व्लादिवोस्तोक/नयी दिल्ली : व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी शिखर वार्ता की पूर्व संध्या पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति के साथ उनका एक खास तालमेल है. साथ ही, वह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण चाहते हैं ताकि दोनों देश अन्य देशों को सस्ती दरों पर निर्यात करने के लिए सैन्य उपकरण बना सकें.
रूस के सुदूर पूर्व शहर व्लादिवोस्तोक का दौरा करने वाले मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं. वह रूसी बंदरगाह शहर के लिए अपनी रवानागी से पहले बुधवार को राष्ट्रपति पुतिन के साथ व्यापक वार्ता करने वाले हैं. मोदी ने रूस की सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ को दिये एक इंटरव्यू में कहा, मैं आश्वस्त हूं कि यह यात्रा नये रास्ते पर ले जायेगी, नयी ऊर्जा देगी और हमारे देशों के बीच संबंधों को नयी गति प्रदान करेगी. तास की एक खबर में कहा गया है कि पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) से इतर होने वाले 20 वें रूस-भारत शिखर बैठक के दायरे में दोनों देश करीब 15 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिनमें कुछ सैन्य-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भी होंगे. प्रधानमंत्री 2019 ईईएफ में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा, हम इसके(इस मंच) लिए छह महीनों से तैयारी कर रहे हैं.
मोदी ने कहा कि रूस-भारत साझेदारी सैन्य एवं प्रौद्योगिकी सहयोग के दायरे से आगे तक हैं. उन्होंने कहा, हम करीबी मित्र हैं. और करीबी मित्र होने के नाते हमें यह सोचना चाहिए कि हम भविष्य में साथ मिल कर क्या कर सकते हैं. मोदी ने कहा, हम सैन्य प्रौद्योगिकियों के महज ग्राहक और विक्रेता के संबंधों तक सीमित नहीं रहना चाहते हैं. हम प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के प्रारूप के बारे में आश्वस्त हैं. मैंने इस बारे में कई बार कहा है और हमने इस दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, आज, प्रौद्योगिकी मुहैया होने से सैन्य उपकरणों का उत्पादन भारत में सस्ते में हो सकता है. और हम इन हथियारों को तीसरे देशों को बहुत कम कीमत में बेच सकते हैं. भारत और रूस को इस अवसर का लाभ उठाने की जरूरत है. उन्होंने भारत की गगनयान परियोजना का भी जिक्र किया और कहा कि रूस, भारत के अंतरिक्षयात्रियों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगा.
प्रधानमंत्री ने पुतिन के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके साथ उनका खास तालमेल है. मोदी ने कहा, हम बैठते हैं और बातें करते हैं, टहलते हैं और बातें करते हैं. हमारे संबंधों में एक खास तालमेल है, एक विशेष सहजता है. इस मंच के दौरान हमारे पास काफी समय होगा. मैं आशा करता हूं कि हम कई मुद्दों पर चर्चा कर पायेंगे. उन्होंने कहा कि वह 2001 में पहली बार पुतिन से मिले थे. वह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मॉस्को आये थे. उस वक्त वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने कहा, हालांकि, पुतिन ने मुझे यह नहीं लगने दिया कि मैं कम महत्वपूर्ण हूं, यह कि मैं एक छोटे से राज्य से हूं या मैं नया हूं. उन्होंने मुझसे मित्र की तरह सौहार्दपूर्ण व्यवहार किया. इसने मित्रता के दरवाजे खोल दिये. हमने अपनी हॉबी, वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. वह बात करने के लिए बहुत दिलचस्प व्यक्ति हैं.