<figure> <img alt="अनुराग ठाकुर" src="https://c.files.bbci.co.uk/15841/production/_110792188_780da118-3a6f-4a68-a0af-3805f345bdc9.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>"लाल चौक जाएंगे, तिरंगा वहीं लहराएंगे"- इसी नारे के साथ अनुराग ठाकुर ने अपनी राष्ट्रीय एकता यात्रा को आक्रामक राष्ट्रवाद के रंग में रंगने की कोशिश की थी. </p><p>इस यात्रा के ज़रिए 2011 में संकटग्रस्त कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति को मज़बूत किया था. </p><p>इस यात्रा के दौरान उन्हें लखनपुर (जम्मू) में रोक दिया गया और उनके साथ भाजपा नेता स्वर्गीय सुषमा स्वराज,अरुण जेटली और अन्य लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया था. </p><p>तब से अब तक घाटी में बहुत कुछ बदल चुका है. हालात भी, उनकी भूमिका भी, उनका क़द भी और उनका पद भी.</p><p>आज से लगभग नौ साल पहले जो अनुराग ठाकुर भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष थे, अब वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री हैं. </p><p>अगर कुछ नहीं बदला है तो वो है अनुराग ठाकुर का सुर्ख़ियों में बने रहने का शगल. </p><p>ये बात और है कि इस बार वो अलग वजहों से सुर्ख़ियों में हैं.</p><p>नरेंद्र मोदी सरकार के यह युवा मंत्री फिलहाल विवादों में हैं. </p><p>दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र बीजेपी ने अपने अभियान को तेज़ कर दिया है. बीजेपी के तमाम स्टार प्रचारकों की तरह अनुराग ठाकुर भी पार्टी प्रचार कर रहे थे. इसी दौरान दिल्ली के रिठाला में हुई रैली में अनुराग ठाकुर के नए नारे "देश के ग़द्दारों को…" ने उन्हें विवादों का नया केंद्र बना दिया है.</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=6u9P1J_WopU">https://www.youtube.com/watch?v=6u9P1J_WopU</a></p><p>शांत हिमाचल की वादियों से चार बार सांसद चुनकर आने वाले अनुराग ठाकुर का विवादों से नाता बहुत पुराना है. उनकी सुर्खियों की वजह विवाद होना कोई नई बात नहीं है.</p><p>बहरहाल इस नारे के बाद संसद हो या फिर दूसरे राजनैतिक मंच, सभी विपक्षी दलों ने ठाकुर के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. </p><p>विवादों की बढ़ती आंच को देखते हुए दो दिन बाद ही उन्होंने अपने तेवर बदल लिए. उन्होंने चुनाव में होने वाली हिंसा का विरोध करते हुए कहा कि बैलट को बुलेट से ज़्यादा ताक़तवर होना चाहिए. लेकिन इस यू टर्न से भी उन्हें राहत नहीं मिली और चुनाव आयोग ने उन पर गाज गिराते हुए 72 घंटे तक उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी.</p><p>45 वर्षीय अनुराग ठाकुर के तेज़ी से बढते क़द ने ना सिर्फ उनके राजनैतिक सहयोगियों को आश्चर्यचकित कर दिया है बल्कि पार्टी में उनके पद को भी ऊंची छलांग दे दी है.</p><p>अनुराग ठाकुर ने विवादों की बाज़ीगरी को हमेशा जारी रखा है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में पदाधिकारी के तौर, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर, हिमाचल के सांसद के तौर पर या फिर केंद्र सरकार में मंत्री के तौर पर हर भूमिका में उन्होंने विवादों की आंच को अवसर में तब्दील किया है. </p><p><a href="https://twitter.com/ianuragthakur/status/1224676882483830786">https://twitter.com/ianuragthakur/status/1224676882483830786</a></p><p><strong>तेज़ी से बढ़ा अनुराग का क़द </strong></p><p>विधायक और हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री कहते है कि अनुराग ठाकुर की शख्सियत के दो अलग पहलू हैं जो अलग-अलग एकदम साफ़ नज़र आते हैं.</p><p>इनमें पहला है 12 साल में तेज़ी से उठता उनका राजनीतिक सफर का ग्राफ़. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को ना सिर्फ संभाला, बल्कि पावर पॉलिटिक्स के इस खेल में वो इस क़दर माहिर बन गये कि एक के बाद एक लगातार चार लोकसभा चुनाव जीत लिए. </p><p>गौरतलब है कि हमीरपुर संसदीय सीट कभी उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल की कर्मभूमि थी.</p><p>इसके बाद दुनिया के सबसे अमीर और ताक़तवर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर 41 साल के अनुराग ठाकुर के बढ़ते राजनीतिक और प्रशासकीय रसूख की मिसाल था. </p><p>ये बात और है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने गलत हलफ़नामा देने और कोर्ट के आदेश की अवमानना के आरोप में समय से पहले हटा दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के बावजूद लोढ़ा कमेटी के सिफ़ारिशों को लागू ना करने के लिए उन्हें अवमानना का दोषी माना था. </p><p>इस मामले में उन्हें सर्वोच्च अदालत से माफ़ी भी मांगनी पड़ी थी. बावजूद इसके अग्निहोत्री का मानना है कि धर्मशाला में विश्वस्तरीय क्रिकेट स्टेडियम के ज़रिए हिमाचल को मशहूर करने में उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है.</p><figure> <img alt="अनुराग ठाकुर" src="https://c.files.bbci.co.uk/23A9/production/_110792190_gettyimages-1198465940.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>विवादों से है पुराना नाता</h3><p>अग्निहोत्री कहते हैं कि अनुराग की शख्सियत का दूसरा पहलू ज़्यादा विवादास्पद है. इसमें उनका दंभ झलकता है. उनका ये पहलू उनकी हाईप्रोफ़ाइल इमेज, राजनीतिक विरोधियों का अनादर करने की आदत, विरोधियों की उम्र और राजनीतिक कद के प्रति बेपरवाही के साफ़ संकेत देता है. </p><p>चाहे हिमाचल हो या फिर राष्ट्रीय फ़लक, वो हमेशा किसी ना किसी राजनीतिक विवाद का हिस्सा ज़रुर रहते हैं.</p><p>अग्निहोत्री कहते हैं "कुछ साल पहले अनुराग ठाकुर ने बेहद आपत्तिजनक बयान देकर कांग्रेसी दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह जी की शक्ल की तुलना बंदर से कर दी थी. कुछ दिन पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का शिमला में, अपनी ही पार्टी के आयोजन में, सार्वजनिक तौर पर अनादर किया था. इसकी तो वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुई थी. अब उनका ‘गोली मारो’ बयान शख़्सियत के इसी अतिवादी पहलू को दर्शाता है."</p><figure> <img alt="वीरभद्र सिंह" src="https://c.files.bbci.co.uk/71C9/production/_110792192_gettyimages-903410938.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>हिमाचल प्रदेश के क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर उनकी इनिंग विवादों से परे नहीं थी. इन्हीं विवादों के चलते उन्होंने सियासत की पिच पर अपने दांव आज़माए.</p><p>एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर अनुराग ठाकुर के विरुद्ध वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार ने विजिलेंस जांच बैठा दी थी. उन पर आरोप था कि अपने पिता के मुख्यमंत्री रहते उन्होंने एसोसिशन के अध्यक्ष के तौर पर सरकार से कई मनमाने फ़ायदे हासिल किए.उनके पिता और मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल ने हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए सरकारी ज़मीन लीज़ पर दे दी.</p><p>बाद में एचपीसीए को कुछ और ज़मीन दी गई जिससे स्टेडियम के पास लग्ज़री रिसॉर्ट -अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए पवेलियन बनाया जा सके.</p><p>वर्ष 2013 में वीरभद्र सिंह कैबिनेट ने तो नीतिगत फ़ैसला लेते हुए दोनों ज़मीनों की लीज़ को रद्द कर दिया था. इस फ़ैसले के कुछ ही घंटों के अंदर सरकार ने तेज़ी से स्टेडियम का अधिग्रहण करने की कोशिश की लेकिन इस कार्रवाई को हाईकोर्ट ने स्टे कर दिया. यह मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/417925420843929600">https://twitter.com/ANI/status/417925420843929600</a></p><p>वीरभद्र सिंह सरकार ने एचपीसीए, अनुराग ठाकुर ,उनके पिता और हिमाचल के दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रेमकुमार धूमल के ख़िलाफ़ क़रीब आधा दर्जन मामले दर्ज कर दिए. एक समय तो यह लड़ाई राजनीतिक ना रहकर हिमाचल के दो सबसे प्रमुख राजनीतिक परिवारों के बीच खुली जंग में तब्दील हो गई थी.</p><p>राजनीतिक शिखर की इस लड़ाई में वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के ख़िलाफ़ सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए. उनके और परिजनों के घर पर छापे भी मारे थे. </p><p>सीबीआई की इस कारवाई के लिए वीरभद्र सिंह ने उस समय खुले तौर पर अनुराग ठाकुर और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली पर राजनीतिक द्वेष का आरोप लगाया था. </p><p>उन्होंने तो यहां तक कहा था कि एचपीसीए में हुई बड़ी गड़बड़ियों के ख़िलाफ़ कारवाई करने की वजह से इन दोनों नेताओं की शह पर सीबीआई ने झूठे मामलों में उन्हें फंसाया है.</p><p>उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों के ख़िलाफ़ अनुराग ठाकुर, अरुण जेटली और प्रेमकुमार धूमल पर मानहानि का मुकदमा भी दर्ज कराया था. </p><p>2017 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह सत्ता से बाहर हो गए पर उन्हें इस बात का संतोष ज़रूर रहा कि धूमल मुख्यमंत्री नहीं बन सके. हिमाचल में धूमल युग के अंत के रूप में जयराम ठाकुर को सत्ता की कमान सौंप दी गई.