7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

1000 सीटों वाली लोकसभा बनी तो क्या होगा फ़ायदा

<figure> <img alt="पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/A93A/production/_110222334_gettyimages-1166092881.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाल में ये सवाल उठाए हैं कि आख़िर कोई सासंद कितने लोगों की आबादी का प्रतिनिधित्व कर सकता है.</p><p>इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित द्वितीय अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान में उन्होंने कहा कि भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों को देखें, […]

<figure> <img alt="पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/A93A/production/_110222334_gettyimages-1166092881.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाल में ये सवाल उठाए हैं कि आख़िर कोई सासंद कितने लोगों की आबादी का प्रतिनिधित्व कर सकता है.</p><p>इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित द्वितीय अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान में उन्होंने कहा कि भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों को देखें, तो मतदाताओं की संख्या उसके अनुपात में बहुत ज़्यादा है. </p><p>उनका कहना था, &quot;लोकसभा की क्षमता के बारे में आख़िरी बार 1977 में संशोधन किया गया था, जो 1971 में हुई जनगणना पर आधारित था और उस वक़्त देश की आबादी केवल 55 करोड़ थी. लेकिन इसे अब 40 साल से अधिक का वक़्त हो चुका है. उस वक़्त के मुक़ाबले अब आबादी दोगुने से ज़्यादा बढ़ गई है और इस कारण अब परिसीमन पर लगी रोक को हटाने के बारे में सोचा जाना चाहिए.&quot;</p><p>उन्होंने कहा, &quot;आदर्श रूप से संसद में लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों की संख्या पर लगी रोक को ख़त्म किया जाना चाहिए. लेकिन जब भी लोकसभा की सीटें बढ़ा कर 1000 करने और इसी के अनुपात से राज्यसभा की सीटें बढ़ाने की बात होती है तो ऐसा न करने के पक्ष में व्यवस्थागत समस्याओं की दलील दी जाती है.&quot;</p><p>हालांकि उनके इस बयान में उनका निशाना इस बात पर था कि बहुमत किसे कहा जाए. उन्होंने सबको साथ लेकर चलने वाले नेता की बात की और कहा कि 1952 से लोगों ने अलग-अलग पार्टियों को मज़बूत जनादेश दिया है लेकिन कभी भी एक पार्टी को 50 फ़ीसदी से ज्यादा वोट नहीं दिए हैं. </p><p>उन्होंने कहा कि &quot;चुनावों में बहुमत आपको एक स्थिर सरकार बनाने का अधिकार देता है लेकिन अगर हम ये मानते हैं कि सदन में पूर्ण बहुमत मिल जाए तो कुछ भी और कैसा भी कर सकते हैं, तो ऐसा नहीं होना चाहिए. ऐसे लोगों को जनता ने अतीत में अक्सर दंडित किया है.&quot;</p><p><strong>पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी </strong><strong>का </strong><a href="https://www.youtube.com/watch?v=Ac0N4w0uPlk">पूरा भाषण सुनने के लिए यहां क्लिक करें</a><strong>.</strong></p><p>लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने <a href="https://www.youtube.com/watch?v=GGIcz3eOlTY">इसी महीने कहा था</a> कि सरकार नई संसद बनाने के काम में लगी है. </p><p>हालांकि उन्होंने अधिक जानकारी नहीं दी लेकिन बताया कि &quot;हमारी कोशिश है कि जब आज़ादी के 75 साल हो रहे होम तब संसद का <a href="https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=194017">नया सत्र नई संसद</a> में चला सकें. &quot;</p><p><a href="https://twitter.com/CitiznMukherjee/status/1206585951838883840">https://twitter.com/CitiznMukherjee/status/1206585951838883840</a></p><p>जानकारों का कहना है कि माना जा रहा है कि नई संसद में अधिक सांसदों के बैठने की जगह होगी और नेताओं की संख्या बढ़ी तो जगह की कमी कोई मुश्किल नहीं होगी.</p><p>आख़िरी बार परिसीमन की प्रक्रिया 2002 में शुरू की गई थी और ये 2008 में ख़त्म हुआ था और ये आधारित था 2001 में हुई जनगणना पर.</p><p><strong>वरिष्ठ पत्रकार टीआर रामचंद्रन </strong>मानते हैं &quot;इसके बाद जिस तरह से परिसीमन होना था उस तरीक़े से नहीं हुआ. अब फिर से परिसीमन का वक्त नज़दीक आ रहा है, 2026 तक फिर परिसीमन होना है.&quot; </p><p>वो कहते हैं, &quot;फिर से परिसीमन हुआ, तो सीटों की संख्या बढ़ेगी और उत्तर की सीटें अधिक बढ़ेंगी जबकि दक्षिण की सीटें कम बढ़ेंगी.&quot;</p><p>वो कहते हैं कि 2026 में परिसीमन होगा तो इसमें कम से कम पांच से सात साल लगेंगे. ऐसे में आप मान कर चलिए कि इसके बाद चुनाव हुए तो जनसंख्या को देखते हुए लोकसभा में 1000 सीटों की ज़रूरत भी हो जाएगी.