते हैं.</p><p>एक तरीक़े से दिल्ली के लोगों ने एक बात साफ़ की है कि अगर आप जनता के मसलों को नज़रअंदाज़ करेंगे तो न स्टार चेहरा काम आएगा न कोई और तरीक़ा.</p><p>काम आएगी तो यही बात जिससे जनता को लगे कि उसका फ़ायदा हो रहा है. जैसे कि किसी का 1200 रुपये का बिजली का बिल हर महीने फ्री हो जाए तो वह प्रभावित होगा. यह एक वोटर की सही समझ है. बीजेपी और कांग्रेस को इस बारे में सोचना चाहिए.</p><p>अभी तो एग्ज़िट पोल्स के अनुमान देखकर बस यह कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी ने अपने पत्ते ठीक से खोले.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर 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