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प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष गौतम पाल को सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम सुरक्षा, फिलहाल नहीं होगी गिरफ्तारी

कोर्ट को लगता है कि बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव से पूछताछ की जरूरत है. यहां तक ​​कि जरूरत पड़ने पर सीबीआई बोर्ड के किसी भी अधिकारी को हिरासत में लेकर पूछताछ भी कर सकती है. हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद गौतम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि पश्चिम बंगाल के प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष गौतम पाल को अगली सुनवाई की तारीख तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. बोर्ड के उप सचिव पार्थ कर्माकर को भी फिलहाल गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. इस मामले की अगली सुनवाई अगले गुरुवार को है. सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने शुक्रवार को आदेश दिया कि वे हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक जांच में सहयोग करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई की विशेष जांच टीम (एसआईटी) जांच जारी रखेगी. गौतम पाल के वकील ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को इस भ्रष्टाचार के बारे में कुछ नहीं पता है. उन्होंने पिछले साल 24 अगस्त को परिषद का कार्यभार संभाला था. वकील की बात सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गौतम को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने गौतम और पार्थ से पूछताछ का दिया था निर्देश

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने शुरुआत में भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गौतम और पार्थ से पूछताछ करने का निर्देश सीबीआई को दिया था. इस दौरान जज ने जरूरत पड़ने पर उन्हें हिरासत में लेकर पूछ-ताछ करने की भी बात कही थी. उस आदेश को चुनौती देते हुए बोर्ड के चेयरमैन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस अर्जी पर कोई जवाब नहीं दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी आपने गलती नहीं की तो गिरफ्तारी का डर क्यों ?

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कौशिक माजी को 22 सितंबर को बुलाया गया निजाम पैलेस में

राज्य में प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीईटी) 2014 की उत्तर पुस्तिकाएं (ओएमआर शीट) जांचने का काम ‘एस बसु रॉय एंड कंपनी’ नाम की कंपनी को सौंपा गया था. उस संगठन के प्रमुख कौशिक माजी को 22 सितंबर को निजाम पैलेस में बुलाया गया और सीबीआई ने पूछताछ की थी. इसके बाद टेट के खाते से जुड़ी रिपोर्ट जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच को सौंपी गई. उस मामले में आवेदक की वकील फिरदौस शमीम ने कहा कि ओएमआर शीट के ‘डिजिटाइज्ड डेटा’ में कई गलतियां हैं. कोर्ट में ओएमआर शीट की जानकारी बिल्कुल भी विश्वसनीय नहीं है. क्योंकि ओएमआर शीट के ‘डिजिटाइज्ड डेटा’ से जो तात्पर्य है, वह वास्तव में ओएमआर शीट की स्कैन की गई कॉपी है। लेकिन इस मामले में बोर्ड ने कोर्ट के सामने जो पेश किया है वह टाइप की हुई जानकारी है. और उस जानकारी में कई सवाल-जवाब के विकल्प भी गलत हैं.

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हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद गौतम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की

वादी की यह बात सुनने के बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने जांच एजेंसी सीबीआई से पूछा. वह जानना चाहते हैं कि यह खामी कैसे रह गयी ? न्यायाधीश ने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई ने वे सभी महत्वपूर्ण प्रश्न नहीं पूछे जो अभियुक्तों से पूछे जाने चाहिए थे. सीबीआई को फटकार लगाने के 48 घंटे के अंदर ही सीबीआई ने टेट की ओएमआर शीट की जांच करने वाली संस्था के मुखिया कौशिक को पूछताछ के लिए निजाम पैलेस बुलाया. इसके बाद उन्होंने प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष व उप सचिव को तलब करने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष सहित अन्य अधिकारियों ने नई मुद्रित प्रति को ‘डिजीटल प्रति’ होने का दावा किया है. इसलिए कोर्ट को लगता है कि बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव से पूछताछ की जरूरत है. यहां तक ​​कि जरूरत पड़ने पर सीबीआई बोर्ड के किसी भी अधिकारी को हिरासत में लेकर पूछताछ भी कर सकती है. हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद गौतम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की कि सीबीआई को कोई सख्त कार्रवाई करने से रोका जाए.

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