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आठ अपाचे हेलिकॉप्टर भारतीय वायु सेना में हुए शामिल, जानिए कितनी है ताक़त

<p>’अटैक हेलिकॉप्टर’ के रूप में मशहूर आठ अपाचे हेलिकॉप्टर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो गए हैं. इससे वायु सेना की मारक क्षमता में इज़ाफ़ा होगा.</p><p>आधुनिक युद्धक क्षमता वाले ये हेलिकॉप्टर अमरीकी कंपनी बोइंग ने बनाए हैं. इन्हें 27 जुलाई को ग़ाज़ियाबाद के हिंडन एयरबेस लाया गया था. फिर ट्रायल के बाद इन्हें पठानकोट […]

<p>’अटैक हेलिकॉप्टर’ के रूप में मशहूर आठ अपाचे हेलिकॉप्टर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो गए हैं. इससे वायु सेना की मारक क्षमता में इज़ाफ़ा होगा.</p><p>आधुनिक युद्धक क्षमता वाले ये हेलिकॉप्टर अमरीकी कंपनी बोइंग ने बनाए हैं. इन्हें 27 जुलाई को ग़ाज़ियाबाद के हिंडन एयरबेस लाया गया था. फिर ट्रायल के बाद इन्हें पठानकोट एयरबेस भेज दिया गया जहां मंगलवार को औपचारिक रूप से इन्हें भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया.</p><p>वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. भारतीय वायु सेना ने इस हेलिकॉप्टर की पहली उड़ान का वीडियो भी साझा किया है.</p><p><a href="https://twitter.com/IAF_MCC/status/1168542596878209024">https://twitter.com/IAF_MCC/status/1168542596878209024</a></p><p>पठानकोट एयरबेस पर हेलिकॉप्टर को पर पानी की बौछार करके सैल्यूट किया गया. एयरचीफ़ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा, &quot;यह दुनिया के सबसे ताक़तवर अटैक हेलिकॉप्टरों में से एक है. यह कई तरह के मिशन को अंजाम दे सकता है.&quot;</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1168751147458260992">https://twitter.com/ANI/status/1168751147458260992</a></p><p>इस हेलिकॉप्टर के लिए भारत ने बोइंग और अमरीकी सरकार से 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों का समझौता किया था. पहले आठ हेलिकॉप्टर तय समय पर आ गए हैं और बाक़ी मार्च 2020 तक आएंगे.</p><p>अमरीका की डिफ़ेंस सिक्योरिटी कॉर्पोरेशन एजेंसी का कहना है, &quot;अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर भारतीय सेना की रक्षात्मक क्षमता को बढ़ाएगा. इससे भारतीय सेना को ज़मीन पर मौजूद ख़तरों से लड़ने में मदद मिलेगी. साथ ही सेना का आधुनिकीकरण भी होगा.&quot;</p><p>भारत के लिए पठानकोट एयरबेस पर इन हेलिकॉप्टरों की मौजूदगी इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां से सटी सीमा अक्सर तनावग्रस्त रही है. </p><h1>क्या ख़ास है ‘अपाचे’ में?</h1> <ul> <li>क़रीब 16 फ़ुट ऊंचे और 18 फ़ुट चौड़े अपाचे हेलिकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना ज़रूरी है.</li> <li>अपाचे हेलिकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं. इस वजह से इसकी रफ़्तार बहुत ज़्यादा है.</li> <li><strong>अधिकतम रफ़्तार: </strong>280 किलोमीटर प्रति घंटा.</li> <li>अपाचे हेलिकॉप्टर का डिज़ाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल होता है.</li> <li>बोइंग के अनुसार, बोइंग और अमरीकी फ़ौज के बीच स्पष्ट अनुबंध है कि कंपनी इसके रखरखाव के लिए हमेशा सेवाएं तो देगी पर ये मुफ़्त नहीं होंगी.</li> <li><strong>सबसे ख़तरनाक हथियार: </strong>16 एंटी टैंक मिसाइल छोड़ने की क्षमता.