65वीं बीपीएससी पीटी परीक्षा के मार्गदर्शन के लिए प्रभात खबर ने एक्सपर्ट व्यू के नाम से विशेषज्ञों की सलाह की एक शृंखला शुरू की है. इसमें आज प्रस्तुत है भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी सुधीर कुमार राकेश का मार्गदर्शन, जो परीक्षार्थियों के लिए नि:शुल्क कोचिंग भी चलाते हैं.
बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल राजपत्रित पदाधिकारियों, यथा – बिहार प्रशासनिक सेवा, बिहार पुलिस सेवा, बिहार वित्त सेवा, बिहार शिक्षा सेवा इत्यादि के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी सम्मिलित होते हैं. यद्यपि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा की तरह यह प्रति वर्ष नियमित रूप से आयोजित नहीं हो पाती है, फिर भी विगत दो–तीन वर्षों में तीन–चार बार बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा अपनी परीक्षा आयोजित किए जाने के कारण अभ्यर्थियों में इस परीक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है. साथ ही बिहार सरकार की सिविल सेवाओं में उच्च पदों पर सीधी नियुक्ति होने के कारण इसे राज्य सरकार की सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित किया जाता है.
लोक सेवाओं के प्रति एक बार पुन: बिहार राज्य के अभ्यर्थियों की अभिरूचि में वृद्धि हुई है. साथ ही, बिहार राज्य से बाहर के अभ्यर्थी भी इस परीक्षा में सम्मिलित होने लगे हैं. इतना ही नहीं, पहले से अन्य अच्छी सेवाओं में कार्यरत युवा भी बिहार राज्य की सिविल सेवाओं में अभिरूचि ले रहे हैं. मरीन इंजीनियर, राष्ट्रीयकृत बैंकों में प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में नियुक्त युवा, अन्य राज्यों में राजपत्रित सरकारी सेवाओं में कार्यरत पदाधिकारी भी विगत वर्षों में इस परीक्षा की ओर आकृष्ट हुए हैं.
इस परीक्षा की तैयारी भी लगभग संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता परीक्षा की तरह ही की जाती है, अंतर यह है कि बिहार की परीक्षा के लिए बिहार से संबंधित इतिहास, भूगोल, आर्थिक पहलुओं, बिहार के प्रशासन एवं बिहार से संबंधित समसामयिक घटनाओं के संबंध में विशेष तैयारी करनी होती है. बिहार के अभ्यर्थी अत्यंत मेधावी एवं कुशाग्रबुद्धि होते हैं. यदि उन्हें इस परीक्षा की तैयारी के संबंध में सही मार्गदर्शन प्राप्त हो जाये, तब उनकी सफलता की संभावना बढ़ जाती है.
प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी हेतु इससे संबंधित सिलेबस को भली–भांति पढ़ना और समझना जरूरी है. अक्सर अभ्यर्थी सिलेबस को पूरी तरह पढ़े और समझे बिना, दूसरों की सलाह पर या अनुमान से तैयारी प्रारंभ कर देते हैं. यह सही तरीका नहीं है. सिलेबस को आठ से दस बार अवश्य पढ़ना चाहिए, वह भी कुछ दिनों के अन्तराल पर. सिलेबस को समझने के लिए आवश्यक है कि विगत दस से पन्द्रह वर्षों के प्रश्न पत्रें को लेकर उन्हें बार–बार पढ़ा जाए और पंद्रह वर्षों के प्रश्न पत्रें को हल किया जाये.

