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जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए ब्रितानी सरकार कभी माफी मांगेगी?

<figure> <img alt="वीर अमरजीत" src="https://c.files.bbci.co.uk/D847/production/_110076355_a783e982-aa4f-4ddf-a6a2-37493dd5d6af.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>वीर अमरजीत</figcaption> </figure><p>छह सौ पचास सीटों के लिए ब्रिटिश संसदीय चुनाव 12 दिसंबर को है. इस चुनाव में भारत में घटी 100 साल पुरानी त्रासदी की आवाज़ गूँज रही है. </p><p>लेबर पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया है कि सत्ता में आने पर वो […]

<figure> <img alt="वीर अमरजीत" src="https://c.files.bbci.co.uk/D847/production/_110076355_a783e982-aa4f-4ddf-a6a2-37493dd5d6af.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>वीर अमरजीत</figcaption> </figure><p>छह सौ पचास सीटों के लिए ब्रिटिश संसदीय चुनाव 12 दिसंबर को है. इस चुनाव में भारत में घटी 100 साल पुरानी त्रासदी की आवाज़ गूँज रही है. </p><p>लेबर पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया है कि सत्ता में आने पर वो जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए भारत से औपचारिक रूप से माफ़ी मांगेगी. </p><p>कुछ विश्लेषकों के अनुसार लेबर पार्टी ने ये वादा केवल दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के वोट हासिल करने के लिए किया है. </p><p>दक्षिण एशियाई भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी की कुल संख्या 30 लाख बताई जाती है जिसमें 15 प्रवासी भारतीय हैं. इनका वोट 48 सीटों के नतीजों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा. शायद इसलिए सभी पार्टियां इस गुट की अहमियत को स्वीकार करती हैं.</p><figure> <img alt="जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए ब्रितानी सरकार कभी माफी मांगेगी?" src="https://c.files.bbci.co.uk/8E0F/production/_110076363_a17a05d1-fc8b-4c21-b147-73f266781358.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>प्रदर्शनी की एक तस्वीर</figcaption> </figure><p>सुवान्ज़ी (वेल्स) के वीर अमरजीत इससे उत्साहित हैं. वो पैदा हुए इस शहर में, उनकी परवरिश भी इसी शहर में हुई, लेकिन इनका दिल भारत के लिए धड़कता है. </p><p>दूसरी पीढ़ी के इस प्रवासी भारतीय ने 1919 में हुए जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए माफ़ी के लिए अभियान छेड़ रखा है. </p><p>वीर अमरजीत कहते हैं, &quot;मेरे लिए ये मायने रखता है क्योंकि मेरे पूर्वज भारत से हैं. भारत में जो अत्याचार हुए हैं, उससे मुझे भी बहुत दुख है. मैं अब भी खुद को एक पंजाबी सिख की तरह देखता हूँ.&quot;</p><p>बेशक वो पगड़ी और दाढ़ी वाले पूरे पंजाबी सिख हैं. फ़र्क़ केवल इतना है कि उनकी पंजाबी में ब्रिटिश लहज़े का पूरा असर है. </p><p>पेशे से वो एक ट्रेड यूनियनिस्ट हैं. लेकिन इनकी ज़िंदगी का मिशन है जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के लिए ब्रिटिश सरकार से माफ़ी की मांग की मुहिम को जारी रखना. </p><figure> <img alt="जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए ब्रितानी सरकार कभी माफी मांगेगी?" src="https://c.files.bbci.co.uk/3FEF/production/_110076361_05e5d606-4b44-4948-b958-91708122aa61.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>प्रदर्शनी की एक तस्वीर</figcaption> </figure><h1>यक़ीन</h1><p>और वो इस काम में जुनून रखते हैं. वो इस मुद्दे पर बात करने वेल्स से चार घंटे की ड्राइव करके बीबीसी टीम से मिलने मैनचेस्टर आए. </p><p>उन्हें यक़ीन है कि लेबर पार्टी सत्ता में आने पर अपना वादा निभाएगी. वो कहते हैं, &quot;मुझे लगता है कि लेबर पार्टी केवल हमें लुभाने के लिए झूठा वादा नहीं कर रही है. हमें लगता है वो औपचारिक रूप से माफ़ी मांगेगी.&quot;</p><p>मैनचेस्टर के एक प्रवासी भारतीय जगतार सिंह ऐजमाल, वीर अमरजीत की तरह लेबर पार्टी के समर्थक हैं. </p><p>लेकिन उन्हें इस वादे पर पूरा भरोसा नहीं है. वो कहते हैं, &quot;लेबर पार्टी के लोग अंदर से जानते हैं कि वो ये चुनाव नहीं जीत सकेंगे. तो उन्हें लगता है कि वादा करने में क्या जाता है. अगर पार्टी सत्ता में आ गई तो उनकी नीयत का सही से अंदाज़ा होगा.&quot; </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50721043?