<figure> <img alt="बीबीसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/183B0/production/_110784299_c3604b98-0774-4918-8fa7-70668cde37c0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>पिछले साल 5 अगस्त को भारत प्रशासित कश्मीर के विशेष दर्जे को सरकार ने एकतरफा रूप से ख़त्म कर दिया और इस हिस्से को दो केंद्र शासित इलाक़ों में तब्दील कर दिया.</p><p>इस फ़ैसले के बाद से भारत प्रशासित कश्मीर में एक अजीब सा सन्नाटा क़ायम है. कश्मीर अभी तक इस नई सियासी हक़ीक़त को जज़्ब करने की कोशिशों से जूझ रहा है.</p><p>इस ऐतिहासिक फ़ैसले के चलते राज्य के अहम नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया और कई ऐसी पाबंदियाँ लगा दी गईं जो इससे पहले कभी नहीं लागू की गई थीं.</p><p>गुज़रे 6 महीनों से कश्मीर के लोगों ने संचार माध्यमों पर लगाई गई पाबंदियों से समझौता करने की ज़रूर कोशिश की है, लेकिन राज्य में सियासत एकदम ठहर गई लगती है.</p><p>भारत सरकार बार-बार इस बात पर ज़ोर देती रही है कि ज़्यादातर कश्मीरियों ने इस क़दम का स्वागत किया है और ‘निरोधात्मक हिरासतों और कुछ पाबंदियों’ के दौरान ‘एक भी गोली नहीं चलाई गई है.'</p><p>लेकिन यहाँ मानवाधिकार संस्थाओं ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान छह से ज़्यादा मौतों को दर्ज किया है.</p><p>इसके अलावा कारोबारी संगठनों का अनुमान है कि इस दौरान लंबे शटडाउन, इंटरनेट बंद होने और आम लोगों की आवाजाही पर लगी पाबंदियों की वजह से उन्हें कम से कम 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है.</p><figure> <img alt="बीबीसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/CD3A/production/_110783525_f46e00e0-d135-4eae-ba3e-b1f9d53e98ad.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><h3>बेरोज़गार युवा</h3><p>सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कम से कम 2.5 लाख शिक्षित युवाओं ने ख़ुद को बेरोजगार के तौर पर रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत कराया है.</p><p>हालांकि, टेलीफ़ोन और इंटरनेट पर पाबंदियां कुछ हद तक हटा ली गई हैं. लेकिन तेज़ रफ़्तार इंटरनेट और सोशल मीडिया तक पहुँच को अभी भी बंद रखा गया है.</p><p>कारोबारों को भारी नुकसान ज़रूर हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्र इस पाबंदी से ख़ुद को उबारने में सफल रहे हैं.</p><p>एक सरकारी अफ़सर डॉक्टर उमर के मुताबिक़, ‘शुरुआती कुछ महीनों में हेल्थकेयर को चोट पहुँची क्योंकि क्रिटिकल केयर के लिए इंटरनेट की जरूरत पड़ती है. इसके बावजूद हम न्यूनतम मानकों के आधार पर अस्पतालों को चलाने में सफल रहे.'</p><p>उनका दावा है कि दसवीं और बारहवीं के एक लाख से ज़्यादा छात्रों ने पाबंदियों और इंटरनेट बंदी के दौरान अपने इम्तहान दिए. हजारों छात्रों ने राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में हिस्सा लिया.</p><figure> <img alt="बीबीसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/7F1A/production/_110783523_f7ef213b-999d-44af-aacf-6dda404b116a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पूरे कश्मीर में छात्रों का सरकार द्वारा चलाए जा रहे इंटरनेट कियोस्क के बाहर लाइनों में खड़े होना आम बात रही.</p><p>नए बनाए गए केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन अभी भी लेफ्टिनेंट गवर्नर (उप राज्यपाल) और उनके तीन सलाहकारों के हाथों में है.</p><p>तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों और दो दर्जन नेताओं को या तो उनके घरों में नज़रबंद कर दिया गया है या वे जेल में बंद हैं.</p><p>इसने राज्य में एक राजनीतिक शून्य पैदा कर दिया है. इस हालात में खाली हुए राजनीतिक मंच पर बीजेपी अकेला चेहरा बची है.</p><p>पिछले महीने आम जनता से मिलने के कार्यक्रम के तहत घाटी पहुँचे केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा था कि ‘हम किसी की भी आलोचना नहीं करना चाहते. ना ही हम अपनी आलोचना का जवाब देने में वक्त ज़ाया करना चाहते हैं. हम यहाँ लोगों की सुनने आए हैं. हम लोगों के साथ मिलकर काम करेंगे और लोगों को जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का फ़ायदा मिलना शुरू हो जाएगा.'