सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ क़ानून लाने के विरोध में भारत बंद का देश के कई इलाकों में असर देखने को मिला. कई जगहों पर तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं, ट्रेनें रोकी गईं, कई जगहों पर स्कूल और कॉलेज भी बंद रहे. कई इलाकों में आगजनी की घटनाएं भी देखी गईं.
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में कहा था कि अनुसूचित जाति और जनजाति के ख़िलाफ़ अत्याचार निवारण क़ानून के तहत होने वाले अपराधों में अभियुक्तों की गिरफ़्तारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अनुमति या शुरुआती जांच के बाद ही होगी, लेकिन संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर क़ानून को पहले की तरह कर दिया.
बंद कई सवर्ण संगठनों ने बुलाया गया. उन्हें सरकार के इस फैसले से आपत्ति है. विरोध करने वालों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सही था.
बिहार में प्रदर्शन
बिहार के कई इलाकों में लोगों ने प्रदर्शन किए, पटना के राजेंद्र नगर टर्मिनल पर ट्रेनें रोकी गईं, तो नवादा में लोगों ने सिर मुंडवा कर फ़ैसले का विरोध किया.
पटना से सटे फतुहा में सड़क पर भारी भीड़ देखी गई, प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर आक्रोश जताया.
उत्तर प्रदेश में भी बंद के समर्थन में उतरे लोग
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में भी लोगों ने ट्रेने रोकीं, वो स्टेशन और पटरियों पर प्रदर्शन करते दिखे. भीड़ को बेकाबू होने से रोकने के लिए भारी पुलिसबल तैनात किया गया था.
गांव–कस्बों में भी दिखा गया बंद का असर
भारत बंद का असर छोटे शहरों और गांव में भी देखा गया. सुल्तानपुर में छोटे बड़े ज़्यादातर दुकानों पर ताले लटके रहे.
दलितों को मनाने की कोशिश पर वोट गंवाने का ख़तरा भी
मध्य प्रदेश में सड़कों पर पसरा सन्नाटा
हिंसा की आशंका के बीच मध्य प्रदेश में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे. भोपाल में दुकाने बंद रहीं औऱ सड़को पर सन्नटा पसर दिखा.
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