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ट्रंप से पहले भी तीन अन्य राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रस्ताव
वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर महाभियोग प्रक्रिया चल रही है. इससे पहले अमेरिका के तीन अन्य राष्ट्रपति भी महाभियोग के घेरे में आ चुके हैं. हालांकि, महाभियोग मतदान शुरू होने से पहले ही रिचर्ड निक्सन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. दो अन्य राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन (1868) और बिल क्लिंटन (1974) पर महाभियोग […]
वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर महाभियोग प्रक्रिया चल रही है. इससे पहले अमेरिका के तीन अन्य राष्ट्रपति भी महाभियोग के घेरे में आ चुके हैं. हालांकि, महाभियोग मतदान शुरू होने से पहले ही रिचर्ड निक्सन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. दो अन्य राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन (1868) और बिल क्लिंटन (1974) पर महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था. हालांकि, दोनों इसके बाद भी अपने पद पर बरकरार रहे.
एंड्रयू जॉनसन
(राष्ट्रपति : 1865-1869)
अमेरिका के इतिहास में पहली बार 17वें राष्ट्रपति पर महाभियोग लाया गया. जॉनसन राष्ट्रपति लिंकन के दूसरे कार्यकाल में सहयोगी के रूप में चुन कर आये थे. अप्रैल, 1865 में लिंकन की हत्या के बाद उपराष्ट्रपति पद पर कार्यरत जॉनसन को 42 दिनों के भीतर ही राष्ट्रपति का कार्यभार संभालना पड़ा. गृहयुद्ध से उबर रहे देश को संभालने की जिम्मेदारी उन पर थी, इस दौरान देश निर्माण के लिए लिये जा रहे फैसलों पर उनके और कांग्रेस के बीच मतभेद ऊभर आये. उन्होंने अपने वीटो का गलत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिससे सांसदों में नाराजगी व्याप्त हो गयी.
लिंकन द्वारा नियुक्त किये गये सेक्रेटरी ऑफ वॉर एडविन स्टेंटन को 1868 में बर्खास्त कर दिया. वे जॉनसन के फैसले के खिलाफ मुखर हो रहे थे. रिपलब्किन ने आरोप लगाया कि इससे ‘टेनर ऑफ ऑफिस एक्ट’ का खुला उल्लंघन हो रहा है. फरवरी, 1868 में हाउस ने जॉनसन के खिलाफ लाये गये महाभियोग प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. उनके खिलाफ लगाये 11 आरोपों में स्टेंटन को हटाने पर विशेष रूप से फोकस किया गया था. उन पर अपमान, उपहास, घृणा, अवमानना जैसे आरोप लगाये गये.
क्या रहा परिणाम : सीनेट द्वारा तीन प्रस्तावों पर मतदान किया गया, जिसमें से दो स्टेंटन की बर्खास्तगी और एक कांग्रेस की अवमानना और बाधा पहुंचाने से संबंधित था. तीनों पर ही सीनेट ने एक मत से उन्हें बरी कर दिया. जॉनसन 1869 तक ऑफिस में बने रहे.
रिचर्ड निक्सन
(राष्ट्रपति : 1969-1974)
महाभियोग मतदान प्रक्रिया शुरू करने से पहले रिपब्लिकन निक्सन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. जॉनसन के बाद वे दूसरे राष्ट्रपति थे, जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव तैयार किया गया था. एक साल तक चले वाटरगेट घोटाले के बाद अक्तूबर, 1973 में निक्सन के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया शुरू की गयी थी.
वाटरगेट मामले की जांच के दौरान निक्सन का रवैया बाधक था.‘शनिवार रात नरसंहार’ मामले के अगले ही दिन महाभियोग प्रक्रिया शुरू हुई, जब निक्सन ने वाटरगेट मामले की जांच कर रहे विशेष अभियोजक आर्चिबाल्ड कॉक्स को हटा दिया और एटॉर्नी जनरल एलियट रिचर्डसन और डिप्टी एटॉर्नी जनरल विलियम रकेलशॉस का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. हाउस ज्यूडिसियरी कमेटी ने जुलाई 1974 में निक्सन के खिलाफ तीन आरोप तय किये. कहा गया कि निक्सन ने जांच में बाधा डाली और देरी की है. उन पर जिम्मेदारियों को छिपाने, गैर-कानूनी गुप्त गतिविधियों में सहयोग करने का आरोप लगाया गया.
क्या रहा परिणाम : हाउस ज्यूडिसियरी कमेटी ने तीन आरोपों को तय किया था, लेकिन इस पर पूर्ण हाउस मतदान नहीं हो सका. सुप्रीम कोर्ट ने व्हाइट हाउस से फोन कॉल का टेप जारी करने के लिए कहा, जिसमें निक्सन ने वाटरगेट छिपाने के लिए आदेश दिया था. इसके बाद निक्सन ने 9 अगस्त, 1974 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वे पहले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने महाभियोग से बचने के लिए अपना पद छोड़ दिया.
बिल क्लिंटन
(राष्ट्रपति : 1993-2001)
जॉनसन के खिलाफ चले महाभियोग के 130 साल बाद डेमोक्रेट राष्ट्रपति क्लिंटन पर महाभियोग प्रस्ताव लाया गया. क्लिंटन पर एक रिपोर्ट के खुलासे के बाद महाभियोग प्रक्रिया शुरू की गयी. पॉउला जोंस नाम की एक महिला ने उन पर यौन दुराचार का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था.
जोंस के आरोपों के बचाव में क्लिंटन ने झूठ बोलते हुए दलील दी कि व्हॉइट हाउस इंटर्न मोनिका लेंविस्की के साथ उनका कोई यौन संबंध नहीं था. स्टार रिपोर्ट में दावा किया गया था कि लेंविस्की के साथ अपने संबंधों को छुपाने के लिए क्लिंटन ने अपने सेक्रेटरी बेट्टी क्यूरी पर भी दबाव बनाया था. रिपब्ल्किन के बहुमत वाले हाउस ने उनके खिलाफ चार आरोप तय किये थे, लेकिन दो आरोपों को अंत में स्वीकार किया गया. पहला आरोप था कि उन्होंने इस मामले में झूठी, गलत और भ्रामक गवाही दी. दूसरा आरोप था कि जोंस मामले में संबंधित सुबूतों में देरी, बाधा डालने और छुपाने के प्रयास से न्याय प्रक्रिया बाधित हुई.
क्या रहा परिणाम : रिपब्लिकन के बहुमत वाले सीनेट ने क्लिंटन को फरवरी, 1999 में दोनों आरोपों से बरी कर दिया. राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की दरकरार थी. सीनेट में 45 डेमोक्रेट के अलावा कई रिपब्लिकन ने उनके पक्ष में मतदान किया, जिससे वे बच गये. अपने दूसरे कार्यकाल तक वे ऑफिस में बने रहे.
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