</p><figure> <img alt="अनुराग ठाकुर" src="https://c.files.bbci.co.uk/BFE9/production/_110792194_0c055112-3eef-4cb3-b677-3b4280f4eb33.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><h3>क्रिकेट से नाता पुराना</h3><p>2019 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने से पहले ही अनुराग ठाकुर वीरभद्र सिंह और उनकी सरकार द्वारा लगाए गए ज़्यादातर आरोपों से सुप्रीम कोर्ट में ख़ुद को बरी कराने में सफल हुए.</p><p>लेकिन 2012 से 2017 के बीच धूमल और वीरभद्र सिंह के राजनीतिक परिवारों के बीच हुए कटु राजनीतिक द्वंद में सबसे कारण एचपीसीए ही उभर कर सामने आया.</p><p>मुख्यमंत्री के तौर पर पिता धूमल की दूसरी पारी में भी अनुराग ठाकुर पर एक बड़े विवाद का साया रहा. अनुराग ठाकुर ने शिमला में भारतीय सेना के अधिकार वाले ऐसिहासिक अन्नान्दाले मैदान पर अधिकार जमाने की कोशिश की थी. </p><p>हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर एक विशाल हस्ताक्षर अभियान चलाकर सेना पर यह दबाव डाला था कि वह इस मैदान पर अपना मालिकाना हक छोड़ दें. कहा जाता है कि अनुराग के इस अभियान को हिमाचल सरकार का समर्थन प्राप्त था. </p><p>इस अभियान में करीब 1.8 लाख लोगों हस्ताक्षर कर यह मांग रखी थी कि सेना इस मैदान को राज्य सरकार के लिए छोड़ दे. बाद में इस मैदान पर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की स्टेडियम बनाने की योजना थी.</p><figure> <img alt="हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन" src="https://c.files.bbci.co.uk/EFF5/production/_110792416_c7017780-b772-476e-ab3a-aa1a69b71fd0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>www.hpcricket.org</footer> <figcaption>हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम</figcaption> </figure><p>वास्तव में यह मैदान ऐतिहासिक महत्व का है जिस पर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय से सेना का कब्ज़ा था. इस मैदान पर सेना रक्षा संबंधी गतिविधियां, मॉक ड्रिल्स आयोजित करती है. </p><p>इस मैदान की लीज़ वर्ष 1992 में ख़त्म हो चुकी थी लेकिन सेना ने इसके रणनीतिक महत्व के देखते हुए इस पर से कब्ज़ा नहीं छोड़ा था. </p><p>अनुराग ठाकुर ने इसके ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन आयोजित किया. दरअसल वह इस मैदान पर धर्मशाला जैसा ही एक विश्वस्तरीय क्रिकेट स्टेडियम बनवाना चाहते थे लेकिन बहुत से लोगों ने उनके इस कदम को राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने जैसा माना था.</p><p>हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और विधायक सुखविंदर सुखु तो आरोप लगाते हैं, "दरअसल यह कदम भू-माफिया की शह पर उठाया जा रहा था क्योंकि ज़्यादातर लोगों की निगाह वहां की बेशकीमती ज़मीन पर थी. वहां पेड़ों को गिराकर वन माफिया भी अपना फायदा देख रहे थे. क्रिकेट स्टेडियम तो सिर्फ एक बहाना था."</p><p>भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने तो हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की योजना के ख़िलाफ़ बाकायदा एक प्रेस रिलीज़ जारी कर वहां से कब्ज़ा हटाने के इंकार कर दिया था.</p><p>इस प्रेस विज्ञप्ति में कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा गया था "राज्य सरकार भू-माफिया के इशारे पर शहर में बची थोड़ी सी वनभूमि को बर्बाद करने पर आमादा है. इसके लिए वह क्रिकेट स्टेडियम से होने वाले लाभ का बहाना बना रही है. जबकि शिमला शहर अब भी अनियोजित शहरीकरण से होने वाले नुक़सान को झेल रहा है."</p><p>पश्चिमी कमान की इस प्रेस विज्ञप्ति से नाराज़ होकर मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल ने सेना के ख़िलाफ़ ही मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दी और सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंच गए. उन्होंने दावा किया कि इस ज़मीन का असली मालिकाना हक राज्य सरकार का है.