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100 फीसदी इथेनॉल से चलने वाली दुनिया की पहली कार भारत में लॉन्च, नितिन गडकरी ने उठाया पर्दा

टोयोटा इनोवा हाईक्रॉस फ्लेक्स-फ्यूल एमपीवी पूरी तरह से इथेनॉल पर चलेगी, जो संयंत्रों से प्राप्त ईंधन है. इथेनॉल को E100 ग्रेड दिया गया है, जो दर्शाता है कि कार पूरी तरह से वैकल्पिक ईंधन पर चलती है. एमपीवी में लिथियम-आयन बैटरी पैक भी होगा.

नई दिल्ली : टोयोटा मोटर ने भारत के कार बाजार में इथेनॉल से चलने वाली दुनिया की पहली कार लॉन्च किया हे. यह फ्लेक्स फ्यूल इंजन से लैस है. कार निर्माता की पॉपुलर एमपीवी इनोवा हाईक्रॉस पर बेस्ड मॉडल को 29 अगस्त को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित एक कार्यक्रम में पेश किया गया. इलेक्ट्रिक फ्लेक्टस फ्यूल इनोवा हाईक्रॉस न केवल ऑप्शनल फ्यूल का यूज करेगी, बल्कि इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट करने में भी सक्षम होगी. यह ऐसी कार है, जो इलेक्ट्रिक मोड में भी चलने में सक्षम होगी. इलेक्ट्रिफाइड इनोवा हाईक्रॉस फ्लेक्स फ्यूल एक प्रोटोटाइप मॉडल है, जो नए एमिशन नॉर्म्स बीएस-6 के नियम के हिसाब से अपडेटेड है.

इथेनॉल से चलेगी एमपीवी इनोवा हाईक्रॉस कार

टोयोटा इनोवा हाईक्रॉस फ्लेक्स-फ्यूल एमपीवी पूरी तरह से इथेनॉल पर चलेगी, जो संयंत्रों से प्राप्त ईंधन है. इथेनॉल को E100 ग्रेड दिया गया है, जो दर्शाता है कि कार पूरी तरह से वैकल्पिक ईंधन पर चलती है. एमपीवी में लिथियम-आयन बैटरी पैक भी होगा, जो कार को ईवी मोड पर चलाने में मदद करने के लिए पर्याप्त पावर जेनरेट करने में सक्षम होगा. फिलहाल, इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि इलेक्ट्रिफाइड इनोवा हाईक्रॉस फ्लेक्स-फ्यूल का प्रोडक्शन मॉडल सड़कों पर कब आएगा.

इनोवा हाईक्रॉस का इंजन

इनोवा हाईक्रॉस ओएस का फ्लेक्स-फ्यूल मॉउल वर्तमान में भारत में बेचे जाने वाले एमपीवी के हाइब्रिड मॉडल से थोड़ा अलग है. इंजन को E100 ग्रेड इथेनॉल पर चलने के लिए तैयार किया गया है और फ्यूल टैंक और फ्यूल पाइप को भी जोड़ा गया है. 2.0-लीटर, चार-सिलेंडर इकाई का उपयोग मानक इनोवा हाईक्रॉस में भी किया जाता है, जो E85 ईंधन के साथ जुड़ा है. एमपीवी के स्पार्क प्लग और पिस्टन रिंग बदल दिए गए हैं.

इनोवा हाईक्रॉस की बैटरी

टोयोटा ने एक कोल्ड-स्टार्ट सिस्टम भी जोड़ा है, जो इसे माइनस 15 डिग्री सेल्सियस तक की ठंडी परिस्थितियों में भी बिजली देने की अनुमति देता है. इनोवा हाईक्रॉस फ्लेक्स-फ्यूल एमपीवी में सेल्फ-चार्जिंग लिथियम-आयन बैटरी का भी उपयोग किया जाता है, जिसका उपयोग एमपीवी को केवल ईवी मोड पर चलाने के लिए भी किया जा सकता है. स्टैंडर्ड इनोवा हाईक्रॉस हाइब्रिड एमपीवी 181 बीएचपी पावर पैदा कर सकती है और 23.24 किमी प्रति लीटर की फ्यूल इकोनॉमी प्रदान कर सकती है. टोयोटा का कहना है कि फ्लेक्स-फ्यूल मॉडल 30 से 50 प्रतिशत अधिक दक्षता प्रदान कर सकता है.

इथेनॉल वाली कार से प्रदूषण होगा कम

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कच्चे तेल के महंगे आयात को कम करने के लिए वैकल्पिक ईंधन के उपयोग की वकालत करते रहे हैं, जिसे पेट्रोल और डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन का उत्पादन करने के लिए संसाधित किया जाता है. वैकल्पिक ईंधन की शुरुआत का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना और इस प्रक्रिया में भारत के कार्बन उत्सर्जन को भी कम करना है. कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा कि हमारे देश में 40 फीसदी प्रदूषण वाहनों से होता है. दिल्ली के निवासियों को वाहन प्रदूषण के प्रभाव का सामना करना पड़ता है.

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क्या है सरकार का लक्ष्य

जैव ईंधन या वैकल्पिक स्वच्छ ईंधन के लिए भारत के प्रयास ने पिछले साल गति पकड़ी, जब केंद्र ने इथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल को बाजार में उतारा. भारत का लक्ष्य 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण हासिल करना है. पिछले साल मार्च में टोयोटा मोटर ने इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (ICAT) के साथ अपने पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में भारत का पहला ऑल-हाइड्रोजन इलेक्ट्रिक वाहन मिराई लॉन्च किया था. टोयोटा मिराई एफसीईवी दुनिया के पहले हाइड्रोजन ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों में से एक है और यह शुद्ध हाइड्रोजन उत्पन्न बिजली पर चलता है. इसे एक वास्तविक शून्य-उत्सर्जन वाहन भी माना जाता है, क्योंकि कार टेलपाइप से केवल पानी उत्सर्जित करती है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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