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इस पुलिसवाले ने ऐसा क्या किया कि हीरो बन गया

<p>एक शख्स गर्भवती महिला को गोद में उठाकर अस्पताल की तरफ भाग रहा है. ये शख्स ना तो उस महिला का पति है और ना ही कोई दूसरा रिश्तेदार. वो एक अनजान आदमी है. </p><p>वो आदमी ही नहीं बल्कि वो अस्पताल और वो शहर भी महिला के लिए अनजान है.</p><p>अस्पताल पहुंचने के कुछ मिनटों बाद […]

<p>एक शख्स गर्भवती महिला को गोद में उठाकर अस्पताल की तरफ भाग रहा है. ये शख्स ना तो उस महिला का पति है और ना ही कोई दूसरा रिश्तेदार. वो एक अनजान आदमी है. </p><p>वो आदमी ही नहीं बल्कि वो अस्पताल और वो शहर भी महिला के लिए अनजान है.</p><p>अस्पताल पहुंचने के कुछ मिनटों बाद ही महिला एक प्यारे से बच्चे को जन्म देती है. मां और बच्चा दोनों ही स्वस्थ्य हैं.</p><p>लेकिन वो महिला कौन है? कहां से आई? पुलिस की वर्दी में ये शख्स उसे इस तरह गोद में उठाकर अस्पताल क्यों लाया? आपके दिमाग में आ रहे इन सारे सवालों के जवाब यहां हैं. </p><p>दरअसल वो महिला हरियाणा के वल्लभगढ़ की रहने वाली है और कुछ दिन पहले हाथरस में अपने मायके आई थी.</p><p>नौ महीने की गर्भवती भावना शुक्रवार को ट्रेन से वल्लभगढ़ वापस लौट रही थीं. उनके साथ उनके पति महेश और तीन साल की बेटी भी थी. ट्रेन चलने के कुछ वक्त बाद ही भावना को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई.</p><h1>कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं थी</h1><p>20 साल की भावना बताती हैं, &quot;मैं दिन भूल गई थी. मुझे लगा कि मेरा गर्भ अभी आठ महीने का ही है.&quot;</p><p>पत्नी को दर्द से तड़पता देख महेश घबरा गए और पत्नी को लेकर अगले स्टेशन मथुरा पर उतर गए.</p><p>महेश ने स्टेशन से गुज़र रहे कई लोगों से मदद मांगी. तभी पुलिस अधिकारी सोनू कुमार स्टेशन से निकल रहे थे.</p><p>एसओ हाथरस सिटी सोनू कुमार कोर्ट के किसी काम से मथुरा आए थे. महेश ने उनसे मदद की गुहार लगाई. </p><p>सोनू बताते हैं, &quot;छावनी में ट्रेन से उतरने के बाद जब मैं स्टेशन से निकला, तो वहां पर एक व्यक्ति लोगों से मदद मांग रहा था, उसके एक हाथ में बैग और दूसरे हाथ में छोटी बच्ची थी. पास ही लेटी एक औरत दर्द से कराह रही थी. वो लोगों से हॉस्पिटल का रास्ता पूछ रहा था. वो वल्लभगढ़ का था इसलिए उसे इलाके की कोई जानकारी नहीं थी. वो कह रहा था कोई हेल्प कर दो ज़रा…हॉस्पिटल तक पहुंचवा दो. मैंने देखा कि वो काफी परेशान है.&quot;</p><p>&quot;महिला की हालत खराब थी. उसने बताया कि ऐसा मामला है और काफी दर्द हो रहा है.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-45514610">सूप में मरा चूहा मिलने पर रेस्टोरेंट ने गंवाए 19 करोड़ डॉलर</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45176184">’नर्स प्रेग्नेंट औरतों के बाल खींचती हैं, थप्पड़ मारती हैं'</a></li> </ul><h1>सोशल मीडिया में हीरो बन गए पुलिस अधिकारी</h1><p>पुलिस अधिकारी सोनू कुमार ने तुरंत एम्बुलेंस को बुलाने के लिए 108 पर फोन किया, लेकिन उन्हें जवाब मिला कि कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है. उन्होंने 102 पर भी फोन मिलाया, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली. </p><p>इसके बाद उन्होंने खुद भावना को अस्पताल ले जाने का फैसला लिया. रेलवे प्रशासन से संपर्क कर उन्होंने व्हीलचेयर मंगवाई और भावना को रेलवे स्टेशन से बाहर ले गए. वहां से उन्होंने ई-रिक्शा किया और नज़दीकी ज़िला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे.</p><p>लेकिन इमरजेंसी वार्ड के डॉक्टर ने प्रसव पीड़ा से कराह रही भावना को महिला अस्पताल रेफर कर दिया. </p><p>पुलिस अधिकारी सोनू कुमार कहते हैं, &quot;महिला अस्पताल वहां से 100 मीटर की दूरी पर था. अस्पताल के बाहर कोई ई-रिक्शा नहीं मिला और ना ही वहां तक मरीज को ले जाने के लिए स्ट्रेचर था. भावना के पति महेश के एक हाथ में बच्ची और दूसरे हाथ में सामान था. ऐसे में मैंने महिला को खुद गोद में उठाया और महिला अस्पताल की तरफ लेकर भागा. उस वक्त मेरे दिमाग में सिर्फ यही बात थी कि प्रसव पीड़ा से जूझ रही उस महिला को मैं जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचा दूं.&quot; </p><p>जैसे ही एसओ महिला को लेकर अस्पताल के गेट पर पहुंचे, तभी एकाएक सभी की निगाहें उन पर टिक गईं. शहर में दिनभर यह घटना चर्चा का विषय बनी रही. गर्भवती महिला को गोद में उठाकर अस्पताल पहुंचाते दरोगा की तस्वीर सोशल मीडिया पर भी खूब शेयर की गई. लोगों ने उनके इस कदम को सराहा. </p><p>सोनू कुमार बताते हैं, &quot;अस्पताल पहुंचने के कुछ मिनटों बाद ही महिला ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. मुझे डॉक्टरों ने कहा कि अगर आप ज़रा-सा भी लेट हो जाते तो मामला गड़बड़ हो जाता.&quot;</p><h1>समाज और प्रशासन की भूमिका पर सवाल</h1><p>अपने बेटे को गोद में लेकर महेश ने पुलिस अधिकारी सोनू कुमार का शुक्रिया अदा किया. वो कहते हैं, &quot;हमारे लिए वो भगवान की तरह आए. सबको ऐसे अच्छे लोग मिलें. सरकारी अस्पताल में जिस चीज़ को आठ घंटे लगते वो उन्होंने एक घंटे में करवा दिया.&quot;</p><p>शनिवार को भावना को अस्पताल से छुट्टी मिल गई. वो अपने बच्चे को लेकर घर चली गई हैं. </p><p>पुलिस अधिकारी सोनू कुमार बताते हैं, &quot;महिला को सकुशल अस्पताल पहुंचाने के बाद मैंने सीएमओ साहब से बात की. उन्होंने अपनी गलती स्वीकारी और गेट पर तुरंत एक स्ट्रेचर रखवा दिया ताकि इमरजेंसी के वक्त उसका इस्तेमाल हो सके.&quot;</p><p>साथ ही वो कहते हैं, &quot;वहां और भी तो लोग थे, पब्लिक को भी तो मदद करनी चाहिए. लोग वीडियो बनाने में लग जाते हैं, एक आदमी रोड़ पर तड़प रहा है, ना कोई मदद करता है और ना मदद के लिए गाड़ी रोकता है. सरकारी अस्पतालों के हालात सुधारने की भी बहुत ज़रूरत है.&quot;</p><p>पुलिस अधिकारी ने गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाकर बेशक मानवता और ज़िम्मेदारी का काम किया है, लेकिन वो समाज और प्रशासन पर गंभीर सवाल भी उठा गए. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-44947092">मां को खिलाई वायाग्रा, बच्चों की मौत</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45474846">क्या भ्रूण को भी है जीने का अधिकार?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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