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पूर्व क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन को क्या किसी चीज़ का मलाल है?

<figure> <img alt="भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़रुद्दीन" src="https://c.files.bbci.co.uk/EDB5/production/_110335806_08ea5fa0-1511-49d8-9ced-c76fd67b8946.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में ज़ोरदार एंट्री हुई थी. साल 1985 में अपने पहले तीन टेस्ट मैच में उन्होंने एक के बाद एक तीन शतक लगाए. </p><p>अपने बेहतरीन प्रदर्शन से हैदराबाद के […]

<figure> <img alt="भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़रुद्दीन" src="https://c.files.bbci.co.uk/EDB5/production/_110335806_08ea5fa0-1511-49d8-9ced-c76fd67b8946.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में ज़ोरदार एंट्री हुई थी. साल 1985 में अपने पहले तीन टेस्ट मैच में उन्होंने एक के बाद एक तीन शतक लगाए. </p><p>अपने बेहतरीन प्रदर्शन से हैदराबाद के इस युवा खिलाड़ी ने एक अलग मुकाम हासिल किया. 1990 में वो भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बनाए गए. इस दौरान वो टीम को तीन वर्ल्ड कप में लेकर गए. </p><p>लेकिन साल 2000 में जब उनपर मैच-फ़िक्सिंग के आरोप लगे तो उनका अंतरराष्ट्रीय करियर ढलान पर आ गया. इसके बाद बीसीसीआई ने उनपर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया. </p><p>लेकिन 2012 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने उनपर लगे आजीवन प्रतिबंध को गैरक़ानूनी क़रार दिया. लेकिन तबतक उनकी उम्र 49 साल हो चुकी थी और पिच पर वापस लौटना मुश्किल था. </p><p>2009 में मोहम्मद अज़हरुद्दीन, कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और यहीं से उनकी ज़िंदगी की दूसरी पारी यानी राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई. वो मुरादाबाद से लोक सभा सांसद भी रहे. </p><p>फ़िलहाल वो हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं.</p><p>बीबीसी गुजराती के संपादक <strong>अंकुर जैन </strong>ने मोहम्मद अज़हरुद्दीन से मुलाकात की और कुछ सवाल पूछे.</p><figure> <img alt="मोहम्मद अज़रुद्दीन" src="https://c.files.bbci.co.uk/AD9B/production/_110334444_3181cbf6-89f5-4a0f-bed3-b59995bd111f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>जब आपसे मैच फिक्सिंग या उन दिनों के बारे में सवाल पूछे जाते हैं तो आप असहज क्यों हो जाते हैं</strong><strong>? </strong></p><p>किसी से भी ग़लत सवाल पूछे जाएंगे तो वो असहज हो जाएगा. अदालत मुझे निर्दोष साबित कर चुकी है, इसलिए अब इसके बारे में मैं कुछ बोलना नहीं चाहता. </p><p><strong>क्या इस मामले से जुड़ी कुछ और ऐसी बातें हैं जो आप लोगों को बताना चाहेंगे</strong><strong>? </strong><strong>या आगे चलकर उन दिनों पर कोई किताब लिखेंगे</strong><strong>?</strong></p><p>मैं इस मामले पर कुछ नहीं बोलना चाहूंगा. मैंने अपनी इस लड़ाई को कैसे लड़ा, ये मैं ही जानता हूं. मुझे नहीं लगता कि ये सारी बातें सार्वजनिक करना ठीक होगा. अच्छा नहीं लगेगा कि मैं कुछ बोलूं, फिर उसपर कोई कुछ बोले और फिर कोई और बोले. बचपन में सबको शिष्टाचार सिखाया जाता है और मुझमें ये बहुत ज़्यादा है. मेरे मां-बाप, नाना-नानी से बचपन में मुझे जो तालीम मिली है, वो मुझे ऐसा कुछ करने की इजाज़त नहीं देती. </p><p><strong>लेकिन क्या आपको इस चीज़ का मलाल है कि अपने काम के लिए जितनी प्रशंसा मिलनी चाहिए थी, वो आपको नहीं मिली</strong><strong>? </strong></p><p>मुझे कोई मलाल नहीं है. मैंने पूरी मेहनत से अपना काम किया. मीडिया में जिन लोगों ने मेरी आलोचना में लेख लिखे, उनकी अपनी सोच थी. उसके बारे में ज़्यादा नहीं बोलूंगा. क्योंकि मैंने परफॉर्म किया. हमने इंडिया के लिए अच्छा खेला. </p><p>हमने मैच जीते. इसकी मुझे हमेशा खुशी रही. लिखने वालों के हाथ या मुंह बंद नहीं कर सकते. वो कुछ भी लिख सकते हैं. मुझे लगता है रचनात्मक आलोचना अच्छी होती है, उससे सीखने को मिलता है. लेकिन कोई बिन बात के आलोचना करता है तो वहां ऐसा नहीं होता. किसी को नीचे गिराने के लिए आलोचना करना ठीक नहीं है.