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बिहार का विपक्षी महागठबंधन टूटा तो नहीं लेकिन ‘टूटने वाला है’

<figure> <img alt="महागठबंधन" src="https://c.files.bbci.co.uk/CB35/production/_109012025_gettyimages-1074467346.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>बिहार में बीजेपी को परास्त करने के लिए लालू यादव के आह्वान पर बना महागठबंधन इन दिनों बिखर सा गया है.</p><p>लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही बिखराव की बातें शुरू हो गई थीं. नेताओं ने हार का ठीकरा गठबंधन का नेतृत्व कर […]

<figure> <img alt="महागठबंधन" src="https://c.files.bbci.co.uk/CB35/production/_109012025_gettyimages-1074467346.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>बिहार में बीजेपी को परास्त करने के लिए लालू यादव के आह्वान पर बना महागठबंधन इन दिनों बिखर सा गया है.</p><p>लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही बिखराव की बातें शुरू हो गई थीं. नेताओं ने हार का ठीकरा गठबंधन का नेतृत्व कर रहे तेजस्वी यादव पर फोड़ा. हालांकि तेजस्वी कभी ज़िम्मेदारी लेते नहीं दिखे.</p><p>पिछली दफ़ा भी गठबंधन के बनने से पहले सीटों को लेकर बहुत बवाल मचा था. आख़िरी मौक़े पर किसी तरह बात बनी. कुल पांच पार्टियों का महागठबंधन बना.</p><p>लेकिन इस बार महज़ पांच सीटों को लेकर बात इतनी बिगड़ी गई है कि ऐसा लग रहा जैसे महागठबंधन टूट गया हो.</p><p>पांच में से चार सीटों दरौंदा, सिमरी बख्तियारपुर, बेलहर और नाथनगर से राष्ट्रीय जनता दल ने अपने उम्मीदवारों को उतारने की न सिर्फ़ घोषणा की है, बल्कि लड़ने के लिए पार्टी का सिंबल भी दे दिया है.</p><figure> <img alt="कांग्रेस" src="https://c.files.bbci.co.uk/11955/production/_109012027_gettyimages-494325626.jpg" height="699" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>कांग्रस में सभी सीटों पर अकेले लड़ने की मांग </h1><p>कांग्रेस पार्टी शुरू में दो सीटों किशनगंज और सिमरी बख्तियारपुर की मांग कर रही थी. लेकिन राजद की ओर से चार सीटों पर लड़ने की घोषणा के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी की गुरुवार को हुई बैठक में यह तय किया गया कि कांग्रेस सभी पांचों सीटों पर लड़ेगी.</p><p>बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने बीबीसी से कहा, &quot;हम तो अपने पिछले रिकार्ड के आधार पर किशनगंज और सिमरी बख्तियारपुर की मांग कर रहे थे. लेकिन आरजेडी ने वहां से भी अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी. ये तो हमारा अपमान है.&quot;</p><p>&quot;इसलिए प्रदेश कमेटी की बैठक में ऐसे कई ऑपिनियन आए कि क्यों ना हम अकेले लड़ें. हमनें अपनी बात प्रदेश चुनाव प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल को बता दी है. वे दिल्ली गए हैं. आलाकमान तक हमारी बात पहुंचाएंगे. वहीं सीटों और नाम पर आख़िरी फ़ैसला होगा.&quot;</p><figure> <img alt="जीतन राम मांझी" src="https://c.files.bbci.co.uk/16775/production/_109012029_gettyimages-462984954.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>मांझी राजद के फैसले पर आश्चर्यचकित</h1><p>महागठबंधन की तीसरी सहयोगी पार्टी हम (हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा), जिसके मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हैं, ने भी नाथनगर से अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा की है. उन्होंने तो यह ऐलान राजद से भी पहले कर दिया था. लेकिन राजद ने उनकी भी बात को दरकिनार कर दिया. नाथनगर से भी अपना उम्मीदवार उतार दिया है.