<figure> <img alt="रेप, महिलाएं" src="https://c.files.bbci.co.uk/15C69/production/_110139198_rape.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>आंध्र प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को एक ऐसा विधेयक पास हुआ है, जिससे औरतों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामलों का निपटारा 21 दिनों में किया जा सकेगा.</p><p>इस पास हुए ‘आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक’ में दोषी को फांसी की सजा देने का भी प्रावधान है. विधेयक में <strong>दिशा</strong> नाम हैदराबाद रेप की पीड़िता को दिए काल्पनिक नाम की वजह से जोड़ा गया है.</p><p><strong><em>इस नए क़ानून के तहत, </em></strong></p> <ul> <li>रेप के मामलों में पुख्ता सबूत होने पर अदालतें 21 दिन में दोषी को मौत की सज़ा सुना सकती हैं. </li> </ul> <ul> <li>पुलिस को सात दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी.</li> </ul> <ul> <li>स्पेशल कोर्ट को 14 दिनों के भीतर ट्रायल पूरा करना होगा.</li> </ul> <ul> <li>सारी प्रक्रियाओं को 21 दिन में पूरा करना होगा.</li> </ul><p>आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के मुताबिक़, ”भले ही हाल ही में हुई रेप की घटना पड़ोसी राज्य तेलंगाना में हुई थी लेकिन उनकी सरकार इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है. महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए यह क़ानून लाया जा रहा है.”</p><p>इस क़ानून में आईपीसी की धारा 354(e) और 354 (f) को भी रखा गया है. इस 354 (f) धारा में बाल यौन शोषण के दोषियों के लिए दस से 14 साल तक की सज़ा का प्रावधान है. अगर मामला बेहद गंभीर और अमानवीय है तो उम्र क़ैद की सज़ा भी दी जा सकती है. </p><p>मौजूदा वक़्त में ऐसे अपराधों के लिए पोक्सो एक्ट के तहत 3-5 साल तक के लिए जेल की सज़ा का प्रावधान रहा है.</p><h1>सोशल मीडिया सेफ्टी के लिए क्या क़ानून?</h1><p><strong>सेक्शन 354(e) के तहत</strong><strong>,</strong></p> <ul> <li>अगर कोई शख़्स ई-मेल, सोशल मीडिया और किसी भी डिजिटल प्लेटफार्म पर कुछ ऐसी पोस्ट या तस्वीरें डालता है, जिससे किसी महिला के सम्मान को आघात पहुंचता है तो ये अपराध की श्रेणी में होगा.</li> <li>अगर कोई शख़्स ऐसा पहली बार कर रहा है तो दो साल की सज़ा और दूसरी बार चार साल की सज़ा का प्रावधान है. </li> </ul><p>फ़िल्म स्टार और पूर्व केंद्रीय मंत्री चिरंजीवी ने सरकार की इस कोशिश की तारीफ़ की है. उन्होंने कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि यह क़ानून यौन हिंसा की पीड़ित महिलाओं और बच्चों को ज़रूरी विश्वास और सुरक्षा देने में कामयाब होगा. दिशा मामले ने हम सभी को हिलाकर रख दिया था. इस घटना के बाद से जिस तरह से पूरी देश से भावनाओं का सैलाब उठा, उसकी मांग थी कि त्वरित न्याय हो. इस दिशा में लिया गया आंध्र प्रदेश सरकार का यह क़दम बेहद सराहनीय है."</p><p>उन्होंने कहा, "मैं सरकार को इस बात की बधाई देता हूं कि उन्होंने ट्रायल का समय चार महीने से घटाकर 21 दिन कर दिया है. इसके अलावा स्पेशल कोर्ट और बाकी ज़रूरी आधारभूत ढांचे का निर्माण किया जाना भी स्वागत योग्य कदम है. यह क़ानून अपराधियों में डर पैदा करेगा. मैं उम्मीद करता हूं अब औरतें आज़ादी के साथ और बिना डरे रहेंगी." </p><figure> <img alt="चिरंजीवी" src="https://c.files.bbci.co.uk/10E49/production/_110139196_chirajnavi.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>क्या इस क़ानून में कमियां हैं?</h1><p>इस क़ानून की चिरंजीवी समेत कई लोग भले ही तारीफ़ कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इसके दूसरे पहलू को भी समझाते हैं.