Unique Village Story: हमारा समाज पुरुष प्रधान है. घर की संपत्तियों पर पहला अधिकार पुरुषों का होता है. लेकिन क्या आपको पता है भारत में रहने वाला एक समुदाय ऐसा है जो महिला प्रधान समाज है. जी हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा. मेघालय में पायी जाने वाली खासी आदिवासी समुदाय मातृसत्तात्मक प्रणाली को अपनाता है. यह जनजाति समाज, पर्यावरण और स्त्री-सशक्तिकरण का अद्वितीय उदाहरण पेश करता है.
दुल्हन नहीं दूल्हे को छोड़ना पड़ता है घर
जी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार खासी जनजाति में पुरुष जब घर के किसी सबसे छोटी बेटी के विवाह करता है तो दुल्हन को नहीं बल्कि दूल्हे को घर छोड़ना पड़ता है. इतना ही नहीं घर की महिलाएं ही पारिवारिक संपत्ति की उत्तराधिकारी होती है.
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कौन हैं खासी आदिवासी?
खासी जनजाति मेघालय की तीन प्रमुख जनजातियों में से एक है. इन समुदायों के लोग खुद को विभिन्न उपसमूहों में बांटते हैं, लेकिन खासी समुदाय ही कहलाते हैं. इनकी भाषा को खासी (Khasi) कहा जाता है, जो ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार से संबंधित है. इनकी जीवनशैली प्राकृतिक संतुलन पर आधारित है. यहां पर जंगल को काटना और वन्य जीवों का शिकार करना वर्जित है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये जंगल को देवताओं का घर मानते हैं. नदी, पहाड़, और वृक्षों की पूजा ही इनके आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा है.
क्या है प्रमुख पर्व
खासी जनजाति के लोकनृत्य, गीत और पारंपरिक पोशाक उनकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं. शाद सुक मिंसीम इनका एक प्रमुख पर्व है, जो पर्यावरण के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है.