</p><p>पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती अभी नज़रबंद हैं और मौजूदा सांसद फ़ारूक़ अब्दुल्ला भी हिरासत में हैं. लेकिन उनकी पार्टी के कार्यकर्ता भी नदारद नज़र आ रहे हैं.</p><figure> <img alt="बीबीसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/13590/production/_110784297_f072a079-6a52-417a-9cf0-228bb578e6c1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><h3>पार्टी दफ्तरों में सन्नाटा</h3><p>महबूबा की पार्टी पीडीपी और अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस के दफ़्तरों में सन्नाटा पसरा हुआ है.</p><p>नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने बीबीसी को बताया, ‘हमें अपने नेतृत्व से मिलने की इजाज़त नहीं दी जा रही. आगे का रास्ता नेतृत्व तय करेगा, लेकिन वे जेल में हैं. हमारी पार्टी देश के विभाजन से भी पुरानी है और जैसे ही हमारे आला नेताओं को रिहा किया जाता है हम एक विज़न के साथ वापसी करेंगे.'</p><p>साल 2014 से पहले कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी अहम किरदार हुआ करते थे. मोदी लहर में बीजेपी राज्य की असेंबली की 87 में से 25 सीटें जीतने में सफल रही थी.</p><p>अब चूंकि सियासी मैदान एक तरह से खाली हो गया है, ऐसे में बीजेपी कश्मीर में अपना दायरा फैलाने में लगी हुई है.</p><p>बीजेपी के कश्मीर के प्रवक्ता अल्ताफ़ ठाकुर ने कहा, ‘लोग हमारे साथ जुड़ रहे हैं क्योंकि उनका खोखले वादों से भरोसा उठ चुका है.'</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=2YyRbLMDAU8">https://www.youtube.com/watch?v=2YyRbLMDAU8</a></p><p>सियासत पर नज़र रखने वालों का मानना है कि राजनीतिक शून्यता से राज्य में पृथकता को और बढ़ावा मिलेगा जिसकी शुरुआत पिछले साल राज्य के पुनर्गठन के फ़ैसले के साथ हुई थी.</p><p>राजनीतिक विश्लेषक एजाज़ अयूब ने बीबीसी को बताया, ‘हमें चुप्पी को सहमति मानकर नहीं चलना चाहिए. लोग अभी भी गुस्सा हैं और ऐसे वक्त पर राजनीति दूरियां घटाने का काम करती है, लेकिन यहाँ सियासत थम गई है. अगर नई दिल्ली कुछ ख़ास किरदारों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है तो यह वास्तविकता में शांति बहाली में मददगार साबित नहीं होगा क्योंकि सियासत लोगों के बीच से खड़ी होती है, इसे थोपा नहीं जा सकता है.'</p><p>गुज़रे कुछ हफ़्तों से पूर्व पीडीपी नेता मुज़फ्फर हुसैन बेग़ और अल्ताफ़ बुख़ारी नई वास्तविकताओं से समझौता करने और चुनाव लड़ने के संकेत नई दिल्ली भेजते नज़र आए हैं.</p><p>अल्ताफ़ बुख़ारी ने कहा, ‘कई लोग आरोप लगाते हैं कि मैं बिक गया हूँ, लेकिन मैं यह कहता रहूंगा कि जब कुछ बचा ही नहीं है तो मैं क्या बेच सकता हूँ. मैं खरीदार हूँ. मैं जम्मू और कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा हासिल करके रहूँगा.'</p><p>बुख़ारी को पीडीपी से निकाल दिया गया था. इसकी वजह यह थी उन्होंने कुछ ऐसे क़दम उठाए थे जिसे आर्टिकल-370 के ख़ात्मे को उनके समर्थन के तौर पर देखा गया, जबकि उनकी पार्टी ऐसे किसी भी क़दम का लंबे वक्त से पुरज़ोर विरोध करती आ रही थी और राज्य के ख़ास दर्जे को बचाने का दावा कर रही थी.</p><figure> <img alt="स्पोर्ट्स विमेन ऑफ़ द ईयर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12185/production/_110571147_footerfortextpieces.png" height="281" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
BREAKING NEWS
जम्मू कश्मीर: राजनीतिक बर्फ़ कब पिघलेगी?
<figure> <img alt="बीबीसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/183B0/production/_110784299_c3604b98-0774-4918-8fa7-70668cde37c0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>पिछले साल 5 अगस्त को भारत प्रशासित कश्मीर के विशेष दर्जे को सरकार ने एकतरफा रूप से ख़त्म कर दिया और इस हिस्से को दो केंद्र शासित इलाक़ों में तब्दील कर दिया.</p><p>इस फ़ैसले के बाद से भारत प्रशासित कश्मीर में एक अजीब सा सन्नाटा क़ायम है. कश्मीर […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement