कोलंबो : श्रीलंका में ईस्टर पर्व पर गिरजाघरों तथा होटलों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में मरने वाले भारतीयों की संख्या मंगलवार को बढ़कर दस हो गई. कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘रविवार को हुये धमाकों में दो और अन्य भारतीयों ए. मारेगौड़ा और एच. पुत्ताराजू की मृत्यु की पुष्टि करते हुये दुख हो रहा है. इससे इन हमलों में मारे गये भारतीय लोगों की संख्या अब बढ़कर दस हो गयी है.’
इससे पहले उच्चायोग ने सोमवार को चार भारतीयों वेमुराई तुलसीराम, एस.आर.नागराज, के. जी हनुमंतरायप्पा और एम रंगप्पा की मृत्यु की पुष्टि की. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को तीन भारतीयों के एम लक्ष्मीनारायण, नारायण चंद्रशेखर और गौड़ा रमेश के मारे जाने की पुष्टि की थी.
उन्होंने रविवार को ट्वीट किया, ‘कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने बताया कि नेशनल हॉस्पिटल ने तीन भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि की है.’ केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को हुए बम धमाके में केरल के पी.एस. राजीना (58) के मारे जाने की पुष्टि की थी.
गौरतलब है कि श्रीलंका में रविवार को गिरजाघरों तथा पांच सितारा होटलों में ईस्टर के मौके पर हुये विस्फोटों में अबतक 310 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 500 लोग घायल हुए हैं. अभी तक किसी ने भी इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने सोमवार को बेंगलुरू में कहा था कि जो भारतीय इन हमलों में मारे गए हैं उनमें से तीन जनता दल (सेक्युलर) के कार्यकर्ता हैं. इनके नाम चंद्रशेखर, रंगप्पा और हनुमंतरायप्पा हैं जबकि एक कार्यकर्ता एच शिवकुमार लापता हैं. श्रीलंका सरकार ने इस संभावित आतंकी हमले की अग्रिम जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई करने में नाकाम रहने को लेकर माफी मांगी है.
सरकार के प्रवक्ता रजीथा सेनारत्ने ने कहा कि धमाकों की चेतावनी पहले ही मिल गई थी. उन्होंने कहा, ‘हमें बहुत बहुत दुख है, बतौर सरकार हमें कहना चाहिये..हम इस घटना को लेकर परिवारों और संस्थाओं से क्षमा मांगते हैं.’
इससे पहले इन हमलों में मारे गए लोगों की याद में देश में तीन मिनट का मौन रखा गया. इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज झुका दिये गए। यह रस्मी शोक सुबह साढ़े आठ बजे शुरू हुआ. गौरतलब है कि पहला धमाका सुबह साढ़े आठ बजे ही हुआ था. गृहमंत्री कमल पद्श्री ने कहा कि मंगलवार को देश में राष्ट्रीय शोक का दिन घोषित किया गया है और उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे पीड़ितों की याद में श्वेत ध्वज लहरायें.