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चिल्का में 187 प्रजातियों के 11, 37,759 पक्षी मिले, सबसे ज्यादा नॉर्थ पिनटेल बत्तख

पिछली सर्दियों की तुलना में इन सर्दियों में विशाल झील में आने वाले पक्षियों की संख्या में कुछ हजार की वृद्धि हुई है. पांच जनवरी से चिल्का के सातपड़ा, रंभा, बालूगांव, टांगी और चिल्का रेंज में 21 टीमों ने पक्षियों की गणना शुरू की थी.

एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील चिल्का में पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार अधिक प्रवासी पक्षी पहुंचे हैं. गंजाम, पुरी और खुर्दा जिले में फैली झील में 187 प्रजातियों के 11 लाख 37 हजार 759 पक्षियों की गणना की गयी है. इन पक्षियों में 108 प्रजातियों में से 10 लाख 98 हजार 813 प्रवासी पक्षी और 79 प्रजातियों में से 38 हजार 946 लैगून के निवासी थे. पिछली सर्दियों (2023) में 184 विभिन्न प्रजातियों के 11,31,929 पक्षियों ने झील में शरण ली थी. चिल्का वन्यजीव प्रभाग के संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) अमलान नायक ने बताया कि प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि के लिए वन्यजीव अधिकारियों द्वारा सुरक्षा के उपाय किये गये हैं. उन्होंने कहा कि इन सर्दियों में झील में अवैध शिकार का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इस साल पायी जाने वाली सबसे प्रमुख प्रजातियों में नॉर्थ पिनटेल बत्तख (2,18,654), गडवाल (1,56,636), यूरेशियन विगियन (1,40,322), ब्लैक टेल्ड गॉडविट (66,853) और कॉमन कूट (66,552) शामिल हैं. कैस्पियन सागर, बैकाल झील, रूस के दूरदराज के हिस्सों, मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया, लद्दाख और हिमालय सहित दूर-दराज के स्थानों से पंख वाले मेहमान हर सर्दियों में भोजन की तलाश में चिल्का झील में पहुंचते हैं. नायक ने कहा कि पिछली सर्दियों की तुलना में इन सर्दियों में विशाल झील में आने वाले पक्षियों की संख्या में कुछ हजार की वृद्धि हुई है. पांच जनवरी से चिल्का के सातपड़ा, रंभा, बालूगांव, टांगी और चिल्का रेंज में 21 टीमों ने पक्षियों की गणना शुरू की थी.

लगातार दूसरे साल 10 लाख से अधिक पक्षी पहुंचे

प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुशांत नंदा ने चिल्का में पक्षियों की संख्या बढ़ने पर खुशी जाहिर की. कहा कि इस बार 11.37 लाख पक्षियों की मेजबानी पर हमें गर्व है. चिल्का भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों के लिए सबसे बड़ा शीतकालीन आश्रय स्थल है और लगातार दूसरे वर्ष यह 10 लाख से अधिक पक्षियों की मेजबानी कर रहा है.

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लुप्तप्राय पल्लस फिश ईगल चिल्का में दिखा

ओडिशा के पक्षी वैज्ञानिक इस बात से उत्साहित हैं कि चिल्का लैगून में वार्षिक गणना के दौरान देखे गये 11.37 लाख पक्षियों में लुप्तप्राय पल्लस फिश ईगल भी शामिल है. करीब 10 वर्षों के बाद पल्लस फिश ईगल को ओडिशा की चिल्का झील के नालबना पक्षी अभयारण्य में देखा गया है. डीएफओ अमलान नायक ने बताया कि मध्यम आकार के इस पक्षी को लगभग 10 साल के अंतराल के बाद झील में फिर से देखा गया है. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पक्षी हिमालयी क्षेत्र से परे से झील में आया हो.

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