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धनबाद : तीन साल से एक भी ऐसा ‘नेक आदमी’ पुलिस को नहीं मिला, जिसने सड़क हादसे में घायलों की बचायी हो जान

झारखंड सरकार ने गोल्डन ऑवर में अस्पताल पहुंचाने वालों के लिए प्रोत्साहन राशि तय कर रखी है. योजना लागू हुए तीन साल हो चुके हैं, जिले में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिसे प्रशासन द्वारा अस्पताल पहुंचाने के लिए प्रोत्साहन राशि दी गयी हो.

धनबाद, नीरज अंबष्ट : आपको ये जानकार हैरानी होगी कि पिछले तीन साल से धनबाद पुलिस को एक भी ऐसा ‘नेक आदमी’ नहीं मिला, जिसने सड़क हादसे में घायल शख्स को अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचायी हो. चौंकिए नहीं, ऐसा नहीं है कि इस अच्छे काम को करनेवालों की जिले में कोई कमी है. दरअसल, इस नेक काम को करके सरकार की गुड सेमेरिटन (नेक आदमी) योजना का लाभ लेनेवाला अब तक सामने ही नहीं आया है. इसके लिए अस्पतालों को दोष दिया जा रहा है. धनबाद के अस्पताल गोल्डन ऑवर में घायलों को अस्पताल पहुंचानेवालों के बारे में जानकारी ही नहीं दे रहे हैं. जानकारों की मानें तो मददगार खुद भी आगे आ सकते हैं. लेकिन उनको या तो ‘नेक आदमी’ योजना की जानकारी नहीं है या फिर वे कानूनी पचड़े में पड़ने से घबराते हैं. बताते चलें कि झारखंड सरकार ने गोल्डन ऑवर में अस्पताल पहुंचाने वालों के लिए प्रोत्साहन राशि तय कर रखी है. योजना लागू हुए तीन साल हो चुके हैं, जिले में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिसे प्रशासन द्वारा अस्पताल पहुंचाने के लिए प्रोत्साहन राशि दी गयी हो.

जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहे अस्पताल

गुड सेमेरिटन की लिस्ट भेजने की जिम्मेदारी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की होती है. जब कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर में अस्पताल पहुंचाता है, तो डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी घायल के इलाज पर अपना ध्यान केंद्रित कर देते हैं. अस्पताल शायद ही पहुंचाने वाले का नाम और पता नोट करता हो. यदि उनका नाम-पता नोट भी कर लिया, ताे उसे प्रशासन के पास नहीं भेजते हैं. नतीजा, ऐसे लोगों को प्रोत्साहन राशि नहीं मिलती है.

दो से पांच हजार रुपये मिलती है प्राेत्साहन राशि

झारखंड गुड सेमेरिटन पॉलिसी 2020 के तहत सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर यानी घटना के एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाने पर पुरस्कृत किया जाता है. गुड सेमेरिटन को दो हजार रुपये पुरस्कार राशि दी जाती है. यदि दो गुड सेमेरिटन होंगे, तो उन दोनों को दो-दो हजार रुपये मिलेंगे. यदि दो से अधिक हैं, तो सरकार पांच हजार रुपये सभी के बीच समान रूप से बांटेगी. इसके साथ ही यदि गुड सेमेरिटन को पुलिस या अदालत द्वारा जांच के लिए बुलाया जाता है, तो प्रतिदिन एक हजार रुपये उसके बैंक खाते में ट्रांसफर किया जायेगा. पीड़ित को वाहन से अस्पताल ले जाने पर हुए व्यय की प्रतिपूर्ति का भी प्रावधान है.

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2022 में 400 हादसों में 286 की हुई थी मौत

इस साल के शुरू के जनवरी माह में 38 दुर्घटनाओं में 24 की मौत और 13 घायल, फरवरी में 36 दुर्घटनाओं में 22 की मौत और 10 गंभीर रूप से घायल, मार्च माह में 38 दुर्घटनाओं में 30 की मौत व छह घायल, अप्रैल माह में 31 दुर्घटनाओं में 21 की मौत व आठ गंभीर रूप से घायल, मई माह में 34 दुर्घटनाओं में 25 की मौत व सात घायल, जून माह में 37 दुर्घटनाओं में 28 की मौत व 7 घायल तथा जुलाई माह में 36 दुर्घटनाओं में 24 की मौत और 10 गंभीर रूप से घायल हुए. वर्ष 2022 में जिले में 400 दुर्घटनाओं में 286 लोगों की मौत हो गयी थी और 138 गंभीर रूप से घायल हुए. वर्ष 2021 में 365 दुर्घटनाओं में 238 मौतें और 204 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.

50 से ज्यादा सरकारी और 250 से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल

धनबाद जिले में लगभग तीन सौ से ज्यादा अस्पताल संचालित हो रहे हैं. इनमें एसएनएमएमसीएच, सदर अस्पताल, 38 सरकारी स्वास्थ्य केंद्र, सेंट्रल अस्पताल, बीसीसीएल, टाटा के अलावा लगभग 250 प्राइवेट अस्पताल हैं. पिछले तीन साल में एक भी अस्पताल ने गुड सेमेरिटन की लिस्ट प्रशासन को नहीं भेजी है.

गोल्डन ऑवर में मरीज को अस्पताल पहुंचाने वाले का नाम दर्ज कर उसे जिला प्रशासन के पास भेजने का नियम है. वर्तमान में कर्मियों के अभाव में इसे शुरू नहीं किया जा सका है. जल्द ही इस व्यवस्था को शुरू करने का प्रयास होगा, ताकि लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके और दूसरों को भी इससे प्रोत्साहन मिले.

-डॉ अनिल कुमार, अधीक्षक एसएनएमएमसीएच

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Prabhat Khabar News Desk
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