</p><p>देखा जाए तो <a href="http://censusindia.gov.in/2011-prov-results/paper2/data_files/india/paper2_1.pdf">2011 में हुई जनगणना</a> के अनुसार उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19.9 करोड़ है, जबकि तमिलनाडु की 7 करोड़ और कर्नाटक की 6 करोड़. </p><p>वहीं उत्तर प्रदेश से <a href="http://164.100.47.194/Loksabha/Members/StatewiseList.aspx">लोकसभा की 80 सीटें</a> हैं और तमिलनाडु और कर्नाटक में 39 और 28 सीटें हैं. </p><p>वहीं बिहार की जनसंख्या 10 करोड़ है यहां लोकसभा की 40 सीटें हैं. 9 करोड़ की जनसंखया वाले पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं.</p><p>केरल (20), कर्नाटक (28), तमलनाडु (39), आंध्र प्रदेश (25) और तेलंगाना (17) को मिला कर देखें तो लोकसभा में यहां से 129 प्रतिनिधि हैं. </p><p>वहीं इसके मुक़ाबले उत्तर भारत के केवल तीन राज्य बिहार (40), उत्तर प्रदेश (80) और पश्चिम बंगाल (42) से कुल मिला कर 164 प्रतिनिधि लोकसभा में हैं.</p><figure> <img alt="मतदान" src="https://c.files.bbci.co.uk/11DB6/production/_110224137_bdccde93-bb5d-43c7-b50e-0081c3612dd3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p><strong>वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी </strong>भी मानती हैं पहले ही इस मामले में राज्यों में पहले की क्षेत्रीय असंतुलन का भावना है. </p><p>वो कहती हैं कि <a href="https://www.livemint.com/Politics/YeTLbFIBK7aq5k4SqrnUMP/Why-South-India-states-are-objecting-to-Finance-Commissions.html">2018 में फाइनेंस कमीशन</a> में राजस्व के वितरण को लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों ने नाराज़गी जताई थी और पूछा था कि उत्तर भारत का बोझ दक्षिण भारत के कंधों पर क्यों हो. </p><p>हालांकि उनका कहना है कि संसद में प्रतिनिधियों का बढ़ना और छोटे-छोटे संसदीय क्षेत्रों के होने का लाभ भी लोगों को ज़रूर होगा. </p><p>वो कहती हैं &quot;अगर एक सासंद 16 से 18 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है तो वो सही मायनों में इतने लोगों से संपर्क कैसे रख सकेगा. और सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए जो पैसे मिलता है वो काफ़ी कम होगा. अगर संपर्क की बात करें को सांसद केवल अपने प्रदेश के लोगों को एक पोस्टकार्ड ही भेज सकता है.&quot;</p><p>वो कहती हैं कि इससे पहले जब संसद में <a href="http://prsindia.org/theprsblog/explainer-citizenship-amendment-bill-2019">महिलाओं को आरक्षण</a> देने की बात आई थी, उस वक़्त भी सीटों की संख्या बढ़ाने की बात हुई थी. उस समय इसे लेकर पार्टियों ने जो विरोध किया था उसकी असल वजह यही थी.</p><p>लेकिन अगर सीटें बढ़ती हैं और महिलाओं के लिए भी आरक्षण भी होता है तो वो भी बेहतर होगा. </p><figure> <img alt="मतदान" src="https://c.files.bbci.co.uk/16BD6/production/_110224139_edb93784-efc0-422a-b4ea-fe42e5cb327f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty creative</footer> </figure><p>टीआर रामचंद्रन कहते हैं कि मुश्किलें तों होंगी ही लेकिन सरकार को सोच विचार कर कोई रास्ता खोजना पड़ेगा. </p><p>वो कहते हैं, &quot;इसका फायदा ज़ाहिर तौर पर उत्तर भारत को ही होगा. अभी भी दक्षिण भारत से संसद में कम सीटें है और इसे ले कर पहले ही नाराज़गी है. सीटों की संख्या बढ़ी तो तनाव बढ़ेगा क्योंकि आप देख लीजिए उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं जितनी दक्षिण के किसी राज्य की नहीं है.&quot; </p><p>&quot;समस्या ये होगी कि दक्षिण के लोग कहेंगे कि उत्तर भारत में जनसंख्या पर काबू नहीं किया जा रहा तो उनकी सीटें बढ़ रही हैं और हमने काबू किया है तो हमारी सीटें नहीं बढ़ रहीं.&quot;</p><figure> <img alt="भारत में चुनाव" src="https://c.files.bbci.co.uk/373E/production/_110224141_ffc157d3-c547-44fa-826b-f98d697e36d9.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>नीरजा चौधरी कहती हैं कि जनसंख्या के आंकड़े के साथ-साथ और मानदंडों को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार किया जा सकता है.</p><p>&quot;इसमें दो मानदंड लिए जाएं उनमें कुछ जनसंख्या भी हो और कुछ और चीज़ों को भी नज़र में रखा जाए. जैसे अगर कोई राज्य जनसंख्या पर नियंत्रण कर रहा है, या आपका विकास दूसरों से अधिक हो या आपकी अपनी मेहनत से आपका जीडीपी दूसरों से बेहतर हो तो उसे भी मानदंड के तौर पर शामिल किया जाए.&quot; </p><p>&quot;अगर हम सोचना शुरू करेंगे तो कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा. सभी चीज़ों को नए सिरे से देखने की अब ज़रूरत है. इससे कुछ बुरा नहीं निकलेगा.&quot;</p><p>जानकार मानते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति का इस चर्चा को छेड़ना बेहद महत्वपूर्ण है. वो मानते हैं कि खुले दिमाग़ से नए तरीकों के बारे में सोचने का अब वक्त आ गया है ताकि संसद में जाने वाले प्रतिनिधि सही रूप में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सकें. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें