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नागरिकता संशोधन क़ानून: यूपी में उथल-पुथल, कई शहरों में विरोध प्रदर्शन, मऊ में अघोषित कर्फ़्यू

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और लखनऊ से शुरू हुए उग्र प्रदर्शनों का असर राज्य के दूसरे शहरों में भी दिखने लगा है. मऊ ज़िले में सोमवार शाम जहां स्थानीय नागरिकों ने हिंसक प्रदर्शन किया वहीं वाराणसी में नागरिकता क़ानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच टकराव की स्थिति भी उत्पन्न […]

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और लखनऊ से शुरू हुए उग्र प्रदर्शनों का असर राज्य के दूसरे शहरों में भी दिखने लगा है. मऊ ज़िले में सोमवार शाम जहां स्थानीय नागरिकों ने हिंसक प्रदर्शन किया वहीं वाराणसी में नागरिकता क़ानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच टकराव की स्थिति भी उत्पन्न हो गई. कई शहरों में आज भी प्रदर्शन हो रहे हैं.

मऊ में सोमवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने दोपहर बाद सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया, वहीं शाम को भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने क़रीब एक दर्जन वाहनों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी. इसके अलावा भीड़ ने दक्षिण टोला थाने को भी आग के हवाले करने की कोशिश की. घटना की जानकारी होते ही ज़िले के आला अधिकारी वहां पहुंचे और भीड़ को क़ाबू करने की कोशिश की. लोगों को अनावश्यक घरों से न निकलने की भी चेतावनी दी गई.

मऊ के ज़िलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने बताया, "मिर्ज़ाहादीपुरा में कुछ युवकों ने जामिया मिलिया इस्लामिया में पुलिस की कार्रवाई के विरोध में ज्ञापन देने की योजना बनाई थी. देखते ही देखते मौक़े पर भीड़ बढ़ने लगी. पुलिस ने भीड़ को हटाने का प्रयास किया लेकिन प्रदर्शनकारियों का कोई नेतृत्व नहीं कर रहा था इसलिए दिक़्क़त आ रही थी. अचानक भीड़ ने दक्षिण टोला थाने के आस-पास पथराव और आगज़नी शुरू कर दी. वीडियो फुटेज देखकर उपद्रवियों की धरपकड़ की जाएगी."

ज़िलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि पूरे शहर में धारा 144 लगा दी गई है. उनका कहना था, "प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए ये घोषणा की गई कि आप लोग शांत नहीं होंगे तो कर्फ़्यू लगा दिया जाएगा. अभी कर्फ़्यू लगाया नहीं गया है. लोगों से ये भी कहा गया कि जब तक ज़रूरत न हो लोग घरों से न निकलें."

हालांकि स्थानीय लोगों के मुताबिक, शहर में देर रात तक पुलिस और प्रशासन वाले ये घोषणा करते रहे कि पूरे शहर में कर्फ़्यू लगा दिया गया है और जो भी बाहर निकलेगा उसे गिरफ़्तार करके उसके ख़िलाफ़ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. सोमवार को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े. पूरे शहर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है.

मऊ ज़िले के स्थानीय पत्रकार वीरेंद्र चौहान का कहना है, "शहर में शांति है. कर्फ़्यू तो नहीं है लेकिन कर्फ़्यू जैसी स्थिति ज़रूर है. लोग जानबूझकर घरों से नहीं निकल रहे हैं क्योंकि सोमवार को प्रशासन ने सख़्त चेतावनी दी है. कुछ लोग डरे हुए भी हैं."

वीरेंद्र चौहान के मुताबिक मऊ ज़िले के तमाम छात्र दिल्ली के जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं. उनका कहना है कि दोनों ही जगह छात्रों के ख़िलाफ़ हुई पुलिस कार्रवाई से युवाओं और स्थानीय लोगों में कई दिन से ग़ुस्सा था और लोग प्रदर्शन के लिए इकट्ठे होने की तैयारी कर रहे थे.