</p><figure> <img alt="मोहम्मद अज़रुद्दीन" src="https://c.files.bbci.co.uk/A37D/production/_110335814_6c8a0a8f-bd73-4a72-acc2-13cfa5172079.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>आज के सोशल मीडिया के ज़माने में क्रिकेट स्टार्स की जैसी फैन फॉलोइंग है, क्या आपके ज़माने में खिलाड़ियों की इतनी मास अपील होती थी</strong><strong>? </strong></p><p>उस ज़माने में हमें जितनी मास अपील मिली, उससे मैं संतुष्ट हूं. हालांकि आज के वक्त में पब्लिसिटी ज़्यादा है, एक्सपोजर ज़्यादा है. सोशल मीडिया किसी को भी ऊपर उठा देता है. </p><p><strong>आप सचिन तेंदुलकर को ट्वीटर पर फॉलो नहीं करते</strong><strong>? </strong></p><p>मैं उनके ट्वीट्स पढ़ता हूं. किसी को भी दिल से फॉलो किया जाता है. </p><figure> <img alt="मोहम्मद अज़रुद्दीन" src="https://c.files.bbci.co.uk/F9D1/production/_110335936_439902cb-0913-4e1a-a00f-7cdc8cc07a33.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>कपिल देव, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर के साथ आपके रिश्ते कैसे हैं</strong><strong>? </strong></p><p>हर खिलाड़ी के साथ मेरे रिश्ते बहुत अच्छे हैं. किसी से मेरे संबंध खराब नहीं हैं. अगर किसी को मुझसे कोई परेशानी है तो मैं उसे सुलझाने को तैयार हूं. </p><p><strong>हर्षा बोगले ने अपनी किताब में लिखा है कि अगर अज़हर की बल्लेबाज़ी को समझना है तो उनकी परवरिश और उनके शहर को समझना होगा. इस शहर हैदराबाद में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से आप कलाइयों के साथ बहुत ही सफाई से शॉट खेलते हैं</strong><strong>? </strong></p><p>कलाइयों के बारे में मुझे भी पहले कुछ मालूम नहीं था. जब मैंने अपना पहला शतक मारा, तब मीडिया में इसका ज़िक्र होने लगा. जब हम खेलते थे तब इतना एक्सपोजर तो था नहीं. लेकिन आज के अंडर-19, अंडर-16 में खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए बहुत ज़्यादा एक्सपोजर है. अब टीवी, कैमरा और प्रेस ज़्यादा है. मुझे तब एक्सपोजर मिला था, जब मैंने शतक मारा था. </p><p>तब लोग कहने लगे कि ये कलाई से खेलने वाले खिलाड़ी हैं. मुझे तो कलाई के बारे में कुछ मालूम ही नहीं था. ये नेचरल था. मैंने इसके लिए कोई खास प्रेक्टिस नहीं की थी. मेरे मामू ने मुझे बेसिक क्रिकेट सिखाया था और मैंने उसी के हिसाब से प्रेक्टिस की थी. अपने बेसिक्स को मैंने कभी नहीं छोड़ा.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/sport-50633736?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">रोजर फ़ेडरर जीते जी कहां सिक्कों पर छप गए </a></li> </ul><figure> <img alt="कोर्टनी वॉल्श" src="https://c.files.bbci.co.uk/13BD5/production/_110335808_91c8a5c1-8247-4e38-9a15-a429037f5bdf.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>कोर्टनी वॉल्श</figcaption> </figure><p><strong>कौन-सा बॉलर आपको सबसे ज़्यादा चुनौतीपूर्ण लगता था</strong><strong>? </strong></p><p>वेस्ट इंडीज़ के गेंदबाज़ कोर्टनी वॉल्श की बॉलिंग मुझे हमेशा मुश्किल लगती थी. उनका एक्शन बहुत मुश्किल होता था, इसलिए उनकी बॉल को पिक करना चुनौतीपूर्ण होता था, चाहे वो अंदर आएगी, बाहर जाएगी या बाउंस होगी. </p><p>उसमें बहुत मुश्किल होती थी. क्रिकेट में बॉलर का एक्शन जितना अच्छा होता है, बल्लेबाज़ के लिए खेलना उतना आसान होता है. बेशक वो आपको तीन बार, चार बार आउट करेगा, लेकिन रन बनाने में आसानी होती है. पर जब ऐसे एक्शन वाले बॉलर आते हैं तो बहुत मुश्किल होता है. </p><p><strong>आप </strong><strong>फ़ील्ड </strong><strong>पर हर तरफ चौके-छक्के लगाते थे, लेकिन </strong><strong>फ़ील्ड </strong><strong>पर उतरते हुए आप किस तरफ शॉट लगाने के बारे में सोचते थे</strong><strong>?