गुजरात ने करीब दो दशक बाद गुजरात में अपनी स्थिति सुधारी है. इस बार चुनाव में कांग्रेस की न केवल सीटें बढ़ीं, बल्कि वोट फीसदी में भी इजाफा हुआ है. वर्ष 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 61 सीटें मिली थीं. इस बार 16 सीटों का इजाफा हुआ है. करीब एक दर्जन सीटों पर, तो हार का मार्जिन 2500 वोटों से भी कम का रहा.
कई सीटों पर बसपा ने भी भाजपा विरोधी मतों को हथिया कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. वर्ष 1985 के बाद यह पहला मौका है, जबकि कांग्रेस को थोड़ा फायदा हुआ. 1985 में कांग्रेस ने 149 सीटें जीती थीं, 1990 के चुनाव में उसकी सीटें घट कर 33 रह गयी थीं. चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने करीब 40 रैलियां कीं. उन्होंने युवा नेताओं – हार्दिक पटेल, जिग्नेश और अल्पेश ठाकोर की तिकड़ी को साथ लेकर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश की. उनकी सोशल इंजीनियरिंग की वजह से भाजपा को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी.
दूसरे चरण में ज्यादा नुकसान
कांग्रेस को पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण की 93 सीटोंपर ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. विश्लेषणक इसके पीछे मणिशंकर अय्यर के पीएम मोदी के बारे में दिये दिये गये नीच वाले बयान को ठहरा रहे हैं. उधर, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख भरत सिंह सोलंकी ने कहा कि उनकी पार्टी जनादेश को स्वीकार करती है. वह हार की जिम्मेदारी लेते हैं. सोलंकी ने निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग में भरोसा जताया.
इन सीटों पर 2500 वोटों से कम से हारे
गोधरा 258
धोलका 327
बोटाद 906
हिम्मतनगर 1712
खंभात 2318
पोरबंदर 1855
प्रांतिज 2551
राजकोट ग्रामीण 2179
उमरेथ 1883
वागरा 2370
वीजापुर- 1164
(इन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की हार के मार्जिन से कहीं अधिक बसपा को वोट मिले.)