</p><p>जीतनराम मांझी इससे काफ़ी नाराज़ हुए हैं. उन्होंने ही सबसे पहले बग़ावती तेवर अपनाया. बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं, &quot;राजद ने बिना बात किए चार सीटों पर अपने कैंडिडेट को सिंबल दे दिया. उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. हम बाक़ी सहयोगी दल तो उनके फैसले से आश्चर्यचकित हैं.&quot;</p><p>मांझी आगे बताते हैं कि महागठबंधन की सहयोगी पार्टियों के बीच समन्वय समिति की बैठक होती है जिसमें विवाद के सारे मसले हल होते हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में हार के बाद सिर्फ़ एक बार ही बैठक हुई. उसमें भी हार के कारणों पर चर्चा हुई थी. उसी बैठक के बाद से तेजस्वी यादव 46 दिनों तक राजनीति से ग़ायब हो गए. फिर दोबारा बैठक हो नहीं पायी.&quot;</p><p>मांझी कहते हैं, &quot;अभी भी वक्त है. एक बैठक होनी चाहिए. सारे मसले हल होने चाहिए. अगर फिर भी नहीं होता है तो सबने अपना-अपना ऐलान कर ही दिया है. मगर एक बात तय है कि यह लालू जी के सपने के लिए और महागठबंधन के लिए काला दिन होगा.&quot;</p><p><a href="https://www.facebook.com/VIPPartyIndia/posts/765926403862089">https://www.facebook.com/VIPPartyIndia/posts/765926403862089</a></p><p><strong>सन ऑफ़ मल्लाह ने कहा</strong><strong>- </strong><strong>आरजेडी तानाशाह</strong></p><p>लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर लड़ चुकी सन ऑफ़ मल्लाह कहे जाने वाले मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी (विकासशील इंसाफ पार्टी) ने भी सिमरी बख्तियारपुर सीट पर लड़ने की घोषणा की है.</p><p>मुकेश कहते हैं, &quot;जिस बुनियाद पर महागठबंधन बना था, उसका पालन होना चाहिए था. हमनें अपने प्रतिनिधित्व के आधार पर एक सीट से लड़ने की बात कही थी. लेकिन आरजेडी ने एकतरफ़ा फैसला कर लिया. उसे सहयोगी दल को भरोसे में लेना चाहिए था. आप ही बताइए, राजद नेतृत्व की ऐसी तानाशाही कैसे चलेगी?&quot;</p><p>महज़ पांच सीटों पर इतना विवाद क्या महागठबंधन के लिए 2020 वाले विधानसभा चुनाव में नुक़सान नहीं पहुंचाएगा?</p><p>मुकेश कहते हैं, &quot;बिल्कुल पहुंचाएगा. जनता के बीच ख़राब मैसेज जाएगा. और अगर आरजेडी का यह रवैया जारी रहा तो महागठबंधन टूटे या रहे हमलोग अलग चुनाव लड़ेंगे. आरजेडी को छोड़कर बाक़ी जो पार्टियां होंगी वे साथ होकर लड़ेंगी. हम गठबंधन से अरजेडी तो माइनस कर देंगे.&quot;</p><p>महागठबंधन के एक अन्य सहयोगी दल रालोसपा की तरफ़ से इस उपचुनाव को लेकर अभी तक कोई बात नहीं कही गई है. जीतनराम मांझी से बातचीत में पता चला के उपेंद्र कुशवाहा की तबीयत इन दिनों ख़राब है. वे डेंगू का इलाज कराने दिल्ली गए हैं.</p><h1>क्या आरजेडी के बिना होगा गठबंधन?</h1><p>महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच रार इस बात पर ठनी है कि सबसे पड़ी पार्टी आरजेडी ने बिना पूछे चार जगहों से अपने उम्मीदवार क्यों उतार दिए.</p><p>बीबीसी से बातचीत में पार्टी प्रमुखों ने एक स्वर में इसी बात पर नाराज़गी जतायी. सबकी शिकायत आरजेडी नेतृत्व से ही है.</p><p>लेकिन आरजेडी को छोड़कर सभी ख़ुद को एक साथ बताते हैं. तो क्या अगले चुनाव में गठबंधन कांग्रेस, रालोसपा, हम और रालोसपा के बीच होगा?</p><p>जीतनराम मांझी कहते हैं, &quot;क्यों नहीं हो सकता! हम सबका मक़सद तो एक ही है. हमलोग लालू जी के कहने पर एक साथ आए थे. लेकिन ऐसा लगता है कि तेजस्वी प्रसाद यादव साथ नहीं आना चाहते.&quot;</p><p>मदन मोहन झा कहते हैं, &quot;हमारा मक़सद बीजेपी को हराना है. और हमारी शुरू से यही नीति रही है कि इस मक़सद के साथ जो हैं, उनको साथ लेकर चले. इसी नीति पर चल भी रहे थे.&quot;</p><p>क्या आरजेडी-कांग्रेस का बीस से भी अधिक सालों का साथ टूट जाएगा? झा कहते हैं, &quot;इसका फैसला तो आलाकमान करेगा. लेकिन जो आरजेडी कर रही है यह हमें स्वीकार नहीं है. &quot;</p><figure> <img alt="शिवानंद तिवारी" src="https://c.files.bbci.co.uk/32DD/production/_109012031_gettyimages-157261937.jpg" height="976" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>क्या कहती है आरजेडी?</h1><p>बिना सहयोगी दलों की सहमति के आरजेडी ने चार सीटों पर लड़ने की घोषणा क्यों कर दी? आख़िर ऐसे में बाक़ी सहयोगी दल कहां जाएंगे?</p><p>हमनें विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से बात करने की कोशिश की. लेकिन संपर्क नहीं हो सका.</p><p>राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी से हमारी बात हुई है. आरजेडी के रवैये पर उठ रहे सवालों पर शिवानंद कहते हैं, &quot;हमनें वही किया है जो करना चाहिए था. जिसका जहां से कोई जनाधार नहीं है वो वहां से अपने लिए सीट मांग रहा है. हमनें पिछले विधानसभा चुनाव के रिकार्ड के आधार पर फैसला किया है.&quot;</p><p>&quot;जिन जगहों से हमनें अपने कैंडिडेट उतारे हैं, वहां से सबसे निकटतम प्रतिद्वंदी हम ही रहे. सच कहें तो पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें इतनी सीटें देकर मुर्खता हो गई. हम दोबारा वो ग़लती नहीं करना चाहते. राजद गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी हैं. सबको चाहिए था कि वे हमारे फैसले के साथ चलें. लेकिन सब अलग-अलग लड़ने का ऐलान कर दिए हैं तो लड़ ही लें. थाह लग जाएगा.&quot;</p><p>कांग्रेस से अलग होने के सवाल पर शिवानंद कहते हैं, &quot;वे लोग भी तो अलग लड़ने का ऐलान कर ही दिए हैं. अब उनका आलाकमान कोई फैसला ले तब तो. लेकिन हम तो लड़ेंगे. और पूरी तैयारी के साथ लड़ेंगे.&quot;</p><figure> <img alt="बिहार में चुनाव" src="https://c.files.bbci.co.uk/760D/production/_109012203_gettyimages-494656114.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>कब होना है चुनाव?</h1><p>लोकसभा चुनाव में विधायकों के सांसद बनने के बाद खाली हुई बिहार विधानसभा की सीटों पर चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है. समस्तीपुर में एक लोकसभा सीट पर भी साथ ही में उपचुनाव होना है क्योंकि लोजपा के निर्वाचित सांसद रामचंद्र पासवान का पिछले दिनों निधन हो गया. सभी सीटों पर 21 अक्तूबर को वोट डाले जाएंगे. 24 अक्तूबर को वोटों की गिनती होगी.</p><p>राजनीति के जानकार यह मानते हैं कि यह उपचुनाव 2020 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है. और अगर महागठबंधन यहां भी फेल हो जाता है तो विपक्षियों के लिए उबरना काफ़ी मुश्किल होगा.</p><p>मगर फिलहाल जो हालात दिख रहे हैं उनके मुताबिक़ विपक्षी साथ मिलकर लड़ने को बजाय अलग-अलग होकर लड़ने का प्लान बना चुके है. </p><p>वैसे तो अलग होने की औपचारिक घोषणा होनी अभी बाक़ी है, लेकिन सवाल यही है कि यदि किसी सीट पर या एक से अधिक सीटों पर महागठबंधन की सहयोगी पार्टियां एक दूसरे के ख़िलाफ़ लड़ेंगी तो उसे गठबंधन कैसे कहा जाएगा?</p><p>मुकेश सहनी कहते हैं, &quot;दोस्ताना संघर्ष होगा&quot;.</p><p>बिहार की राजनीति में अब यही देखना बाक़ी रह गया है कि एक साथ रहने वाली पार्टियां एक दूसरे के ख़िलाफ़ दोस्ताना संघर्ष कैसे करेंगी!</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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