भारत के गैर-लाभकारी संगठन साइबरपीस ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित वर्ल्ड समिट ऑन इन्फॉर्मेशन सोसाइटी (WSIS+20) की उच्च-स्तरीय बैठक में भाग लेकर वैश्विक मंच पर देश का परचम लहराया. यह उपलब्धि न सिर्फ भारत के लिए गर्व का क्षण है बल्कि डिजिटल सुरक्षा और साइबर स्थिरता की दिशा में एक ठोस कदम भी है.
मेजर विनीत का वैश्विक संदेश
साइबरपीस के संस्थापक और ग्लोबल प्रेसिडेंट मेजर विनीत कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल तकनीक अब विकास और सामाजिक कल्याण का आधार बन चुकी है, लेकिन इसके साथ साइबर खतरों में भी विस्फोटक वृद्धि हुई है. उन्होंने चेतावनी दी कि एआई और नई तकनीकों के चलते अस्पतालों, स्कूलों और छोटे व्यवसायों पर हमले, डीपफेक, गलत सूचना और साइबर मानव तस्करी जैसी चुनौतियाँ तेजी से बढ़ रही हैं.
झारखंड से दुनिया तक
रांची से अपनी यात्रा शुरू करने वाले मेजर विनीत आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर जागरूकता और डिजिटल भरोसे की आवाज बन चुके हैं. उनके नेतृत्व में साइबरपीस ने लाखों नागरिकों को ऑनलाइन सुरक्षा और जिम्मेदारी के साथ डिजिटल दुनिया में आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षित किया है. यह सम्मान झारखंड और भारत दोनों के लिए गौरव का विषय है.
चार स्तंभों पर जोर
बैठक में मेजर विनीत ने चार अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की- वैश्विक साइबर प्रत्यास्थता को मजबूत करना, संवेदनशील वर्गों की ऑनलाइन सुरक्षा बढ़ाना, इंटरनेट गवर्नेंस में भरोसा और मानवाधिकारों को प्राथमिकता देना, तथा साइबर सुरक्षा में सहभागी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना. उनका मानना है कि सरकारें अकेले इस खतरे से नहीं निपट सकती, इसके लिए समुदायों और व्यक्तियों को भी सशक्त बनाना होगा.
2030 एजेंडा की ओर
WSIS+20 की समीक्षा से आगे बढ़ते हुए साइबरपीस ने 2030 एजेंडा के अनुरूप एक ऐसे साइबरस्पेस की प्रतिबद्धता जताई जो शांतिपूर्ण, समावेशी और मानवीय हो. संगठन का लक्ष्य है कि डिजिटल बदलावों का लाभ हर व्यक्ति तक समान रूप से पहुंचे और कोई भी पीछे न छूटे.