</p><p>आंध्र प्रदेश बार काउंसिल के सदस्य मुपल्ला सुब्बाराव ने बीबीसी से कहा, ”बिना समस्या की जड़ को समझे बिना सिर्फ़ भावनाओं के आधार पर क़ानून बना देना कोई समझदारी की बात नहीं है. त्वरित न्याय को लेकर कई आयोगों और संसदीय समिति की ओर से सिफ़ारिशें मिलीं हैं. नेशनल लॉ कमीशन के अनुसार प्रति दस लाख की आबादी पर कम से कम 50 जज होने चाहिए. लेकिन मौजूदा समय में सिर्फ़ 13 हैं. कई पद खाली हैं. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में 24 जज होने चाहिए. लेकिन हैं सिर्फ़ 13. ऐसे में ये कैसे संभव होगा कि 21 दिन के भीतर फ़ैसला सुना दिया जाए?"</p><p>वो कहते हैं, "रेप के मामले में फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट आने में ही काफी वक़्त लग जाता है. इस वजह से चार्ज शीट फ़ाइल करने में ही एक सप्ताह का वक़्त चाहिए होता है. ऐसे में ये संभव भी कैसे है? ऐसे में अच्छा तो यही होगा कि इस बिल पर एक बार फिर से विचार कर लिया जाए."</p><p>अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संगठन की राष्ट्रीय सचिव डी रमा देवी कहती हैं कि यह बेहद ज़रूरी है कि अपराध की गंभीरता के अनुसार ही दंडित किया जाए लेकिन इसके लिए जो भी ज़रूरी तत्व हैं वो इसमें कहीं भी नहीं हैं. </p><p>वो कहती हैं, "अगर कोई 100 नंबर डायल करता है तो उसे सुनकर प्रतिक्रिया देने के लिए भी पर्याप्त स्टाफ़ नहीं है. इस तरह के मुद्दों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. न्यायपालिका में रिक्तियों के मुद्दे का उल्लेख करने की भी आवश्यकता होनी ही नहीं चाहिए. आवश्यकता के अनुसार बजट आवंटित किया जाना चाहिए. महिलाओं के अपहरण के मामले में आंध्र प्रदेश सूची में चौथे स्थान पर है. इनमें से किसी भी मुद्दे का इसमें कोई उल्लेख नहीं."</p><p>रमा देवी कहती हैं, "इनमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो ऑनर कीलिंग के मुद्दे को ख़त्म करने की बात करता हो. सरकार इन मुद्दों की अनदेखी क्यों कर रही है? महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों से कैसे बचें, उन क़दमों का इस नए क़ानून में कोई ज़िक्र नहीं है.” </p> <ul> <li><strong>यह</strong><strong> भी पढ़ें</strong><strong>-</strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50699611?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हैदराबाद और उन्नाव: नेताओं की इस राजनीति से किसका भला होगा?</a></li> </ul><figure> <img alt="दिशा एक्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/C1D7/production/_110132694_ecd79a5e-dc00-4062-beba-0a828b627a45.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक़, बीते सालों में रेप के मामलों का ग्राफ</figcaption> </figure> <ul> <li><strong>यह</strong><strong> भी पढ़ें</strong><strong>- </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50713320?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’एनकाउंटर’ पर पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज को संदेह</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.</strong><strong>)</strong></p>
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आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक: रेप के दोषियों को 21 दिन में सज़ा देने वाला बिल पास, क्या ख़ूबियां-क्या खामियां
<figure> <img alt="रेप, महिलाएं" src="https://c.files.bbci.co.uk/15C69/production/_110139198_rape.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>आंध्र प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को एक ऐसा विधेयक पास हुआ है, जिससे औरतों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामलों का निपटारा 21 दिनों में किया जा सकेगा.</p><p>इस पास हुए ‘आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक’ में दोषी को फांसी की सजा देने का भी प्रावधान है. विधेयक में […]
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