वहीं, मऊ नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अरशद जमाल हिंसक प्रदर्शन के लिए कुछ असामाजिक तत्वों को ज़िम्मेदार ठहराते हैं, "जिस लड़ाई को शान्ति पूर्वक लड़ना था उसमें सेंध लगाकर आंदोलन की धार कुंद करने का काम किया गया है. इस काम को हम लोग राजनैतिक दलों के बैनर तले करने वाले थे. 19 दिसम्बर को वाम दलों और समाजवादी पार्टी का मार्च और धरना पहले से निर्धारित है जिसकी सूचना ज़िला प्रशासन को भी दी गई है."

फ़िलहाल मऊ ज़िले में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. ज़िला प्रशासन का कहना है कि शहर के कुछ स्थानीय नेताओं ने सोशल मीडिया पर इस मामले में लोगों को भड़काने की कोशिश की थी जिसकी वजह से प्रदर्शन हिंसक हुआ है. डीएम के मुताबिक, यही वजह है कि कुछ समय के लिए इंटरनेट सेवाएं बाधित की गई हैं और जिन लोगों ने ‘आग में घी’ डालने का काम किया है, उनकी पहचान की जा रही है.

बीएचयू और इलाहाबाद भी अशांत

वहीं बीएचयू और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी सोमवार को नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए और आज भी दोनों जगह प्रदर्शन की घोषणा की गई है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेजों में प्रदर्शनों को देखते हुए दो दिन के अवकाश की घोषणा की है.

बीएचयू में सोमवार शाम सिंहद्वार पर नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ छात्रों ने मशाल जुलूस भी निकाला. एक जगह पर क़ानून का विरोध करने वाले छात्रों और समर्थन कर रहे छात्रों का आमना-सामना भी हुआ लेकिन कोई अप्रिय स्थिति नहीं उत्पन्न होने पाई.

उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच राज्य सरकार ने पश्चिमी यूपी में हाई अलर्ट जारी कर दिया है. अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, कासगंज ज़िलों में इंटरनेट सेवाएं बाधित की गई हैं और तनाव को देखते हुए इन ज़िलों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कंपनियां तैनात की गई हैं.

अलीगढ़ में रविवार को हुई हिंसा में क़रीब दो दर्जन लोग गिरफ़्तार किए गए हैं. इनकी रिहाई का दबाव बनाने के लिए कुछ बाज़ार भी सोमवार को बंद रखे गए. बताया जा रहा है कि कई छात्र लापता भी हैं, हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है.

कॉलेज बंद

सोमवार को लखनऊ के नदवा कॉलेज में हुए प्रदर्शन के बाद, कॉलेज को पांच जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है. कॉलेज में रह रहे छात्रों को उनके घर भेज दिया गया है. वहीं एएमयू में 28 नवंबर से ही परीक्षाएं चल रही थीं जो 21 दिसंबर तक होनी थीं.

लेकिन हिंसा के बाद विश्वविद्यालय कैंपस को बंद कर दिया गया है और छात्रावास खाली करा लिए गए हैं. पांच जनवरी तक विश्वविद्यालय बंद कर दिया गया है और परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक एएमयू के किशनगंज, मुर्शिदाबाद और मल्लापुरम केंद्रों पर भी परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं.

इस बीच, राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफ़वाहों पर ध्यान न देने की अपील की है. राज्य के सभी ज़िलों के डीएम और एसपी को मुख्यालय न छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं.

मंगलवार को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी पुलिस और प्रशासनिक उच्चाधिकारियों से बातचीत की और कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून पर अफ़वाह फैलाने वालों तत्वों पर सख़्ती से नज़र रखें.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री ने कहा, "विभिन्न धर्मों के धर्मगुरु, मौलवी, काजी, प्रबुद्धजनों एवं मानिंद लोगों से संवाद बनाकर उन्हें बतायें कि नागरिकता संशोधन क़ानून किसी जाति, मत या मज़हब के ख़िलाफ़ नहीं है. जो लोग आगजनी किए हैं, वे लोग छात्र नहीं उपद्रवी हैं. क़ानून के साथ खिलवाड़ करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्ती से कार्रवाई की जाए."

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