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Jharkhand News: बच्चों का कुपोषण दूर करेगी सरकार, चलेगा महाअभियान, घर-घर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की होगी जांच

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कुपोषण के खिलाफ 1000 दिनों तक महाअभियान चलाने का फैसला लिया है, जो 20 नवंबर से शुरू होगा. घर-घर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच होगी.

सुनील चौधरी, रांची: बच्चे देश के कर्णधार हैं. उन पर हमारे राज्य और देश का भविष्य निर्भर करता है. ऐसे में जब 14 नवंबर यानी रविवार को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनेगा, तो राज्य के बच्चों की स्थिति पर जरूर विमर्श होगा. लेकिन दुर्भाग्य से हम पाते हैं कि झारखंड के 43% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

यह रिपोर्ट यूनिसेफ और एनएफएचएस-4 की है. इधर, अब इस तस्वीर को बदलने की कवायद हो रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कुपोषण के खिलाफ 1000 दिनों तक महाअभियान चलाने का फैसला लिया है, जो 20 नवंबर से शुरू होगा. घर-घर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच होगी.

बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिलता

रिपोर्ट बताते हैं कि झारखंड में बड़ी संख्या में बच्चों से लेकर महिलाएं और किशोरी तक कुपोषण के शिकार हैं. इसका बड़ा कारण है कि जन्म से लेकर पांच वर्ष तक बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है. स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (2016–18) के हालिया अनुमानों के अनुसार, झारखंड की चिंता का सबसे बड़ा कारण बच्चों को समय पर पूरक आहार नहीं मिलना है. जन्म के छह महीने की आयु पूरी करने पर यह बच्चों को मिलना चाहिए. लेकिन राज्य में केवल सात प्रतिशत बच्चों को यानी 10 में सिर्फ एक बच्चे को ही आयु के अनुपात में समुचित आहार मिल पाता है.

69.9% बच्चों में एनीमिया के लक्षण

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)–4 (2015–16) और यूनिसेफ के अनुसार झारखंड में पांच वर्ष से कम आयु के 45.5% बच्चों में ठिगनापन पाया गया. 47.8% बच्चे आयु के अनुपात में कम वजन (अंडरवेट) के पाये गये. पांच साल से कम आयु के 69.9% बच्चों में एनीमिया (खून में आयरन की कमी) के लक्षण पाये गये.

चौकाते हैं आंकड़े

  • 69.9 % राज्य के पांच साल से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया के लक्षण

  • 45.5 % पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में ठिगनापन पाया गया

  • 43 % पांच साल से कम उम्र के झारखंड के बच्चों में विटामिन ए की कमी पायी गयी

  • स्कूली शिक्षा में झारखंड आठवें स्थान पर हाइस्कूल में ड्रापआउट रेट राष्ट्रीय स्तर से कम

राज्य में स्कूली शिक्षा की स्थिति में लगातार सुधार हुआ है. राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में झारखंड 23वें से आठवें स्थान पर पहुंच गया है. राज्य गठन के बाद से सरकारी विद्यालयों की संख्या दोगुनी हुई है. मैट्रिक का रिजल्ट भी बेहतर हो रहा है.वर्ष 2021 की मैट्रिक परीक्षा में कुल 433571 परीक्षार्थी शामिल हुए थे. इनमें से 270931 परीक्षार्थी प्रथम श्रेणी से सफल हुए. राज्य में स्कूल छोड़नेवाले बच्चों की संख्या में भी कमी आयी है.

लेकिन, राज्य में बढ़ती कक्षा के साथ स्कूल छोड़नेवाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है. भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार कक्षा एक से पांच तक के बच्चों का झारखंड में ड्रापआउट रेट 6.4 फीसदी है, तो हाइस्कूल तक जाते-जाते स्कूल छोड़नेवाले बच्चों की संख्या 16.7 फीसदी हो जाती है. राष्ट्रीय स्तर पर हाइस्कूल में बच्चों का ड्राप आउट 17.3 है.

Posted by: Pritish Sahay

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