India AI Training License: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेजी से बढ़ते उपयोग को देखते हुए केंद्र सरकार की एक कमेटी ने AI डेवलपर्स के लिए बड़ा प्रस्ताव रखा है. सुझाव दिया गया है कि डेवलपर्स को एक अनिवार्य लाइसेंस मिले, जिसके तहत वे वैध रूप से उपलब्ध कॉपीराइटेड सामग्री का प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल कर सकें. हालांकि इसके साथ यह भी कहा गया है कि रचनाकारों को कानूनी रूप से तय पारिश्रमिक मिलना जरूरी है. DPIIT की ओर से जारी वर्किंग पेपर ने इस पर स्टेकहोल्डर्स से राय मांगी है.
AI और कॉपीराइट विवाद के बीच बनी विशेषज्ञ कमेटी
डिजिटल कंटेंट और AI मॉडलों से जुड़े विवादों के बढ़ते मामलों को देखते हुए DPIIT ने 28 अप्रैल 2025 को एक विशेषज्ञ पैनल गठित किया था. आठ सदस्यीय इस समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त सचिव हिमानी पांडे कर रही हैं. इसमें कानूनी विशेषज्ञों, टेक इंडस्ट्री और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है. कमेटी का काम यह समझना है कि AI सिस्टम मौजूदा कानूनों के सामने कौन सी चुनौतियां खड़ी करते हैं और किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है.
India AI Training License: लाइसेंसिंग होगी सरल, डेवलपर्स को मिलेगा वन-स्टॉप ऐक्सेस
वर्किंग पेपर के अनुसार प्रस्तावित मॉडल लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाता है. सुझाव है कि एक छतरी संगठन बनाया जाए, जिसे कॉपीराइट होल्डर्स मिलकर तैयार करें और सरकार उसे अधिकृत करे. यह संस्था रॉयल्टी वितरण से लेकर लाइसेंसिंग की सभी प्रक्रियाएं देखेगी, जिससे AI डेवलपर्स को कॉपीराइटेड सामग्री तक वन-विंडो ऐक्सेस मिल सकेगा और उनका समय और खर्च दोनों बचेंगे.
तकनीक और क्रिएटिव राइट्स के बीच संतुलन बनाने की कोशिश
कमेटी ने माना है कि जेनरेटिव AI आने वाले समय की दिशा बदलने वाली तकनीक है, लेकिन इसके साथ ही कॉपीराइट सुरक्षा भी उतनी ही अहम है. पेपर में स्पष्ट कहा गया है कि चुनौती यह है कि मानव रचनाओं की सुरक्षा और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा- दोनों के बीच संतुलन बनाये रखा जाए. इसके लिए ऐसी नीतिगत संरचना जरूरी है जो देश की रचनात्मक इंडस्ट्री की रक्षा भी करे और AI रिसर्च को भी गति दे.
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