संयुक्तराष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में शनिवार को भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को जमकर फटकार लगायी. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में विश्व के नेताओं से कहा कि पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति राज्य की नीति के तौर पर प्रतिबद्धता अंश मात्र भी कम नहीं हुई है. स्वराज ने सवाल किया कि भारत ऐसे देश से वार्ता कैसे आगे बढ़ा सकता है जो हत्यारों का महिमामंडन करता है तथा मुम्बई आतंकवादी हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ता ‘‘बेरोकटोक घूमने’ दे रहा है.
स्वराज ने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए कई प्रयास किये और इसे रोके जाने का एकमात्र कारण पाकिस्तान का बर्ताव है. उन्होंने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73 वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम पर वार्ता प्रक्रिया को रोकने का आरोप हैं. यह पूरी तरह से झूठ है. हमारा मानना है कि बातचीत सबसे जटिल विवादों को हल करने का एकमात्र तर्कसंगत माध्यम है. पाकिस्तान के साथ बातचीत कई बार शुरू हुयी। अगर वे रुक गयीं तो इसका एकमात्र कारण सिर्फ पाकिस्तान का आचरण था.’
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के साथ बातचीत कई बार शुरू हुई. यदि यह रूकी तो ऐसा मात्र पाकिस्तान के बर्ताव के चलते हुआ.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और महासभा से इतर देशों के विदेशमंत्रियों के बीच बैठक का सुझाव दिया. भारत ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया लेकिन उसकी स्वीकृति के कुछ घंटों के भीतर ही खबरें आयीं कि आतंकवादियों ने तीन भारतीय जवानों की हत्या कर दी है.
सुषमा ने सवाल किया, "क्या इससे वार्ता की इच्छा का संकेत मिलता है." उन्होंने कहा कि भारत की विभिन्न सरकारों ने वर्षों से पाकिस्तान के साथ शांति का विकल्प अपनाने की कोशिश की। प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षेस देशों के प्रमुखों को अपने शपथग्रहण समारोह में आमंत्रित करके अपने पहले दिन से ही संवाद के लिए प्रयास शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा कि वह खुद भी दिसंबर 2016 में इस्लामाबाद गयीं और व्यापक द्विपक्षीय वार्ता की पेशकश की.
उन्होंने कहा, ‘‘"लेकिन जल्द ही, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने दो जनवरी को पठानकोट में हमारे वायुसेना अड्डे पर हमला किया. कृपया मुझे बताएं कि आतंकवादी रक्तपात के बीच हम कैसे वार्ता कर सकते हैं." उन्होंने कहा कि आतंकवाद का दानव विश्व के पीछे लगा हुआ है। कहीं पर इसकी गति तेज है, कहीं यह धीमी लेकिन यह सभी जगह जीवन के लिए खतरा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मामले में आतंकवाद दूरदराज के इलाकों में उत्पन्न नहीं होता बल्कि हमारे पश्चिम में सीमा के पार होता है. हमारे पडोसी की विशेषज्ञता केवल आतंकवाद का आधार बढ़ाने तक ही सीमित नहीं है, उसे दोमुंही बातें करके द्वेषभाव को छुपाने में महारत हासिल है.’ न्यूयार्क में 9/11 आतंकवादी हमले के हत्यारों को अपनी करनी का फल मिला लेकिन मुम्बई आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद अभी तक पाकिस्तान की सड़कों पर खुलेआम घूम रहा है.
उन्होंने हिंदी में दिये अपने भाषण में विश्व नेताओं से कहा कि पाकिस्तान की दोमुंही बात करने का जीवंत उदाहरण यह तथ्य है कि 9/11 आतंकवादी हमले के षड्यंत्रकर्ता ओसामा बिन लादेन को देश में सुरक्षित पनाहगाह दी गयी और विश्व के सबसे वांछित आतंकवादी के अमेरिका के विशेष बलों द्वारा मारे जाने के बावजूद ‘‘पाकिस्तान इस तरह से व्यवहार करता रहा जैसे कुछ हुआ ही नहीं है.’ उन्होंने कहा कि ‘‘पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति राज्य की नीति के तौर पर प्रतिबद्धता अंश मात्र भी कम नहीं हुई है। न ही पाखंड पर उसके भरोसे में कमी आई है.’ उन्होंने कहा, ‘‘हुआ यह है कि विश्व अब इस्लामाबाद पर विश्वास करने को तैयार नहीं है.’
उन्होंने इस संबंध में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) का उल्लेख किया जिसने पाकिस्तान को आतंकवादी वित्तपोषण को लेकर चेतावनी दी है. पाकिस्तान द्वारा भारत पर बार बार मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाए जाने पर सुषमा ने कहा कि आतंकवादियों से ज्यादा मानव अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कौन हो सकता है? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हत्यारों का महिमामंडन करता है और उसे निर्दोषों का खून नहीं दिखता. सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान की यह आदत हो गयी है कि वह अपने दोषों को ढकने के लिए भारत के खिलाफ धोखे और छल का आरोप लगाता है.
उन्होंने जिक्र किया कि संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल पाकिस्तान की धोखाधड़ी को देखा था जब उसके प्रतिनिधि ने जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कुछ तस्वीरों को भारत के कथित "मानवाधिकार उल्लंघन" के सबूत के तौर पर प्रदर्शित किया था. उन्होंने कहा कि लेकिन वे तस्वीरें दूसरे देश की निकलीं और पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर शर्मिंदगी उठानी पड़ी. उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह से झूठे आरोप उसकी मानक बयानबाजी का हिस्सा बन गये हैं.’