</li> <li>हेलिकॉप्टर के नीचे लगी राइफ़ल में एक बार में 30एमएम की 1,200 गोलियाँ भरी जा सकती हैं.</li> <li><strong>फ़्लाइंग रेंज:</strong> क़रीब 550 किलोमीटर</li> <li>ये एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है.</li> </ul><p>(<strong>इनपुट: </strong>बोइंग कंपनी की वेबसाइट से)</p><figure> <img alt="अपाचे" src="https://c.files.bbci.co.uk/3029/production/_108592321_8e62c011-8299-4570-a501-3417ab1e9c4c.jpg" height="624" width="624" /> <footer>BOEING.COM</footer> </figure><h1>अपाचे की कहानी एक पायलट की ज़बानी</h1><p>जनवरी, 1984 में बोइंग कंपनी ने अमरीकी फ़ौज को पहला अपाचे हेलिकॉप्टर दिया था. तब इस मॉडल का नाम था AH-64A.</p><p>तब से लेकर अब तक बोइंग 2,200 से ज़्यादा अपाचे हेलिकॉप्टर बेच चुकी है.</p><p>भारत से पहले इस कंपनी ने अमरीकी फ़ौज के ज़रिए मिस्र, ग्रीस, भारत, इंडोनेशिया, इसराइल, जापान, क़ुवैत, नीदरलैंड्स, क़तर, सऊदी अरब और सिंगापुर को अपाचे हेलिकॉप्टर बेचे हैं.</p><p>ब्रिटेन की वायु सेना में पायलट रहे एड मैकी ने पाँच साल तक अफ़ग़ानिस्तान के संवेदनशील इलाक़ों में अपाचे हेलिकॉप्टर उड़ाया है. वो शांति सेना में एक बचाव दल का हिस्सा थे.</p><p>बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, &quot;अपाचे को उड़ाना, ऐसा था जैसे किसी ने आपको 100 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही कार की छत पर रस्सी से बांध दिया हो. ये बहुत तेज़ हेलिकॉप्टर है.&quot;</p><p>मैकी के अनुसार, अपाचे हेलीकॉप्टर दुनिया की सबसे परिष्कृत, लेकिन घातक मशीन है. ये अपने दुश्मनों पर बहुत बेरहम साबित होती है.</p><p><strong>पढ़ें</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-44211569?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ये है दुनिया का सबसे ख़तरनाक लड़ाकू विमान </a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-44038071?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">रूस का वो टैंक, जिस पर दुनिया की निगाह है</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-41532491?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अरुणाचल में हेलीकॉप्टर उड़ाना, जान हथेली पर?</a></li> </ul><p>मैकी ने बताया कि किसी नए पायलट को अपाचे हेलिकॉप्टर उड़ाने के लिए कड़ी और एक लंबी ट्रेनिंग लेनी होती है, जिसमें काफ़ी ख़र्च आता है. सेना को एक पायलट की ट्रेनिंग के लिए 30 लाख डॉलर तक भी ख़र्च करने पड़ सकते हैं.</p><p>अपाचे हेलिकॉप्टर पर अपना हाथ साधने के लिए पायलट एड मैकी को 18 महीने तक ट्रेनिंग करनी पड़ी थी.</p><p>वो कहते हैं, &quot;इसे कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल है. दो पायलट मिलकर इसे उड़ाते हैं. मुख्य पायलट पीछे बैठता है. उसकी सीट थोड़ी ऊंची होती है. वो हेलीकॉप्टर को कंट्रोल करता है. आगे बैठा, दूसरा पायलट निशाना लगाता है और फ़ायर करता है. इसका निशाना बहुत सटीक है. जिसका सबसे बड़ा फ़ायदा होता है युद्ध क्षेत्र में, जहाँ दुश्मन पर निशाना लगाते वक़्त आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचता.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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