बीजिंग : चीन के अंतरिक्षयान का बचा हुआ हिस्सा सोमवार को प्रशांत महासागर में गिर गया है. हालांकि, इसके अधिकांश हिस्से को अंतरिक्ष में नष्ट कर दिया गया था. बताया जा रहा है कि चीन की निष्क्रिय और अनियंत्रित हो चुकी एक अंतरिक्ष प्रयोगशाला सोमवार को धरती के वायुमंडल में वापस लौट आयी और दक्षिणी प्रशांत में जा गिरी. चीन के मैन्ड स्पेस इंजीनियरिंग ऑफिस ने बताया कि आठ ठन के भार वाली तियांगोंग-एक का ज्यादातर हिस्सा वायुमंडल में ही जल गया था.
China's space lab Tiangong-1 re-enters Earth's atmosphere and is burnt up over the central South Pacific. It carried out docking and orbit experiments as part of China's manned space program pic.twitter.com/uXfp2NfbTI
— China Xinhua News (@XHNews) April 2, 2018
मैन्ड स्पेस इंजीनियरिंग ऑफिस की ओर से बताया गया कि इस प्रयोगशाला ने दक्षिणी प्रशांत के मध्य क्षेत्र में सुबह करीब आठ बजकर 15 मिनट (स्थानीय समयानुसार) के आस-पास फिर से प्रवेश किया. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बीजिंग एरोस्पेस नियंत्रण केंद्र और संबंधित संस्थानों के हवाले से बताया कि इस अंतरिक्ष प्रयोगशाला का ज्यादातर हिस्सा वायुमंडल में ही जल गया था.
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चीन की आेर से तियांगोंग-एक का प्रक्षेपण 29 सितंबर, 2011 को किया गया था. इसका काम मार्च, 2016 में समाप्त हो गयी थी. इस प्रयोगशाला के भीतर शेन्जोओ-8, शेन्जोओ-9 और शेन्जोओ-10 अंतरिक्षयान भेजे गये थे. इसके जरिये कई ऐसे कार्यों को अंजाम दिया गया, जो मानव को साथ ले जाने वाले चीनी अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं.
गौरतलब है कि चीन का निष्क्रिय अंतरिक्ष स्टेशन ‘तियांगोंग-1’ धरती पर गिरने से पहले ही नष्ट हो गया है. हालांकि, आशंका अब भी यह बनी हुर्इ है कि धरती पर इसके कुछ हिस्से ही गिर सकते हैं, मगर राहत की बात यह भी है कि इसका यह बाकी के बचे हुए हिस्से को भारत के आसपास गिरने की संभावना नहीं है. सोमवार को चीन ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन ‘तियांगोंग-1’ साउथ पैसिफिक के ऊपर वायुमंडल में दोबारा प्रवेश किया और नष्ट हो गया है. हालांकि, इसके कुछ हिस्से जमीन पर गिरेंगे.
इसके पहले कहा जा रहा था कि यह ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच गिर सकता है. रविवार को चाइना मैन्ड स्पेस इंजीनयरिंग ऑफिस (सीएमएसर्इआे) ने चेताया था कि ‘तियांगोंग-1’ अंतरिक्ष स्टेशन कुछ ही घंटे में वायुमंडल में प्रवेश कर जायेगा और इसके ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका तक कहीं पर भी गिरने की आशंका है. सीएमएसर्इआे ने कहा था कि सोमवार को अंतरिक्ष प्रयोगशाला (स्पेस लैब) पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करेगा.
इसके अलावा CMSEO द्वारा हाल ही में प्रकाशित लेख में कहा गया था कि ‘तियांगोंग-1’ वायुमंडल में जल जाएगा और इससे जमीन पर किसी तरह के नुकसान होने की संभावना बेहद कम है. CMSEO ने यह पहले ही कह दिया था कि आठ टन वजन वाले इस स्पेस लैब से विमानन गतिविधि पर कोई प्रभाव पड़ने या जमीन पर कोई नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है. हालांकि लैब के मलबे का बहुत छोटा सा हिस्सा जमीन पर गिरेगा.
वैज्ञानिकों ने यह भी कहा था कि पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद अंतरिक्ष स्टेशन पर नियंत्रण नहीं होगा. पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद ‘तियांगोंग-1’ बिखर जाएगा और इसके कुछ ही हिस्से जमीन तक पहुंचेंगे, लेकिन ये हिस्से समुद्र या निर्जन क्षेत्र में भी गिर सकते हैं.
वहीं, अमेरिका के मिशिगन में अधिकारी इसको लेकर अलर्ट हैं. किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी कर ली गई है और आपात टीमें तैयार रखी गई हैं. मालूम हो कि तियांगोंग-1 एक अंतरिक्ष लैब है, जिसे सितंबर 2011 में प्रक्षेपित किया गया था. इस लैब ने जून 2013 में अपना मिशन पूरा कर लिया था.