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ब्रितानी चुनावः जहाँ कश्मीर भी एक मुद्दा है</a></li> </ul><h1>चुनावी जुमला</h1><p>कई दूसरे प्रवासी भारतीय मानते हैं कि ये केवल लेबर पार्टी का एक चुनावी जुमला नहीं है. </p><p>उनका कहना था कि इस मांग को भारतीय मूल के लोगों ने सालों से ब्रिटिश सरकार के सामने रखा है जिनमें लेबर पार्टी की सरकारें भी शामिल हैं, लेकिन अब तक औपचारिक रूप से सरकार ने माफ़ी नहीं मांगी है.</p><p>वीर अमरजीत और इस मांग के लिए मुहिम चला रहे दूसरे प्रवासी भारतीयों की मुख्य रूप से दो मांगें हैं. अमरजीत कहते हैं, &quot;एक जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के लिए माफ़ी और दूसरी, ब्रिटेन के स्कूल सिलेबस में बदलाव.&quot;</p><p>वो आगे कहते हैं कि उन्होंने स्वान्ज़ी के एक स्कूल में पढ़ाई की है. </p><p>&quot;यहाँ के स्कूलों की किताबों में ब्रिटिश राज के दौर को एक सुनहरे दौर की तरह से पेश किया जाता है. हमें ये नहीं बताया जाता है कि ब्रिटिश राज ने किस तरह से जलियांवाला बाग़ नरसंहार की तरह कितने और अत्याचार किए हैं. हमारी संपत्ति लूटी है, हमारी हत्याएँ की गई हैं. मैं सालों पहले स्कूल गया था, लेकिन अब तक सिलेबस बदला नहीं है. अब तो हमारे बच्चे भी अपने पूर्वजों की हिस्ट्री नहीं जानते.&quot; </p><p>लेबर पार्टी ने सत्ता में आने पर स्कूलों के सिलेबस में ब्रिटिश राज के अत्याचारों की पढ़ाई शामिल करवाने का भी वादा किया है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-40209437?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ब्रिटेन चुनाव: एक्ज़िट पोल में कंजरवेटिव आगे </a></li> </ul><figure> <img alt="जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए ब्रितानी सरकार कभी माफी मांगेगी?" src="https://c.files.bbci.co.uk/12667/production/_110076357_8fcca3fb-5b79-476b-a8b8-c5cda11dd886.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>जगतार सिंह</figcaption> </figure><h1>ब्रितानी संसद में माफ़ी</h1><p>यूं तो कई ब्रिटिश नेता भारत आए, अमृतसर में जलियांवाला बाग़ भी गए, सॉरी कहा, लेकिन औपचारिक रूप से माफ़ी नहीं मांगी.</p><p>वीर अमरजीत कहते हैं कि औपचारिक रूप से माफ़ी मांगने का मतलब केवल ज़ुबानी सॉरी कहने के बजाए ब्रितानी संसद में माफ़ी के लिए एक प्रस्ताव पूरे बहुमत के साथ पारित किया जाए. </p><p>कहा जाता है कि जलियांवाला बाग़ में फ़ायरिंग से 1500 के क़रीब प्रदर्शनकारी मारे गए थे. इस साल अप्रैल में इस हत्याकांड के 100 साल पूरे हुए.</p><p>इस अवसर पर ब्रिटेन की संसद (हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स) में एक सभा का आयोजन किया गया था. उस सभा में मैनचेस्टर की इंडियन एसोसिएशन की अध्यक्ष इंदु सेठ भी मौजूद थीं. वो कहती हैं, &quot;केवल ब्रिटिश एशियाई मूल के सांसद ही वहां मौजूद थे. लेकिन वहां ब्रिटिश सरकार का कोई नहीं था.&quot; </p><p>इंदु सेठ को दुख भी हुआ और आश्चर्य भी. लेकिन उनके विचार में इस सभा का उद्देश्य माफ़ी के लिए जागरूकता बढ़ाना था और सदभाव बनाए रखना था, जो पूरा हुआ. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-40143046?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ब्रिटेन चुनाव: लंदन में घर का सपना कौन करेगा पूरा?</a></li> </ul><figure> <img alt="जलियांवाला बाग़ नरसंहार के लिए ब्रितानी सरकार कभी माफी मांगेगी?" src="https://c.files.bbci.co.uk/17487/production/_110076359_20bea894-95a4-4bc4-80d8-f63a08a1527e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>अहम सवाल ये है कि आख़िर पिछले 100 साल में अब तक किसी ब्रिटिश सरकार ने माफ़ी क्यों नहीं माँगी?</p><p>मैनचेस्टर के जगतार सिंह ऐजमाल इसका जवाब यूं देते हैं, &quot; मेरे विचार में दो चीजें ब्रिटिश सरकार को औपचारिक रूप से माफ़ी मांगने से रोक रही हैं. एक, उन्हें डर है कि नरसंहार करने वाले लोगों के रिश्तेदार मुआवज़े की मांग करेंगे. दूसरे, उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान इस तरह के कई बड़े अत्याचार कई देशों में किए हैं और उन्हें डर है कि अगर वो जलियांवाला बाग़ की घटना पर भारत से माफ़ी मांगते हैं तो अन्य पूर्व ब्रिटिश कॉलोनीज़ भी अपने देशों में हुई ज़्यादतियों के लिए माफ़ी की मांग करेंगे.&quot;</p><p>यहां अधिकतर प्रवासी भारतीय चाहते हैं कि ब्रिटेन जलियांवाला बाग़ के किए जल्द माफ़ी मांग ले लेकिन इन्हें ये भी शक है कि कहीं लेबर पार्टी का माफ़ी मांगने का वादा केवल एक चुनावी जुमला तो नहीं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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