</p><figure> <img alt="हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन" src="https://c.files.bbci.co.uk/13E15/production/_110792418_e4f7cb3e-75eb-489f-b975-c11dbdc42177.jpg" height="549" width="976" /> <footer>www.hpcricket.org</footer> <figcaption>कुल्लू घाटी में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन एक सब-सेंटर</figcaption> </figure><p><strong>अमित </strong><strong>शाह से नज़दीकी</strong></p><p>इसके साथ ही राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री के लिए इमरजेंसी लैंडिंग और वीवीआईपी फ्लाइट के हेलीकाप्टर खड़े करने पर सेना की आपत्ति से नाराज़गी जताई थी.</p><p>2019 के लोकसभा चुनाव के पहले अनुराग ठाकुर ने पार्टी के बड़े नेता और तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, और अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी अदावत मोल ले थी.</p><p>अपने संसदीय क्षेत्र बिलासपुर में बनने वाले एम्स के दर्ज़े को लेकर उन्होंने नड्डा पर निशाना साधा. इस अस्पताल का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में विधान सभा चुनाव से ठीक पहले किया था जब वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे.</p><p>इतना ही नहीं अनुराग ठाकुर ने तो यहां तक कह दिया था कि इस प्रोजेक्ट में जेपी नड्डा की कोई भूमिका नहीं क्योंकि इसे मंज़ूरी उनके पहले के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने दी थी जब ठाकुर ने उन्हे ख़ुद चिट्ठी लिखी थी.</p><p>2019 में अनुराग ठाकुर ने हमीरपुर लोकसभा चुनाव रिकार्ड मतों से जीत लिया. 3.88 लाख वोटों की इस जीत को विधानसभा चुनाव में उनके पिता धूमल की हार के बदले के तौर पर देखा गया. कहा जाता है कि धूमल की इसी हार ने उनसे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का हक छीन लिया था.</p><p>अनुराग ठाकुर के चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सार्वजनिक तौर पर अगली मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बनाने का वादा किया था. इस वादे को अनुराग ठाकुर की अमित शाह से बढ़ती नज़दीकी के तौर पर देख गया था.</p><figure> <img alt="जेपी नड्डा और अमित शाह के साथ अनुराग ठाकुर" src="https://c.files.bbci.co.uk/097D/production/_110792420_gettyimages-1190666748.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>जेपी नड्डा और अमित शाह के साथ अनुराग ठाकुर</figcaption> </figure><p>इस सारे विवाद के बीच भाजपा के हिमाचल प्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल को अनुराग ठाकुर के "गोली मारो…." बयान में कोई ख़ामी नज़र नहीं आती.</p><p>वो कहते हैं, "अनुराग जी ने क्या कहा-देश के ग़द्दारों को… अब आप बताइए कि देश के ग़द्दारों से कैसा सुलूक किया जाना चाहिए? क्या उनका सम्मान करना चाहिए, क्या उनकी पूजा करनी चाहिए? अगर कांग्रेस ऐसा सुलूक करना चाहती है तो वह स्वतंत्र है लेकिन भाजपा का रुख इस मामले में स्पष्ट है. उन्होंने (अनुराग) ने कभी हिंसा का समर्थन नहीं किया है."</p><p>डॉ बिंदल यह भी याद दिलाने से नहीं चूकते कि अनुराग ठाकुर अकेले ऐसे संसद सदस्य हैं जिन्होंने सांसद रहते हुए टेरिटोरियल आर्मी में सेवा की है. वह एक ऐसे क्षेत्र से आते हैं जहां ज़्यादातर परिवार या तो सेना में हैं या फिर अर्ध सैनिक बलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.</p><p>अनुराग ठाकुर के बयान को लेकर सियासत जारी है. इस बीच अनुराग ने एक कदम आगे बढ़ते हुए ऐलान कर दिया है कि "जब दिल्ली के लोग कमल के निशान पर अपना वोट देंगे और परिणाम आएंगे तो 11 फरवरी को शाहीन बाग का धरना स्थल खाली करा दिया जाएगा." </p><p>यानी भले ही भाजपा ने अनुराग को स्टार प्रचारक ना बनाया हो लेकिन वह अपने बयानों से इस नई भूमिका में भी सुर्ख़ियां बटोर रहे हैं.</p><p><strong>ये भी पढ़ें </strong></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-51263391?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अनुराग ठाकुर ने ‘गोली मारने वाला’ नारा लगवाया</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51385854?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली चुनाव: बीजेपी सत्ता से कितनी दूर, कितने पास?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51390881?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शाहीन बाग़ हो या जामिया, गोली चलाने वाले आते कहां से हैं?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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अनुराग ठाकुर: सुर्ख़ियां बटोरने की कला में माहिर
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Prabhat Khabar Digital Desk
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