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झारखंड के कुछ संसदीय सीट जहां बाहर से आकर कई लोग चुनाव लड़े और जीते भी, जानें

मनोज लाल मीनू मसानी, नीतीश भारद्वाज व मोहन सिंह ओबेरॉय बाहर से आकर झारखंड से बने सांसद रांची : झारखंड के कुछ संसदीय सीट से ऐसे चेहरों ने जीत हासिल की है, जो झारखंड के रहनेवाले नहीं थे. उनका कार्य क्षेत्र भी झारखंड से बाहर था, पर वह अचानक टिकट लेकर यहां आये, चुनाव लड़ा […]

मनोज लाल
मीनू मसानी, नीतीश भारद्वाज व मोहन सिंह ओबेरॉय बाहर से आकर झारखंड से बने सांसद
रांची : झारखंड के कुछ संसदीय सीट से ऐसे चेहरों ने जीत हासिल की है, जो झारखंड के रहनेवाले नहीं थे. उनका कार्य क्षेत्र भी झारखंड से बाहर था, पर वह अचानक टिकट लेकर यहां आये, चुनाव लड़ा और सांसद बने.
इस तरह का इतिहास यहां देखने को मिला है. हालांकि ऐसे रिजल्ट भी सामने आये हैं, जिसमें टिकट लेकर वे चुनाव लड़ने के लिए बाहर से यहां तो आये, लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई. उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस बार धनबाद से क्रिकेटर कीर्ति आजाद कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके पिता भगवत झा आजाद बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. कीर्ति आजाद का कार्य क्षेत्र बिहार व दिल्ली रहा है. वह दिल्ली से सांसद भी रहे हैं.
देश में चर्चित ओबेरॉय होटल के मालिक मोहन सिंह ओबेरॉय हजारीबाग सीट से 1968 में लोकसभा का चुनाव लड़े. तब वह जनता पार्टी की टिकट से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. श्री ओबेरॉय के लिए हजारीबाग पूरी तरह नया था. यह लोकसभा क्षेत्र उनका कार्य क्षेत्र भी नहीं था, लेकिन उन्हें रामगढ़ राजा ने यहां लाया था. तब वह चुनाव लड़े और सांसद बने. इसके पूर्व 1962 में श्री ओबेरॉय गोड्डा से चुनाव लड़े थे, लेकिन यहां उन्हें सफलता नहीं मिली. हार का सामना करना पड़ा.
इसी तरह वर्ष 1996 में अभिनेता नीतीश भारद्वाज अचानक जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने पहुंचे. उन्हें भाजपा का टिकट मिला. उन्होंने यहां से जीत भी हासिल की. उन्होंने जनता दल प्रत्याशी इंदर सिंह नामधारी को हराया था. तब टीवी चैनल में चल रहे चर्चित धारावाहिक महाभारत में श्रीकृष्ण का किरदार निभा कर वह चर्चा में आये थे.
वर्ष 1957 के चुनाव में रांची लोकसभा क्षेत्र से झारखंड पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मीनू मसानी चुनाव लड़े थे. उन्हें इसमें जीत भी हासिल हुई थी. मीनू मसानी ने कांग्रेस उम्मीदवार इब्राहिम अंसारी को हराया था. मीनू मिसानी के लिए रांची नयी जगह थी. वह मुंबई के मेयर रह चुके थे, पर रांची में आकर चुनाव लड़ा था. वह जयपाल सिंह के संपर्क में थे. इस वजह से रांची आकर चुनाव लड़ा था.
कार्य क्षेत्र बाहर था, फिर भी जीते
कुछ ऐसा नेता भी झारखंड की सीट से चुनाव लड़े और सांसद बने, जिनका कार्य क्षेत्र यहां नहीं था. चतरा सीट पर इस तरह के काफी मामले देखने को मिले. धीरेंद्र अग्रवाल का राजनीतिक कार्य क्षेत्र चतरा नहीं था.
यहां उन्होंने प्रैक्टिस नहीं की थी, फिर भी वह 1996 में यहां से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. फिर 1998 में वह चतरा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की. नागमणि ने भी चतरा में प्रैक्टिस नहीं की थी, लेकिन 1999 में राजद की टिकट से यहां जीत हासिल कर ली. 2004 के चुनाव में भी धीरेंद्र अग्रवाल यहां से विजयी हुए. उन्होंने राजद की टिकट पर चुनाव लड़ रहे इंदर सिंह नामधारी को हराया था.
चर्चित चेहरे टिकट लेकर तो आये, पर हार गये
केके तिवारी बक्सर से आकर रांची सीट से 1999 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, तब भाजपा के रामटहल चौधरी से उन्हें शिकस्त मिली. वहीं फिल्म निर्माता-निर्देशक इकबाल दुर्रानी को बसपा से गोड्डा सीट के लिए 1999 में टिकट मिली थी, लेकिन वह चुनाव हार गये. दुर्रानी चर्चित चेहरा होने के कारण टिकट लेकर यहां आये थे, हालांकि उनकी जन्म स्थली बांका है.

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