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हिन्दी पर अमित शाह के बयान पर तीखी आपत्ति

<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/171E2/production/_108809649_736a6c76-bea5-4994-b00b-e9274e7a3c02.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>&quot;भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने. आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर […]

<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/171E2/production/_108809649_736a6c76-bea5-4994-b00b-e9274e7a3c02.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>&quot;भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने. आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है.&quot;</p><p>14 सितंबर यानी हिंदी दिवस की सुबह गृह मंत्री अमित शाह ने ये ट्वीट किया. </p><p><a href="https://twitter.com/AmitShah/status/1172698032728494082">https://twitter.com/AmitShah/status/1172698032728494082</a></p><p>उनके इस ट्वीट के कुछ ही देर में ट्विटर पर #StopHindiImposition और #StopHindiImperialism यानी ‘हिंदी थोपना बंद करें’ टॉप ट्रेंड करने लगा.</p><p>इसके अलावा #OneLanguage और #AmitShah भी ट्रेंड होने लगा.</p><p>हर साल की तरह इस हिंदी दिवस पर भी सोशल मीडिया में #हिंदी_दिवस और #HindiDiwas ट्रेंड कर रहा था लेकिन अमित शाह के इस ट्वीट के बाद सब कुछ बदल गया. </p><p>हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर कहा है, ”हिन्दी सभी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है. क्या हम विविधता और अन्य मातृभाषाओं की ख़ूबसूरती को प्रोत्साहित नहीं कर सकते हैं? संविधान के अनुच्छेद 29 से सभी भारतीयों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को अपनाने का अधिकार मिला हुआ है. भारत हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व से बहुत बड़ा है.” </p><p><a href="https://twitter.com/asadowaisi/status/1172742240625496066">https://twitter.com/asadowaisi/status/1172742240625496066</a></p><p>डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने भी अमित शाह के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है. स्टालिन ने गृह मंत्री से बयान वापस लेने की मांग की है.<strong> </strong></p><p>स्टालिन ने इस मुद्दे पर सोमवार को पार्टी की एक बैठक बुलाने की भी घोषणा की. यूथ कांग्रेस ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर कहा कि बीजेपी भारत के भूगोल और संविधान को भूल गई है. यूथ कांग्रेस ने कहा कि देश में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं और 1652 मातृभाषाएं हैं. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>:</strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48659033?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हिंदी से तमिलों को आख़िर दिक़्क़त क्या है?</a></p><p><a href="https://twitter.com/AmitShah/status/1172813890184343552">https://twitter.com/AmitShah/status/1172813890184343552</a></p><p>सोशल मीडिया यूज़र्स, ख़ासकर दक्षिण भारतीय लोगों ने अमित शाह के बयान पर आपत्ति जताई. </p><p>उच्छस कुंडू नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा, &quot;इंडिया/भारत दुनिया का वो सबसे पुराना देश है, जहां हर धर्म, हर नस्लीय समुदाय और हर भाषा बराबर है. दुनिया बाक़ी देशों को भारत की मिसाल देती है. हम अपने आप में अनूठे हैं और यही यही हमारी ख़ूबसूरती है, इसलिए एक-दूसरे पर कोई भी भाषा या संस्कृति थोपना बंद कीजिए.&quot;</p><figure> <img alt="ट्वीट" src="https://c.files.bbci.co.uk/645A/production/_108809652_e9ff7274-2efd-47de-aa32-0968c8cb4b71.jpg" height="254" width="588" /> <footer>Twtter</footer> </figure><p>एक अन्य ट्विटर यूज़र ने लिखा, &quot;हिंदी सीखना बहुत अच्छी बात है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप ग़ैर-हिंदीभाषी राज्यों पर हिंदी थोपने लगें. मुझे भारतीय होने पर गर्व है. मुझे विविधता में एकता पर गर्व है और हां मैं तमिल बोलने वाला भारतीय हूं.&quot;</p><figure> <img alt="ट्वीट" src="https://c.files.bbci.co.uk/B27A/production/_108809654_c90b213c-7f8e-4231-ace9-4362054268aa.jpg" height="256" width="577" /> <footer>Twitter</footer> </figure><p>हर्षल ने लिखा, &quot;जब उत्तर भारतीय दक्षिण भारत में जाते हैं तो उन्हें भाषा की दिक्क़त होती है और जब दक्षिण भारतीय उत्तर भारत में आते हैं तो उन्हें भी यही समस्या होती है. लोग ख़ुद को वक़्त और जगह की ज़रूरत के हिसाब से ढाल लेते हैं. जैसा चल रहा है, वैसा चलने देते हैं.&quot;</p><figure> <img alt="ट्वीट" src="https://c.files.bbci.co.uk/127AA/production/_108809657_220943ec-e531-4662-be94-59a8b6386d68.jpg" height="549" width="578" /> <footer>Twitter</footer> </figure><p>पत्रकार रोहिणी सिंह ने ट्वीट किया, &quot;जो लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग कर रहे हैं, उनसे पहले तमिल, तेलुगू और मलयालम सीखने को कहा जाए. फिर देखेंगे कि वो अपनी मूर्खतापूर्ण मांग जारी रखते हैं या नहीं.&quot;</p><figure> <img alt="ट्वीट" src="https://c.files.bbci.co.uk/17D9A/production/_108809679_9544f1da-9b74-499b-92ca-67cd57588c31.jpg" height="233" width="581" /> <footer>Twitter</footer> </figure><h3>ग़ैर हिंदीभाषी राज्यों में होता रहा है ‘हिंदी थोपने’ का विरोध</h3><p>ये पहली बार नहीं है जब किसी एक भाषा को बाक़ियों से ऊपर रखे जाने के प्रस्ताव का विरोध हुआ है. ग़ैर-हिंदीभाषी राज्यों ख़ासकर तमिलनाडु में ‘हिंदी थोपे जाने’ का विरोध काफ़ी पहले से होता आया है.</p><p>तमिलनाडु में हिंदी को लेकर विरोध 1937 से ही है, जब चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की सरकार ने मद्रास प्रांत में हिंदी को लाने का समर्थन किया था पर द्रविड़ कड़गम (डीके) ने इसका विरोध किया था. </p><p>उस वक़्त तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन और हिंसक झड़पें तकरीबन दो हफ़्ते तक चलीं थीं और आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक़ 70 लोगों की जान गई थी.</p><p>तब विरोध ने हिंसक झड़पों का स्वरूप ले लिया था और इसमें दो लोगों की मौत भी हुई थी. लेकिन साल 1965 में दूसरी बार जब हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की कोशिश की गई तो एक बार फिर से ग़ैर हिंदी भाषी राज्यों में पारा चढ़ गया था.</p><p>हाल ही में नई शिक्षा नीति में जब कि ग़ैर-हिंदी भाषी राज्यों में माध्यमिक शिक्षा (कक्षा आठ) के छात्रों के लिए हिंदी पढ़ना अनिवार्य किया गया तो इसका भारी विरोध हुआ. आख़िरकार केंद्र सरकार को इसमें बदलाव करना पड़ा. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48490169?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हिन्दी के हाथी पर सवार अंग्रेज़ी का महावत </a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो सकते हैं.)</strong></p>

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