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झारखंडः सुसाइड नोट के साथ घर में मिली व्यवसायी परिवार की 6 लाशें

झारखंड के हज़ारीबाग शहर में एक व्यवसायी परिवार के सभी 6 लोगों की लाशें घर के भीतर मिली हैं. साथ ही पुलिस ने घर से छह सुसाइड नोट भी ज़ब्त किए हैं. सभी सुसाइड नोट लाल रंग के लिफाफों में रखे हुए थे. हज़ारीबाग के आरक्षी उप-महानिरीक्षक पंकज कंबोज ने बीबीसी को बताया है कि […]

झारखंड के हज़ारीबाग शहर में एक व्यवसायी परिवार के सभी 6 लोगों की लाशें घर के भीतर मिली हैं.

साथ ही पुलिस ने घर से छह सुसाइड नोट भी ज़ब्त किए हैं. सभी सुसाइड नोट लाल रंग के लिफाफों में रखे हुए थे.

हज़ारीबाग के आरक्षी उप-महानिरीक्षक पंकज कंबोज ने बीबीसी को बताया है कि इस घटना में सभी लाशें अलग-अलग हालत में मिली थीं इसलिए इनका पोस्टमॉर्टम करवाया गया. फ़िलहाल पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है.

सुसाइड नोट में लिखा है कि वे लोग स्वेच्छा से आत्महत्या कर रहे हैं. हालांकि लिफाफे पर ये भी लिखा गया है कि बच्चे अमन को फंदे पर नहीं लटकाया जा सकता था, इसलिए उसकी हत्या की गई.

सुसाइड नोट और लिफाफों पर किसकी लिखाई है, पुलिस इसकी भी जाँच कर रही है ताकि पता चल सके कि ये सब किसने लिखा.

डिटेल जाँच के लिए पुलिस ने एक विशेष जाँच दल गठित किया है. साथ ही पोस्टमॉर्टम के लिए डॉक्टरों का एक बोर्ड भी बनाया गया है.

पुलिस अधिकारी पंकज कंबोज बताते हैं कि उन्होंने ख़ुद व्यवसायी के घर का जायज़ा लिया है.

प्रारंभिक छानबीन और व्यवसायी के परिजनों से पूछताछ में ये बात भी सामने आई हैं कि व्यवसाय में इस परिवार की बड़ी रक़म फंसी हुई थी. जबकि देनदारी को लेकर भी वे लोग परेशान थे.

ड्रा फ्रूट्स का कारोबार

हज़ारीबाग के केबी सहाय मार्ग स्थित खजांची तालाब के पास सीडीएम अपार्टमेंट में रहने वाले 70 साल के महावीर माहेश्वरी, शहर में ही ड्राई फ़्रूट्स के जाने-माने व्यवसायी थे.

जैन मंदिर के पास ही उनकी दुकान थी. इस व्यापार को वे अपने बेटे नरेश माहेश्वरी के साथ संभाल रहे थे.

ये जगह झारखंड की राजधानी रांची से क़रीब 95 किलोमीटर दूर है.

रविवार की सुबह अपार्टमेंट के नीचे उनके बेटे नरेश माहेश्वरी की लाश पड़ी थी.

नरेश अग्रवाल की लाश अपार्टमेंट के नीचे मिलने की ख़बर पाकर ही उनके कुछ परिजन और परिचित वहाँ पहुंचे थे.

इसके बाद वे लोग तीसरे फ़्लोर पर उनके फ़्लैट नंबर 303 में गए, तो देखा कि कमरे में महावीर माहेश्वरी और उनकी पत्नी किरण माहेश्वरी की लाश फंदे से झूल रही है.

जबकि नरेश माहेश्वरी की पत्नी प्रीति माहेश्वरी, उनका 10 साल का बेटा अमन और 8 साल की बेटी अन्वी की लाश पलंग और सोफ़े पर पड़ी थी.

ये दोनों बच्चे हज़ारीबाग के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ते थे. इसके बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुँची. बाद में कई आला अधिकारी भी मौक़े पर आए.

इस घटना की ख़बर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई. अपार्टमेंट के सामने स्थानीय लोगों की भीड़ जुट गई.

बच्चों का गला रेत दिया

आरक्षी उप-महानिरीक्षक पंकज कंबोज ने ये भी जानकारी दी है कि घटनास्थल पर किसी हिंसक वारदात के निशान नहीं मिले हैं.

ये भी नहीं लगता कि किसी ने मारपीट की है या तोड़फोड़-धक्का देकर कोई फ़्लैट के भीतर घुसा हो.

हालांकि बच्चे का गला रेता हुआ है और एक ब्लेड भी पुलिस ने बरामद किया है.

बच्चे के पिता जिनकी लाश अपार्टमेंट के नीचे मिली, उनके हाथ में खून के दाग भी हैं.

पुलिस अधिकारी ने बताया है कि फ़्लैट के अंदर से बेहोश करने वाले केमिकल इथर की एक बोतल मिली है.

इसलिए भी पोस्टमॉर्टम का इंतज़ार करना होगा कि परिवार के किस सदस्य की मौत कैसे और किन परिस्थितियों में हुई.

देनदारी और बकाये का दबाव

पुलिस अधिकारी के मुताबिक़, मृतकों के रिश्तेदारों से पूछताछ में ये जानकारी सामने आई है कि लेनदारी और देनदारी में उलझा ये परिवार काफ़ी परेशान था. काफ़ी वक़्त से घर की स्थिति ख़राब चल रही थी.

फ़्लैट के लिए भी उन लोगों ने कर्ज़ लिया था. हालांकि इन सभी दावों की भी अब जाँच की जायेगी.

इस बीच महावीर माहेश्वरी के एक भतीजे देवेश माहेश्वरी ने जानकारी दी है कि उनके चचेरे भाई नरेश ने बताया था कि बाज़ार में उनका काफ़ी पैसा फंसा है और पैसा मांगने वाले उनपर दबाव बना रहे हैं.

देवेश ने बताया, "तब मैंने अपने भाई से कहा था कि हम लोगों को साथ बैठना चाहिए कि आख़िर पैसे कैसे निकाले जा सकते हैं. ये बात हुई थी कि घबराने से काम नहीं चलेगा."

इन उलझनों के बीच अक्सर उनकी दुकान बंद रहती थी. इससे भी माहेश्वरी परिवार का कारोबार डगमगा गया था.

देवेश बताते हैं कि डॉक्टरों ने भी नरेश से ये कहा था कि वो ज़्यादा तनाव न लें. कभी-कभार लगता था कि वो अवसाद का शिकार हो रहे हैं.

देवेश ने कहा, "इतना होने के बाद हम लोगों ने सपने में भी ये नहीं सोचा था कि नरेश और पूरा परिवार इतने ख़ौफनाक तरीक़े से हमें छोड़कर चला जायेगा. कभी मन इस बात पर घबराता है कि कोई साज़िश का तो वे लोग शिकार नहीं हुए. मैंने कल रात ही तो चाचा जी को बाज़ार से खाने-पीने का सामान ख़रीदकर घर जाते देखा था. घर में रात का खाना भी सभी लोगों ने साथ में खाया है."

ये सब कहते हुए देवेश फूट-फूटकर रो पड़ते हैं.

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