Anil Ambani: अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर फिर से सवाल उठ रहे हैं. इन्वेस्टिगेटिव पोर्टल कोबरापोस्ट ने बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया है कि ग्रुप ने साल 2006 से अब तक हजारों करोड़ रुपये का फाइनेंशियल फ्रॉड किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह रकम सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी कई शेल और ऑफशोर कंपनियों के जरिए इधर-उधर की गई है. कोबरापोस्ट का कहना है कि इस पूरे खेल में जनता के पैसे का इस्तेमाल कर ग्रुप ने भारी मुनाफा कमाया है, जबकि अब वही कंपनियां कर्ज के बोझ तले डूबी हुई हैं.
कैसे हुआ फंड्स का डाइवर्जन?
इन्वेस्टिगेटिव पोर्टल कोबरापोस्ट ने गुरुवार को दावा किया कि अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने साल 2006 से अब तक करीब 41,921 करोड़ रुपये का फाइनेंशियल फ्रॉड किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रुप की कई कंपनियों जैसे रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस होम फाइनेंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस कॉर्पोरेट एडवाइजरी सर्विसेज से करीब 28,874 करोड़ रुपये का पैसा बैंक लोन, आईपीओ और बॉन्ड्स के जरिए जुटाकर प्रमोटर से जुड़ी कंपनियों में ट्रांसफर किया गया है.
विदेशों में कैसे घुमाया गया पैसा?
कोबरापोस्ट का कहना है कि लगभग 1.535 बिलियन डॉलर (13,047 करोड़ रुपये) की रकम को सिंगापुर, मॉरिशस, साइप्रस, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, अमेरिका और यूके जैसे देशों में स्थित ऑफशोर कंपनियों के जरिए धोखाधड़ी से भारत में लाया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर की एक कंपनी एमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टमेंट्स एंड ट्रेडिंग पीटीई (EMITS) ने एक रहस्यमयी संस्था नेक्सजेन कैपिटल से 750 मिलियन डॉलर लिए और बाद में वह रकम रिलायंस इनोवेंचर्स को भेजी गई, जो ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है.
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क्या हुआ जनता के पैसे का?
कोबरापोस्ट ने दावा किया कि ग्रुप ने कई पास-थ्रू और शेल कंपनियों के जरिए पैसा इधर-उधर किया है और बाद में उसे घाटे के रूप में दिखाकर मामला खत्म कर दिया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि रिलायंस ग्रुप की छह मुख्य लिस्टेड कंपनियां भारी कर्ज और घाटे में चली गईं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पूरे घोटाले से जनता की करीब 3.38 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है, जिसमें मार्केट वैल्यू और बकाया लोन शामिल हैं.
रिलायंस ग्रुप ने क्या कहा?
रिलायंस ग्रुप ने इन सभी आरोपों को “झूठा, पुराना और एजेंडा-चालित हमला” बताया है. कंपनी ने कहा कि ये जानकारी पहले से ही CBI, ED, SEBI जैसी एजेंसियां जांच चुकी हैं. उन्होंने कोबरापोस्ट को “डेड प्लेटफॉर्म” कहा और आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट उनके शेयरों की कीमत गिराने और उनकी संपत्तियों को सस्ते में हड़पने की साजिश है. ग्रुप ने इसे प्रतिष्ठा खराब करने की कोशिश बताते हुए SEBI से शेयर ट्रेडिंग पैटर्न की जांच की मांग की है.
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