</strong></p><p>ऐसा कुछ डिसाइड करके नहीं खेलता था. पहले लोग कहते थे कि मैं लेग-साइड पर ही अच्छा खेलता हूं, लेकिन मेरे सबसे अच्छे शतक, ऑफ़-साइड शतक हैं. अच्छा खिलाड़ी वही होता है, जो स्थितियों में ढल जाता है.</p><p><strong>पिछले तीन दशकों में क्रिकेट काफ़ी लोकप्रिय हुआ है. गांव, कस्बों, शहरों से आने वाले लोग भारत के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखते हैं. महिला क्रिकेट टीम भी उभर कर आ रही है. इन सब से आप क्या कहेंगे</strong><strong>? </strong></p><p>सबसे बड़ी चीज़ है टैलेंट. अगर आप अच्छा खेल सकते हैं, तभी क्रिकेट को चुनना चाहिए. अगर स्किल नहीं है तो क्रिकेट के बारे में सोचने का फ़ायदा नहीं है. स्किल है तो मेहनत करने पर वो और उभर कर आएगी. आजकल इतनी क्रिकेट एकेडमी हो गई है. उसमें सौ-सौ, दो-दो सौ लोग आते हैं तो इनमें से सब प्लेयर बन जाए, ये मुश्किल है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/sport-50640573?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ध्यानचंद का भारत रत्न कैसे ‘गोल’ कर गईं सरकारें</a></li> </ul><p><strong>क्रिकेट से आप राजनीति की ओर भी आए. आने वाले दिनों में आप खुद</strong><strong>को कहां देखते हैं</strong><strong>? </strong></p><p>फ़िलहाल में राजनीति कर रहा हूं. मुझे बहुत खुशी हुई कि मेरी पार्टी ने 2009 में मुरादाबाद से मुझे चुनाव लड़ने दिया. ये एक सुनहरा मौका था, एक अलग अनुभव था. क्रिकेट खेलना शुरू करने के 11-12 साल बाद मुझे भारतीय क्रिकेट टीम में मौका मिला था. लेकिन राजनीति में एक महीने में ही नतीजा आ गया. </p><p>मुरादाबाद के लोगों ने मुझे बहुत प्यार दिया. मुझे याद है कि जब मुझे टिकट मिला था और मैं मुरादाबाद गया था तो चार या पांच किलोमीटर का रास्ता तय करने में मुझे सात से आठ घंटे लग गए थे. लोगों की इतनी भीड़ थी. वो मंज़र में कभी भूल नहीं सकता. </p><p><strong>मैच </strong><strong>फ़िक्सिंग </strong><strong>मामले पर आप पर लगे आजीवन प्रतिबंध को लेकर हाई कोर्ट ने अपने </strong><strong>फ़ैसले </strong><strong>में कहा था कि आपके केस में जो जांच हुई, उसका फॉलो-अप नहीं था. क्या आपको लगता है कि देश की क्रिकेट संस्थाओं में इससे जुड़े नियमों में भारी </strong><strong>फ़ेरबदल </strong><strong>की ज़रूरत है</strong><strong>?</strong></p><p>काफ़ी फ़ेरबदल हुआ है. अब चीज़ें काफ़ी विस्तृत हैं. जांच निष्पक्ष होती है, नियमों के मुताबिक होती है. इसलिए मुझे लगता है कि अब चीज़ें काफ़ी बदल चुकी हैं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/sport-50671989?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ICC पुरुष वनडे मैच में पहली बार महिला रेफ़री</a></li> </ul><p><strong>इंडिया-श्रीलंका का एक विवादित मैच था, जिसमें कहा गया था कि </strong><strong>फ़ैसला </strong><strong>आपने लिया था</strong><strong>? </strong></p><p>फ़ैसला पूरी टीम ने लिया था, मैंने अकेले नहीं लिया था. जो फ़ैसला लिया गया, हमने वैसा किया. लेकिन परिणाम नहीं मिला. कोई बात नहीं. हर चीज़ अपने हिसाब से नहीं होती. अगर आप पीछे का सोचते रहेंगे तो आगे नहीं बढ़ पाएंगे. </p><p><strong>आप आगे क्या सोच रहे हैं</strong><strong>?</strong></p><p>मैं सोच रहा हूं कि एसोसिएशन को आगे बढ़ाना है. रणजी ट्रॉफी जीतने की कोशिश करेंगे. कोई भी एसोसिएशन चाहती है कि वो रणजी ट्रॉफी जीते. उसके लिए सबसे बड़ी बात यही होती है. हमने 1987 में जीती थी. </p><p>उस रणजी ट्रॉफी का मैं हिस्सा नहीं था, क्योंकि मैं उस वक्त टेस्ट मैच खेल रहा था. उस वक्त मुझे बहुत खुशी हुई थी. क्योंकि जब कोई प्लेयर हैदराबाद के लिए खेलता है तो वो रणजी ट्रॉफी जीतना चाहता है. मैं भी चाहूंगा कि हमारी टीम मेरे कार्यकाल में रणजी ट्रॉफी जीते. मैं यही कोशिश कर रहा हूं. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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