वाशिंगटन : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान में लगभग 30 से 40 हजार सशस्त्र लोग हैं जिन्हें अफगानिस्तान या कश्मीर के किसी हिस्से में प्रशिक्षण मिला है और जिन्होंने वहां लड़ाई लड़ी है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने देश में सक्रिय आतंकी समूहों के बारे में अमेरिका को सच नहीं बताया.
भारत और अफगानिस्तान आरोप लगाते रहे हैं कि पाकिस्तान आतंकवादियों को अपने यहां पनाहगाह उपलबध कराता है जिनमें अफगान तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूह शामिल हैं. तीन दिन की अमेरिका यात्रा पर पहुंचे खान ने अमेरिकी सांसदों के समक्ष यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान की पिछली सरकारों ने अमेरिका को सच नहीं बताया, खासकर पिछले 15 वर्षों में देश में 40 आतंकी समूह सक्रिय रहे. उन्होंने कहा, हमारे सत्ता में आने तक सरकारों के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी, क्योंकि जब आप आतंकी समूहों के बारे में बात करते हैं तो, हमारे यहां अब भी 30 से 40 हजार सशस्त्र लोग हैं जिन्हें अफगानिस्तान या कश्मीर के किसी हिस्से में प्रशिक्षण मिला है और जिन्होंने वहां लड़ाई लड़ी है.
खान ने कहा, 2014 में पाकिस्तान तालिबान ने पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल में 150 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया. सभी दलों ने राष्ट्रीय कार्ययोजना पर दस्तखत किये और हम सबने फैसला किया कि हम पाकिस्तान में किसी भी आतंकी समूह को गतिविधियां चलाने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान के हित में है कि हम अपने देश में किसी भी सशस्त्र समूह को गतिविधियां नहीं चलाने दें. खान ने कहा, हम पहली सरकार हैं जिसने आतंकी समूहों को निरस्त्र करना शुरू किया है. यह पहली बार हो रहा है. हमने उनके संस्थानों और मदरसों का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है. हमने वहां प्रशासक नियुक्त किये हैं. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कांग्रेशनल पाकिस्तान कॉकस की अध्यक्ष शीला जैक्सन ली द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान में 40 अलग-अलग आतंकवादी समूह सक्रिय थे. पाकिस्तान ऐसे दौर से गुजरा है जहां हमारे जैसे लोग चिंतित थे कि क्या हम (पाकिस्तान) इससे सुरक्षित निकल पायेंगे. इसलिए जब अमेरिका हमसे और करने तथा अमेरिका की लड़ाई को जीतने में हमारी मदद की आशा कर रहा था, उसी वक्त पाकिस्तान अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहा था. खान ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण था कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अन्य शीर्ष अमेरिकी नेताओं से मिलें. उन्होंने कहा, हमने उन्हें बताया कि आगे बढ़ने के लिए हमारे रिश्ते आपसी विश्वास पर आधारित होने चाहिए. खान ने कहा कि उन्होंने अमेरिका को ईमानदारी से बताया कि पाकिस्तान शांति प्रक्रिया में क्या कर सकता है. उन्होंने कहा कि वह इस वार्ता को शुरू करने के लिए तालिबान को राजी करने के वास्ते अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं.